पहाड़ों में गरमी बढ़ रही है, लेकिन सियासी दुनिया में लू चल रही है। महज 16 महीने पहले बनी कांग्रेस सरकार दो मोर्चों पर लड़ रही है। पहले, जोड़तोड़ से कराई गई पार्टी में बगावत, दूसरे, लोकसभा चुनाव की चुनौती है। जिसमें हारना या कमतर प्रदर्शन उत्तर के इस एकमात्र राज्य में पार्टी के लिए संकट की स्थिति होगी। उधर जीत की हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा हर तरह की तिकड़म भिड़ा रही है। हिमाचल प्रदेश में सिर्फ चार लोकसभा सीटें शिमला, हमीरपुर, कांगड़ा और मंडी हैं। लेकिन इन चुनावों में ये अहम हो उठी हैं क्योंकि राज्य में लोकसभा के साथ छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव भी हो रहा है।
इससे न केवल कांग्रेस सरकार का भविष्य दांव पर है, बल्कि अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। सुखविंदर सिंह सुक्खू का नेतृत्व तो यकीनन खतरे में है ही। पहली बार मुख्यमंत्री बने सुक्खू, अपनी संगठनात्मक पृष्ठभूमि के बूते इस पद तक पहुंचे हैं। उन्हें राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा का करीबी माना जाता है। लेकिन उन्हें विधायकों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। यह चुनाव सुक्खू के लिए अग्निपरीक्षा है। यदि कांग्रेस को कोई लोकसभा सीट नहीं मिली, तो उनके नेतृत्व पर सवाल उठेंगे। अगर बदकिस्मती से पार्टी उपचुनाव में छह विधानसभा सीट हार जाती है, तो सरकार गिरना तय है।
भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का दावा है कि कांग्रेस सरकार वेंटिलेटर पर है। चुनाव खत्म होते ही सुक्खू के भविष्य पर सवाल उठेंगे। वे कहते हैं, “4 जून को चुनाव परिणाम घोषित होंगे, तो दो सरकारें बनेंगी। एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर और दूसरी भाजपा के तहत हिमाचल प्रदेश में।”
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
गांधी पर आरोपों के बहाने
गांधी की हत्या के 76 साल बाद भी जिस तरह उन पर गोली दागने का जुनून जारी है, उस वक्त में इस किताब की बहुत जरूरत है। कुछ लोगों के लिए गांधी कितने असहनीय हैं कि वे उनकी तस्वीर पर ही गोली दागते रहते हैं?
जिंदगी संजोने की अकथ कथा
पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट परदे पर नुमाया एक संवेदनशील कविता
अश्विन की 'कैरम' बॉल
लगन और मेहनत से महान बना खिलाड़ी, जो भारतीय क्रिकेट में अलग मुकाम बनाने में सफल हुआ
जिसने प्रतिभाओं के बैराज खोल दिए
बेनेगल ने अंकुर के साथ समानांतर सिनेमा और शबाना, स्मिता पाटील, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, गिरीश कार्नाड, कुलभूषण खरबंदा और अनंतनाग जैसे कलाकारों और गोविंद निहलाणी जैसे फिल्मकारों की आमद हिंदी सिनेमा की परिभाषा और दुनिया ही बदल दी
सुविधा पचीसी
नई सदी के पहले 25 बरस में 25 नई चीजें, जिन्होंने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली
पहली चौथाई के अंधेरे
सांस्कृतिक रूप से ठहरे रूप से ठहरे हुए भारतीय समाज को ढाई दशक में राजनीति और पूंजी ने कैसे बदल डाला
लोकतंत्र में घटता लोक
कल्याणकारी राज्य के अधिकार केंद्रित राजनीति से होते हुए अब डिलिवरी या लाभार्थी राजनीति तक ढाई दशक का सियासी सफर
नई लीक के सूत्रधार
इतिहास मेरे काम का मूल्यांकन उदारता से करेगा। बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस (3 जनवरी, 2014) में मनमोहन सिंह का वह एकदम शांत-सा जवाब बेहद मुखर था।
दो न्यायिक खानदानों की नजीर
खन्ना और चंद्रचूड़ खानदान के विरोधाभासी योगदान से फिसलनों और प्रतिबद्धताओं का अंदाजा
एमएसपी के लिए मौत से जंग
किसान नेता दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी लेकिन केंद्र सरकार पर असर नहीं