भारत ने दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर चीन के लाए गए इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन डेवलपमेंट (आइएफडी) एग्रीमेंट को रोका जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर गैर व्यापार की संभावित बाधाएं खड़ी कर देता. प्रशांत देशों के समूह को फिश सब्सिडी पर साथ लिया और गहरे समुद्र में हो रही अनियमित और सब्सिडाइज्ड मछली पकड़ने पर पश्चिमी देशों को किनारे किया. भारत ने अपने और विकासशील देशों के हितों पर जोर दिया.
यह पहले ही साफ था कि 26 फरवरी से 2 मार्च के बीच हुए इस दौर की बातचीत में नतीजा निकलने की उम्मीद नहीं है. फिर भी 164 सदस्य देशों के इस निकाय पर व्यापार नियमों पर सहमति हासिल करने का दबाव था. व्यापार नियम कई वैश्विक बाधाओं के कारण और जटिल हो गए थे. नई दिल्ली का ज्यादातर रुख घरेलू जटिलताओं से संचालित था. लेकिन भारत ने आर्थिक और राजनयिक तौर पर देश के बढ़ते दबदबे को भी पेश किया. महत्वपूर्ण मसलों और उनके नतीजों पर एक नजर:
निवेश सुगमता
मसलाः कोई 123 देशों की सहमति वाले आइएफडी एग्रीमेंट का लक्ष्य निवेश माहौल सुधारना और एफडीआइ प्रोत्साहित करना है.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.