उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट इस बार नई ऊंचाइयां छू रहा था. 5 फरवरी को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में जैसे ही यह शेर हौसले दिल में जब मचलते हैं, आंधियों में चिराग जलते हैं पढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 के प्रावधानों को बताना शुरू किया, सत्ता पक्ष के विधायकों ने एक साथ मेजें थपथपा कर स्वागत किया. हालांकि पूरे बजट भाषण के दौरान रुक-रुक कर थोड़ी बहुत मेजें थपथपाई जाती रहीं लेकिन करीब एक घंटे के बाद ये मेजें एकसाथ फिर थपथपाई गईं जब बजट भाषण के अंत में खन्ना ने प्रस्तुत बजट का आकार 7.36 लाख करोड़ रु. का होने की सूचना सदन को दी. इस तरह यूपी का यह बजट अपने आकार में अब तक का सबसे बड़ा बजट था. इतने बड़े बजट और उसे खर्च करने की चुनौती का एहसास सरकार को था. इसलिए आमतौर पर 20 फरवरी के आसपास पेश होने वाला यूपी का बजट इस बार दो हफ्ते पहले सदन में रखा गया. इस जल्दबाजी को करीब आ चुके लोकसभा चुनाव की आचार संहिता और फरवरी के मध्य में शीर्ष भाजपा नेताओं की दिल्ली में होने वाली बैठक से जोड़ा जा रहा है.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.