एक बार किसी गृहस्वामी ने एक शुभ अवसर पर बहुत से विद्वानों को भोज पर आमंत्रित किया। उस भोज में देवता भी आए, असुर भी आए और अन्य ऋषि-मुनि व विद्वान् भी पधारे। अभी भोज के लिए लोग बैठने ही वाले थे कि असुरों ने गृहपति को बुलाया और शिकायत करते हुए बोले, “आप लोग हम असुरों के साथ सदा असमानता का व्यवहार करते हैं, यह उचित नहीं है। यह हमारा अपमान है। आज से यदि ऐसा व्यवहार हमारे साथ किया गया तो हम इस अन्याय का भीषण विरोध करेंगे।"
गृहपति ने हाथ जोड़ कर कहा, "आपके साथ किस प्रकार का अभद्र व अपमानजनक व्यवहार किया जाता है, कृपा कर साफ-साफ बताएं।”
असुरों में से दो-चार लोग आगे आए और क्रोध में फुफकारते हुए एक बोला, “यही कि आप लोग हर स्थान पर देवताओं को पहले पूछते हैं। उन्हें पहले भोजन परोसते। क्या यह अन्याय नहीं है? आज से यह सब नहीं चलेगा।"
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष