सरकारी संस्थाओं की साइबर सुरक्षा में तकनीकी और नीतिगत खामियों को दुरुस्त करने के एक महत्त्वपूर्ण कदम के तहत भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (सर्ट-इन) ने सभी सरकारी संस्थाओं के लिए सूचना सुरक्षा कार्यप्रणाली पर शुक्रवार को सख्त दिशानिर्देश जारी किए। इन दिशानिर्देशों के मुताबिक निजी संस्थाओं की तरह ही अब सरकारी संस्थाओं को भी साइबर सुरक्षा में खामियों से जुड़ी घटनाओं का अंदेशा होने के छह घंटे के भीतर ही अनिवार्य रूप से सर्ट-इन को साइबर सुरक्षा में सेंध की जानकारी देनी होगी। अगर उन्हें इस तरह के घटनाक्रम की जानकारी किसी तीसरे पक्ष से भी मिलती है तब भी उन्हें इसकी जानकारी देनी होगी। इस तरह के घटनाक्रम की सूचना महत्त्वपूर्ण साझेदारों जैसे कि विभिन्न क्षेत्रों के सर्ट और नियामक के साथ साझा की जानी चाहिए।
सरकारी कार्यालयों को अपने पूरे साइबर बुनियादी ढांचा की आंतरिक और बाहरी स्तर पर ऑडिट कराने की जरूरत होगी और ऑडिट के नतीजे के आधार पर ही उपयुक्त सुरक्षा नियंत्रण के इंतजाम भी करने होंगे। इसके अलावा कम से कम छह महीने में आंतरिक सूचना सुरक्षा ऑडिट भी अवश्य करानी होगी जबकि तीसरे पक्ष से सुरक्षा ऑडिट कम से कम साल के एक बार कराना होगा। बाहरी स्तर के ऑडिट के मकसद से सीईआरटी-इन के पैनल वाले ऑडिटर की सेवाएं ली जा सकती हैं।
दिशानिर्देशों के मुताबिक सभी सरकारी संगठनों को आईटी सुरक्षा के लिए एक मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी (सीआईएसओ) नियुक्त करने की जरूरत होगी। इस अधिकारी के साथ एक विशेष साइबर सुरक्षा टीम होगी जो आईटी परिचालन और इन्फ्रास्ट्रक्चर टीम से अलग होगी।
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