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मानसूनी बादल
सोहित और साहिल फुटबौल मैच खेलने के लिए मिनी स्टेडियम गए थे.
भूरी बिल्ली ऊंचा ऊंट
विनय के बाल काफी ज्यादा भूरे थे. उस के बाल, आंखों की पलकें और त्वचा का रंग अन्य बच्चों से काफी अलग लग रहा था.
हैलो मिस मैगी
"रीना, क्या तुम ने मिस मैगी को देखा? कक्षा में आते ही यामा ने पूछा.
नए दोस्त का स्वागत
मानव का परिवार हाल में नए घर में शिफ्ट हुआ था. घर एक शांत इलाके में था. बाहर हरेभरे पेड़पौधे नजर आते थे. कुछ दूरी पर एक सुनसान सड़क थी, जहां से इक्कीदुक्की गाड़ियां ही गुजरती थीं. मानव को शांत माहौल काफी अच्छा लगता था, लेकिन पहली बार हकीकत में उसे यह मिला था.
बारिश में कैटी
टप...टप...टप... बारिश की पहली बूंद जैसे ही चंपकवन की सूखी मिट्टी पर पड़ी, पूरे जंगल में सौंधी महक फैल गई.
भैस का जन्मदिन केक
'यह इतनी अच्छी खुशबू कहां से आ रही है?' बेला चुहिया ने सोचा और नाक ऊपर कर चारों तरफ सूंघने लगी. फिर उस ने अपनी गोलमटोल आंखें घुमाईं तो उसे एक कोने में घर का किचन दिखाई पड़ा.
सबसे अच्छा दिन
"टीवी का रिमोट कहां है?" पापा ने नैना से पूछा.
पहाड़ों की रानी
जंपी बंदर को सैरसपाटे का बड़ा शौक था. वह घूमने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देता था. गर्मियों का मौसम शुरू होते ही जंपी गर्मियों की छुट्टियों का इंतजार करने लगा. वह जानता था कि हर बार की तरह उस के पापा इस बार भी उसे कहीं न कहीं घुमाने के लिए अवश्य ले जाएंगे.
शरारती मीकू
चंपकवन में बारिश का मौसम शुरू हो गया था. मौसम का फायदा उठाने और कुछ पैसे कमाने के लिए डमरू गधे ने बारिश के मौसम को देखते हुए दुकान खोल कर छाते बेचने का काम शुरू कर दिया.
रेत के टीलों पर ऊंट नाचा किस ने देखा
''मां, इस बार हम गर्मियों की छुट्टियों में घूमने कहां जा रहे हैं?' 10 साल की ईशा अपनी छोटी बहन मायरा को देख कर हंसी और मां से यह सवाल पूछ लिया.
ब्लू माउंटेन
हर बार जब हम ब्लू माउंटेन आस्ट्रेलिया की यात्रा को याद करते हैं तो हमें काफी आनंद आता है और बदन में डर से सिहरन सी दौड़ जाती है. उस शाम कुछ भी अनहोनी हो सकती थी.
असली महामारी
आनंदवन की रानी शीना शेरनी आज बहुत परेशान लग रही थीं. सुबह से ही वह अपनी गुफा में इधरउधर टहल रही थीं. परेशानी उन के चेहरे पर साफ झलक रही थी.
काला भूत
ऐसा लगता है, गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है,” इंदु खरगोश ने बीना बुलबुल से कहा.
मिल गया खजाना
गिन्नी ने जैसे ही मोबाइल पर यह समाचार पढा, वह खुशी से उछल पड़ी.
चंपकवन में शरणार्थी
चंपकवन के महाराजा शेरसिंह सुबह समाचारपत्र पढ़ रहे थे. पड़ोसी जंगलों रैडवुड और ग्रीनवुड के बीच चल रहे युद्ध के समाचार से वे खिन्न हो गए थे. जब वे दोनों जंगलों के निर्दोष जानवरों के बारे में सोच रहे थे, तभी चंपकवन का सुरक्षा प्रमुख यानी सिक्युरिटी चीफ रौकी कुत्ते ने गुफा में प्रवेश किया.
