सभी प्राणियों में गाय अत्यंत पवित्र मानी जाती है। इसके शरीर से सात्त्विक ऊर्जा निकलती है। जिस घर में, जिस इलाके में गाय होती है उससे अमंगलकारी आभा एवं बहुत सारी अशुभ चीजें दूर हो जाती हैं। गाय के शरीर में सूर्यकेतु नाड़ी होती है जो गोकिरणों को पीती है इसीलिए गाय का सब कुछ पवित्र होता है। और किसी प्राणी का मल-मूत्र पवित्र नहीं माना जाता है, गाय का मैला (गोबर) व मूत्र पवित्र माना जाता है। मरते समय गाय के गोबर का लेपन करके व्यक्ति को सुलाया जाता है। वैदिक विधि-विधानों में भी गोझरण का उपयोग होता है । यह अशुद्ध जगह को शुद्ध करता है। जहाँ भगवान का सिंहासन लगाना है वहाँ गोबर से लीपते व पानी में गोझरण (अथवा गोमूत्र अर्क*) डाल के उससे पोता लगाते हैं। गाय के जीवन में, उसके मल-मूत्र में इतनी सात्त्विकता है।
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
एकादशी माहात्म्य - मोक्षदा एकादशी पर विशेष
ऐसी कल्पना आपका कल्याण कर देगी
बाबा कृष्ण बन जाते हैं, कृष्ण बाबा बन जाते हैं।
विलक्षण न्याय
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पूज्य बापूजी की रिहाई ही देश को विश्वगुरु बना सकती है
श्री अशोक सिंहलजी की जयंती पर हुए विशेष चर्चासत्र के कुछ अंश
गोपाष्टमी पर क्यों किया जाता है गायों का आदर-पूजन?
९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।