इस पर गांधीजी ने उत्तर दिया "अगर 'अ' का कब्जा जमीन पर है, और कोई शख्स उस पर इमारत बनाता है तो वह इमारत चाहे मस्जिद ही है, तो 'अ' को यह अधिकार है कि वह उस मजिस्द को या जो भी इमारत हो, उसे गिरा दे। बिना पूछे किसी की जमीन पर इमारत खड़ी करना सरासर डाकेजनी है। अगर ऐसी इमारत को उसे गिराने की ताकत नहीं है, तो न्यायालय की मदद से उसे गिरवा सकता है। मूल बात यह है कि जब तक मेरे कब्जे में कोई मिल्कियत है, तब तक उसकी हिफाजत जरूरी है। ऐसी हिफाजत भुजबल से हो सकें, तो भुजबल से करें, अदालत जाना पड़े तो अदालत जाए।"
५ फरवरी, १६२८ को रावलपिण्डी में मुसलमानों द्वारा सताए गए हिन्दुओं की एक सभा में गांधीजी ने कहा "मेरे विचार से पैसे की खातिर् या जान की खातिर अपनी इज्जत-आबरू खोकर जीना तो जीना नहीं है, वह तो मरने के बराबर है। (सम्पूर्ण गांधी गांधी वाङमय, खण्ड २६, विषय क्र. ३७) इसी अवसर पर गांधीजी ने आगे कहा, "मुसलमान कभी किसी स्त्री को भगा ले जाते हैं, और उसको मुसलमान बना लेते हैं । वह न तो कुरान जानती न कलमा पढ़ सकती, वह तो हिन्दू स्त्री है। भला वह इस तरह से मुसलमान कैसे हो गई? मैं यह कतई नहीं चाहता हूँ कि किसी हिन्दू स्त्री से जोर-जबर्दस्ती की जाए, यह मेरे लिए असह्य है। मुसलमान बताए कि क्या उनके धर्म में किसी की पत्नी को भगाने और मुसलमान बनाने की शिक्षा दी गई है।”
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष