इससे ज्यादा नाटकीय और अति-राजनीतिक क्या हो सकता था कि जब दुनिया के कम से कम 64 देशों में रहने वाली आधी आबादी अपना भविष्य तय करने के लिए जनादेश देने की प्रक्रिया से गुजर रही हो, खुद को लोकतंत्र का अगुआ बताने वाले अमेरिका के सबसे लोकप्रिय लेकिन विवादास्पद प्रत्याशी के ऊपर गोली चल जाए। राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रम्प के ऊपर पेनसिल्वेनिया की एक सभा में चली गोली सियासत के दक्खिन टोले से आई या बाएं से, यह उतना मायने नहीं रखता जितना यह कि ऑप्टिक्स की राजनीति के इस दौर में वह गोली दरअसल किसका शिकार करेगी। फिलहाल, राष्ट्रपति जो बाइडन के लड़खड़ाते घुटने और धराशायी होते प्रचार में भविष्य के कुछ संकेत बेशक छुपे हैं।
यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्रिटेन में चौदह साल बाद लेबर पार्टी की वापसी, पोलैंड और ईरान में मध्यमार्गियों की जीत और फ्रांस के चुनाव में वाम तथा मध्यमार्गी दलों के गठबंधन का सबसे बड़ा बनकर उभरना दक्षिणपंथ के वैश्विक एकीकरण के युग में लोकतंत्र के हिमायतियों के लिए थोड़ी राहत की सांस लेने वाले पल के रूप में आया था। इस संक्षिप्त प्रकरण को कुछ टिप्पणीकार वामपंथ की वापसी के रूप में देख और दिखा रहे थे।
ठीक इसी बीच एक गोली चल गई, और तीन साल पहले 6 जनवरी, 2021 को ट्रम्प के उम्र समर्थकों द्वारा वॉशिंगटन की कैपिटल हिल इमारत पर किए गए हमले के इर्द-गिर्द निरंकुशता, फासीवाद, तानाशाही और लोकरंजक दक्षिणपंथ के खिलाफ बनाया गया नैरेटिव ही अब ध्वस्त होता दिख रहा है। हवा में उस शख्स की मुट्ठी "फाइट, फाइट" कहते हुए वापस लहरा रही है जिसे पूरी दुनिया में लोकतंत्र के लिए खतरे का सबसे बड़ा प्रतीक माना गया था। यूरोपीय संसद के लिए पिछले दिनों हुए चुनावों में दक्षिणपंथी धड़े की जीत ट्रम्प की बंधी हुई मुट्ठी को और मजबूत कर रही है।
यूरोप की ढलान
जिस दिन भारत में आम चुनाव का जनादेश आया, उसके दो दिन बाद 6 जून से यूरोपीय संसद के लिए चुनाव शुरू हुआ और 9 जून को यूरोपीय संघ के कुल 27 देशों की करीब पचास करोड़ जनता की नुमाइंदगी करने वाले 720 सांसद चुने गए। इसके साथ ही यूरोपीय संघ के कुछ देशों में भी चुनाव हुए हैं और कुछ अन्य में इस साल होने हैं।
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गांधी पर आरोपों के बहाने
गांधी की हत्या के 76 साल बाद भी जिस तरह उन पर गोली दागने का जुनून जारी है, उस वक्त में इस किताब की बहुत जरूरत है। कुछ लोगों के लिए गांधी कितने असहनीय हैं कि वे उनकी तस्वीर पर ही गोली दागते रहते हैं?
जिंदगी संजोने की अकथ कथा
पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट परदे पर नुमाया एक संवेदनशील कविता
अश्विन की 'कैरम' बॉल
लगन और मेहनत से महान बना खिलाड़ी, जो भारतीय क्रिकेट में अलग मुकाम बनाने में सफल हुआ
जिसने प्रतिभाओं के बैराज खोल दिए
बेनेगल ने अंकुर के साथ समानांतर सिनेमा और शबाना, स्मिता पाटील, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, गिरीश कार्नाड, कुलभूषण खरबंदा और अनंतनाग जैसे कलाकारों और गोविंद निहलाणी जैसे फिल्मकारों की आमद हिंदी सिनेमा की परिभाषा और दुनिया ही बदल दी
सुविधा पचीसी
नई सदी के पहले 25 बरस में 25 नई चीजें, जिन्होंने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली
पहली चौथाई के अंधेरे
सांस्कृतिक रूप से ठहरे रूप से ठहरे हुए भारतीय समाज को ढाई दशक में राजनीति और पूंजी ने कैसे बदल डाला
लोकतंत्र में घटता लोक
कल्याणकारी राज्य के अधिकार केंद्रित राजनीति से होते हुए अब डिलिवरी या लाभार्थी राजनीति तक ढाई दशक का सियासी सफर
नई लीक के सूत्रधार
इतिहास मेरे काम का मूल्यांकन उदारता से करेगा। बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस (3 जनवरी, 2014) में मनमोहन सिंह का वह एकदम शांत-सा जवाब बेहद मुखर था।
दो न्यायिक खानदानों की नजीर
खन्ना और चंद्रचूड़ खानदान के विरोधाभासी योगदान से फिसलनों और प्रतिबद्धताओं का अंदाजा
एमएसपी के लिए मौत से जंग
किसान नेता दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी लेकिन केंद्र सरकार पर असर नहीं