अनिल देसाई, 66 वर्ष | शिवसेना (यूबीटी) | मुंबई दक्षिण मध्य, महाराष्ट्र
दोबार उच्च सदन के सदस्य रहे देसाई का मृदुभाषी व्यवहार उन्हें एक सामान्य शिवसैनिक से अलग खड़ा करता है. दिग्गज नेताओं में शुमार देसाई अविभाजित शिवसेना के एक महत्वपूर्ण रणनीतिकार रहे. न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी के पूर्व कर्मचारी और सफेदपोश कर्मचारियों से जुड़े शिवसेना के संगठन स्थानीय लोकाधिकार हक्क महासंघ के वे प्रमुख हैं. मूलतः गोवा के कैनाकोना से ताल्लुक रखने वाले देसाई पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के भरोसेमंद सहयोगी हैं. उन्हें दो बार सांसद रहे शिंदे गुट के सदस्य राहुल शेवाले के खिलाफ मैदान में उतारा गया था. यह एक समझदारी भरा फैसला साबित हुआ. उनकी इस जीत में मुसलमानों और ईसाइयों का समर्थन काफी अहम रहा.
मनसुख मांडविया, 52 वर्ष | भाजपा | पोरबंदर, गुजरात
पीयूष गोयल की तरह वे भी पहले संसद में रह चुके हैं. लेकिन उनसे उलट इस मृदुभाषी लेउवा पटेल का ताल्लुक हनोल गांव के एक साधारण से किसान परिवार से है. हनोल गांव पालीताना स्थित ऐतिहासिक जैन केंद्र से कुछ मील की दूरी पर मंदिरों से सजी शत्रुंजय पहाड़ी पर है. राजनीति और पशु चिकित्सा विज्ञान दोनों के छात्र रहने के दौरान एबीवीपी का हिस्सा रहे. 2002 में 30 वर्ष की उम्र में गुजरात विधानसभा में सबसे कम उम्र के विधायक बने. उच्च सदन के सदस्य के तौर पर 12 साल के कार्यकाल और एक दशक तक मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहने के बावजूद मांडविया ने व्यक्तित्व में सादगी बरकरार रखी है. वे साइकिल से संसद आते अक्सर देखे जा सकते हैं.
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"