वोटों की फसल, किसानों पर नजर
India Today Hindi|June 05, 2024
उत्तरी राज्यों में पसरे कृषि संकट के बीच किसानों में अपनी पैठ बनाने के लिए भाजपा ने व्यावहारिक नजरिया अपनाया, तो विपक्ष भी भारत के इस सबसे बड़े मतदाता तबके को रिझाने की जुगत में
अनिलेश एस. महाजन
वोटों की फसल, किसानों पर नजर

मई की 10 तारीख को आनंदपुर साहिब से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार सुभाष शर्मा के लोकसभा चुनाव की देख-रेख के लिए आए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत को पंजाब में प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के गुस्से का शिकार होना पड़ा. हालात पर काबू पाने के लिए स्थानीय पुलिस को दखल देना पड़ा. इसे स्थानीय घटना कहकर खारिज नहीं किया जा सकता. राज्य में भाजपा के सभी 13 उम्मीदवारों को किसान यूनियनों गुस्से का सामना करना पड़ रहा है, जो इस साल फरवरी में पंजाब के खनौरी और शंभू बैरियर्स पर हुए टकराव का बदला लेने पर आमादा हैं.

उस वक्त हरियाणा पुलिस ने ट्रैक्टरों, अर्थमूवरों और तरह-तरह के वाहनों पर सवार आक्रामक यूनियनों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए बल प्रयोग किया था. उनकी कई मांगें थीं, जिनमें वे सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी ढांचा और किसानों के कर्ज की पूरी माफी चाहती थीं. (अकेले पंजाब में किसानों पर सांस्थानिक ऋणदाताओं का 75,000 करोड़ रुपए बकाया है). केंद्रीय मंत्रियों के साथ बाद की बातचीत नाकाम रही, जिससे असंतोष भीतर ही भीतर खदबदाता रहा.

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