झूठ पर झूठ और तथ्यहीन वक्तव्य
Kendra Bharati - केन्द्र भारती|January 2023
देश में वनवासी बनाम आदिवासी राजनीति के केन्द्र में आ गए हैं। भारत जोड़ों यात्रा पर निकले कांग्रेस नेता राहुल गांधी मध्यप्रदेश पहुँच गए।
प्रमोद भार्गव
झूठ पर झूठ और तथ्यहीन वक्तव्य

उन्होंने जनजातीय जननायक टंट्या मामा की जन्मस्थली बड़ौदा आहीर में एक सभा को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि जब अंग्रेज टंट्या को फांसी दे रहे थे, तब कांग्रेस तो विरोध कर रही थी, लेकिन संघ अंग्रेजों के समर्थन में खड़ा था। राहुल इस तथ्य से अंजान हैं कि सं १८८८ में जब टंट्या भील को फांसी दी गई थी तब संघ अस्तित्व में ही नहीं आया था । संघ की स्थापना इस घटना के ३७ वर्ष बाद २७ सितम्बर, १६२५ को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी । यही नहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन भी इस घटना के महज तीन वर्ष पहले २८ दिसम्बर, १८८५ को हुआ था। उस समय तक कांग्रेस की पहुँच दूर-दराज के वनवासी इलाकों में नहीं थी। खंडवा के जिस निर्माण क्षेत्र में टंट्या भील और उनका समुदाय निवास करते थे, वहाँ इन्दौर के होल्कर शासक थे और वे अंग्रेजों के आधिपत्य में अपना शासन चला रहे थे। टंट्या जब अंग्रेजों के शोषण, दमन और धर्मांतरण से परेशान हो गए, तब उन्होंने अंग्रेजों से मुक्ति का शंखनाद कर दिया। उनका साथ वनवासियों के अलावा किसी ने नहीं दिया। 

टंट्या भील का जन्म मध्य प्रदेश के बिर्दा गांव में हुआ था। सन १८५७ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में जब पूरा देश विद्रोह की चिंगारी से सुलग रहा था, उस समय टंट्या की आयु लगभग २५ वर्ष थी। इसी दौर में अंग्रेजी कानून के बहाने ब्रिटिश हुकूमत ने टंट्या की दलीलों को दरकिनार कर उनकी पैतृक सम्पत्ति और जमीन की कुर्की कर अपनी अधीनता में ले लिया। टंट्या ने जब इस अन्याय का विरोध किया तो उन्हें खतरनाक अपराधी बताकर एक वर्ष की सजा देकर जेल भेज दिया। जेल से छूटने के बाद टंट्या ने कुछ वर्ष गुमनामी में काटे, लेकिन अंग्रेजों के क्षेत्र में बढ़ते अत्याचार और भीलों के ईसाईकरण ने उन्हें अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने को विवश कर दिया।

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