भारत-रूस रिश्तों में दशकों के करीबी रणनीतिक गठजोड़ से उपजी गर्मजोशी और सद्भावना 8 और 9 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉस्को यात्रा में भी दिखाई दी. प्रधानमंत्री दोनों देशों के बीच 22वीं सालाना शिखर बैठक के लिए गए थे. अपने तीसरे कार्यकाल की इस पहली द्विपक्षीय यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत में भाग लिया और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अकेले सीधे बात भी की. यात्रा का मुख्य जोर आर्थिक पहलुओं पर था, खासकर जब भारत की तरफ से रूसी तेल की खरीद की बदौलत दोतरफा व्यापार 2023-24 में 65.70 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया. लिहाजा ऊर्जा, व्यापार, मैन्युफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी और उर्वरक से जुड़े मामलों पर चर्चा हुई. हालांकि, भारत और रूस के बीच 'विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी' के स्तंभों में से एक-रक्षा बिक्री और सैन्य-तकनीकी सहयोग-नेपथ्य में चला गया. यहां इस तथ्य को ध्यान में रखा जाना चाहिए कि हाल के बरसों में भारत रूसी हथियारों पर निर्भरता कम करता रहा है और अपनी बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार ज्यादा से ज्यादा अमेरिका और फ्रांस सरीखे पश्चिमी सहयोगी देशों और साथ ही अपने घरेलू हथियार उद्योग की ओर रुख कर रहा है.
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