स्वामीजी के विचारों के अनुरूप ही उन्होंने अपने जीवन को गढ़ा था। स्वामीजी ने जिस आत्मनिर्भर और विश्वगुरु भारत की कल्पना की थी, उसी को साकार करने के लिए नेताजी ने अपने जीवन का उत्सर्ग किया था। जो पराधीन है, जिसका जीवन दूसरों पर निर्भर है; वह आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। इसलिए सर्वप्रथम भारत की स्वतंत्रता ही नेताजी का लक्ष्य था। भारत की स्वतंत्रता के साथ ही उन्होंने स्वाधीन भारत की राष्ट्रीय एकता के लिए समग्र चिन्तन किया था। नेताजी के पत्रों, लेखों और कथनों में उनके सपनों के भारत की झलक मिलती है। वास्तव में, 'आत्मनिर्भर भारत' ही 'विश्वगुरु भारत' हो सकता है।
भारत ‘आत्मनिर्भर तभी बन सकेगा जब प्रत्येक भारतवासी को 'भारत का बोध' होगा। भारतवासी जबतक 'भारत' को नहीं समझेंगे तबतक 'स्वयं' को नहीं समझ सकेंगे। विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर कहते थे “भारत को जानना है तो विवेकानन्द का अध्ययन कीजिए। उनमें सबकुछ सकारात्मक है, नकारात्मकता कुछ भी नहीं।” रवीन्द्रनाथ ठाकुर के इस वक्तव्य का प्रभाव भारतवर्ष के प्रबुद्ध समाज पर पड़ा और आज भी उनके इस कथन से प्रेरित होकर वर्तमान पीढ़ी स्वामी विवेकानन्द के साहित्यों का अध्ययन करती है। उल्लेखनीय है कि नेताजी ने जब स्वामी विवेकानन्द के साहित्यों का अध्ययन किया तब उन्हें अपना जीवन-ध्येय प्राप्त हुआ।
नेताजी के आदर्श स्वामीजी
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष