यह राजस्थान का सबसे नया-नवेला जिला है, जिसे पिछले साल ही राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के गृह जिले भरतपुर से अलग करके बनाया गया है. लेकिन इस नए जिले डीग ने पहले ही भारत की साइबर अपराध राजधानी के रूप में बदनामी हासिल कर ली है. इसने झारखंड में देवघर और जामताड़ा, बिहार में नवादा और नालंदा, हरियाणा में नूंह और राजस्थान में अलवर जैसे पूर्ववर्ती हॉटस्पॉट को पीछे छोड़ दिया है. भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आइ4सी) ने पाया कि फरवरी 2024 में धोखाधड़ी के सभी रिपोर्ट किए गए मामलों में से 19 फीसद मेवात क्षेत्र में इस कस्बे से उत्पन्न हुए थे. विभिन्न राज्यों की साइबर अपराध विरोधी इकाइयां हर रोज इस जिले में लगभग 225 जगहों की मैपिंग कर रही थीं, जो भारत से होने वाली सबसे अधिक साइबर अपराध कॉल के लिए लगातार चार महीनों तक पहले स्थान पर रहा.
अपराधों में फर्जी मोबाइल नंबर/ कॉलर आइडी और एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करके सामान्य फिशिंग घोटाले, पैसे वाले पुरस्कारों का वादा करने वाले ऑनलाइन घोटाले, सेक्सटॉर्शन, धोखाधड़ी से अवैध हथियार और किराए पर आवास की पेशकश जैसी सरल योजनाएं और सबसे चौंकाने वाली, "युवा महिलाओं को गर्भवती करने" के वादे के बदले पैसे शामिल हैं.
मुख्यमंत्री शर्मा ने साइबर ठगी की इस कमाई से शर्मिंदा होकर इस अपराध के बढ़ते जाल को खत्म करने के लिए भरतपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आइजी) राहुल प्रकाश को नियुक्त किया. इसके लिए 29 फरवरी को ऑपरेशन ऐंटी वायरस लॉन्च कर डीग पर ध्यान केंद्रित किया गया. प्रकाश कहते हैं, "सीएम ने मुझे तीन बार फोन किया, और कहा कि जब भी वे अन्य राज्यों में जाते हैं, तो उन्हें डीग से साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें मिलती हैं. उन्होंने हमें इसे प्राथमिकता के आधार पर रोकने के लिए कहा."
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