सुरेश गोपी, 66 वर्ष | भाजपा | त्रिशूर, केरल
त्कालीन केंद्रीय मंत्री त वी. मुरलीधरन और राजीव चंद्रशेखर जो न कर पाए, उसे सुरेश गोपी ने कर दिखाया. 4 जून को केरल में लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले भाजपा उम्मीदवार बनकर इस अभिनेता ने इतिहास रच डाला. 2019 के लोकसभा और फिर 2021 के विधानसभा चुनावों में दो बाकी हार के बाद त्रिशूर में उन्हें यह जीत कड़ी मेहनत से हासिल हुई. कैथलिक प्रभाव वाले निर्वाचन क्षेत्र में अब वाम दलों के लाल झंडों की जगह भगवा झंडे ज्यादा लहरा रहे हैं. इस तरह से 'गॉड' स ओन कंट्री' में पैठ बनाने के साथ वहां यह पार्टी के लिए एक नए सियासी युग का आगाज है. गोपी के चार दशक के लंबे करियर में '80 के दशक के उनके शुरुआती किरदार सियासी सत्ता के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले एक निराश, गुस्सैल युवा होते थे. युवावस्था में वे सीपीएम के यूथ विंग स्टुडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के नेता थे. बाद में दिवंगत मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता के. करुणाकरण के करीबी हो गए. 2016 में वे भाजपा में आ लगे और उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया. त्रिशूर में जीत का गोपी को इनाम भी मिला और उन्हें केंद्रीय पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस और पर्यटन राज्यमंत्री बना दिया गया है. हालांकि उनके विरोधी उनकी जीत को बस 'एक बार की हैरतअंगेज 'जीत' बताकर उन्हें खारिज करने की कोशिश कर रहे हैं मगर इसमें कोई शक नहीं कि उनकी जीत ने राज्य में कांग्रेस और वामदलों, दोनों को अपना आत्मनिरीक्षण करने पर मजबूर कर दिया है.
अरुण गोविल, 72 वर्ष | भाजपा मेरठ, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की हार से कई लोगों को हैरानी हुई और झटका भी लगा. यह सब दरअसल उस लोकसभा क्षेत्र में हुआ जहां नए भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ था. मगर कम से कम मेरठ के मतदाताओं ने 1980 के दशक में दूरदर्शन के दिनों के छोटे परदे के भगवान राम पर अपना भरोसा जताया. लोकप्रिय टीवी धारावाहिक रामायण में राम और हाल ही में राजनैतिक ड्रामा फिल्म आर्टिकल 370 में मास्टरमाइंड प्रधानमंत्री का किरदार अदा करने वाले अरुण गोविल ने मेरठ में समाजवादी पार्टी की सुनीता वर्मा को 10,585 वोटों के अंतर से हराया.
कंगना रनौत, 38 वर्ष | भाजपा | मंडी, हिमाचल प्रदेश
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"