जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन या सीओपी28 के लिए सभी पक्षों का 28वां सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक दुबई में आयोजित किया जा रहा है. इस अहम मौके पर नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला और इंटरनेशनल सोलर एलायंस के महानिदेशक अजय माथुर ने चर्चा की. मुद्दा यही कि देश में अपने लिए निर्धारित चुनौतीपूर्ण अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य उसे किस तरह वैश्विक मंच पर अहम स्थान दिलाते हैं.
साहसिक लक्ष्य
भल्लाः हमने कहा है कि हम 2030 तक 50 फीसद बिजली क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधन से प्राप्त करना चाहेंगे. हमारी दूसरी प्रतिबद्धता यह है कि 2030 तक अर्थव्यवस्था की एनर्जी इंटेसिटी 2005 के स्तर की तुलना में 45 फीसद कम हो जाएगी. इसके अलावा, हमने यह भी ऐलान किया है कि हम 2047 तक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होना और 2070 तक एकदम शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करना चाहेंगे. इसलिए, ये बड़े लक्ष्य हैं जो इस बात पर निर्भर हैं कि हम अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में कैसे कार्य करते हैं. फिलहाल, इस वर्ष अक्तूबर तक देश में हमारी गैर-जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन क्षमता 186 गीगावॉट है. हमारा लक्ष्य है, और हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने भी घोषणा की है, 2030 तक देश में 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा, गैर-जीवाश्म क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य है.
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