एक बार अकबर अपने छोटे बेटे को गोद में लेकर उसके साथ खेल रहा था। इतने में उसकी बेगम वहाँ आयी। अकबर ने बात-ही-बात में उसे दरबार में एक न्यायाधीश का पद खाली होने के बारे में बताया। साथ ही यह भी कहा कि वह इस पद पर अपने नवरत्नों में से एक, महा बुद्धिमान बीरबल को नियुक्त करना चाहता है। यह सुनकर बेगम ने जिद पकड़ ली कि उसके भाई को ही न्यायाधीश बनाया जाय। बेगम अपनी बात पर अड़ गयी और उसने तुरंत अपने भाई को महल में बुलवा लिया।
अकबर जानता था कि न्यायाधीश के पद के योग्य व्यक्ति तो केवल बीरबल ही है और बेगम का भाई तो अक्ल का अंधा है। फिर भी बेगम को बुरा न लगे इस दृष्टि से उसने कहा : "हम दोनों की परीक्षा लेकर देख लेते हैं। परीक्षा में जो सफल होगा उसे न्यायाधीश बनायेंगे।"
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
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बाबा कृष्ण बन जाते हैं, कृष्ण बाबा बन जाते हैं।
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९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।