हरियाणा की 90 सीटों वाली विधानसभा के 5 अक्टूबर को मतदान के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की 4 सितंबर को जारी 67 उम्मीदवारों की पहली सूची में ही पार्टी आलाकमान की तमाम जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश उसके कुनबे में भारी बगावत में गुम होती लगी। बाद की सूची और मान-मनौवल की कोशिशें कितना काम करती हैं, शायद इसका नजारा 5 अक्टूबर की वोटिंग में दिखेगा। पहली सूची में 10 साल की एंटी-इन्कंबेंसी से उबरने के लिए शामिल किए गए 25 नए चेहरे परिवारवाद और दलबदल की देन हैं। परिवारवाद को लेकर कांग्रेस को कोसने वाली भाजपा इस बार उसी चाल में फंसती लग रही है। उधर, टिकट न मिलने से तीन मंत्री, सात विधायक और दो दर्जन से अधिक पूर्व मंत्री तथा विधायकों में 20 से अधिक नेता बतौर निर्दलीय भाजपा उम्मीदवारों को घेरने के लिए तैयार हैं। यही नहीं, कुछ जानकारों के मुताबिक प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से करीब 3,000 से ज्यादा सक्रिय और पकड़ रखने वाले नेता-कार्यकर्ता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं।
निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले मंत्रियों में रानियां से विधायक रणजीत चौटाला और सोहना के विधायक संजय सिंह हैं। टिकट कटने पर मंत्री विशंभर वाल्मीकि के रोने की तस्वीरें वायरल हुईं। बवानी खेड़ा से दो बार के विधायक विशंभर ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए मेयर निखिल मदान को टिकट दिए जाने के विरोध में आंसू बहाती पूर्व मंत्री तथा तीन बार की विधायक कविता जैन भी सोनीपत से आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतर सकती हैं। पूर्व मंत्री बच्चन सिंह आर्य को सफीदो से टिकट की उम्मीद थी पर वहां भी दलबदलू जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायक रामकुमार गौतम के भाजपा में शामिल होने के दो दिन बाद ही टिकट मिल गया। अब आर्य निर्दलीय खड़े होकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।
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