कैंप में चिप्स के पैकेट्स
मौसम बदल गया था. ठिठुरती ठंड अपना बोरियाबिस्तर समेट कर जा चुकी थी और इस के साथ ही बढ़ गई थी चुनमुन और तान्या की उछलकूद. अब वे घर में कहां टिकने वाले थे. अमेरिका से आए चाचा वहां रह रहे थे. इस के अलावा उन्हें अपने भतीजे और भतीजी की चापलूसी करने की आदत थी.
रैना की पहाड़ यात्रा
रैना चुहिया गरमी सहन नहीं कर पाती थी. इसलिए इस बार उस ने फैसला किया कि गरमी से बचने के लिए पहाड़ों की सैर करेगी, लेकिन वह वहां जाएगी कैसे? ये तो उस ने सोचा ही नहीं था. इन दिनों वह दिनरात इसी उधेड़बुन में लगी रहती थी.
गजब का सहायक फुरू
फुरू ने कहा, "लेकिन मालिक, मैं तो उसे नहीं जानता हूं. मैं उसे कैसे पहचानूंगा?"
पंखों की प्रशंसक फराह
फराह एक छोटी सी खूबसूरत लड़की, पंखों की प्रशंसक थी. उस के मम्मीपापा के कमरे में एक लाल रंग का सीलिंग फैन था. दादीमां के कमरे में छत का सफेद पंखा था. फराह के पास ब्लू कलर का एक टेबल फैन था. उस के बाद भी फराह की शिकायत थी, "हमारे स्टोररूम और काम के एरिया में एक भी पंखा नहीं है. मुझे अपनी पम्मी बिल्ली के लिए भी एक छोटे से पीले रंग के पंखे की जरूरत है."
प्यारे नर्स भैया
पारस के पापा पेशे से डाक्टर थे. उन का अपना नर्सिंगहोम था, जिस में मरीजों के रहने के लिए दस कमरे व एक औपरेशन थियेटर था. समयसमय पर और भी डाक्टर वहां आते थे. इस के अलावा उन्होंने मरीजों की देखभाल करने के लिए कुछ नर्से भी नियुक्त की थीं.
जंगल में चुनाव
मध्य प्रदेश में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं के बीच चंपकवन नाम का एक बहुत घना जंगल था. शेरसिंह वहां के राजा थे. शेरसिंह बहुत अच्छे राजा थे और वे अपनी प्रजा का पूरा ध्यान रखते थे. उस के राज में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही तरह के जानवर खुशीखुशी जंगल में रहते थे. जंगल में सभी के लिए पर्याप्त खाना और पानी था, किसी को कोई परेशानी नहीं थी. इसलिए सब शेरसिंह को काफी पसंद करते थे.
शांत महारानी
नूरनाम का एक बाघ महारानी थी, जो घमंडी और गर्ममिजाज की थी. वह बिना मतलब गुर्राती, दहाड़ती और जंगल के जानवरों को डराती थी.
मैं भी चार्ली चैप्लिन बनूंगी
तिष्या दादाजी की छड़ी ले कर शीशे के सामने खड़ी हो गई और गुनगुनाने लगी, "मैं भी चार्ली चैप्लिन की तरह बनूंगी, मैं चार्ली चैप्लिन की तरह रहूंगी,” तभी उस के कानों में अचानक दादाजी की आवाज सुनाई दी, “तिष्या, मेरी छड़ी और बोलने से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि उस के लिए दिल भी बिलकुल चार्ली चैप्लिन जैसा होना चाहिए."
जब रेस्टोरेंट में मचा कोलाहल
क्रीओ और वेंडी नाम के 2 मगरमच्छ कारमेल झील के पास रहते थे. एक दिन जब वे हमेशा की तरह झील से बाहर निकल कर धूप सेंक रहे थे, क्रीओ ने सुझाव दिया, “हमारी झील के सामने वाले उस रैस्टोरेंट में हमें चलना चाहिए. तुम्हारा क्या विचार है, वेंडी?"
भेदभाव
लीली मैना अपना घोंसला बनाने के लिए जगह तलाश रही थी. आखिर उस ने घोंसला बनाने के लिए बरगद के पेड़ की एक शाखा को चुना. वह खुद तिनके चुन कर लाई और अपना घोंसला बनाने में जुट गई. अभी उस ने शुरुआत ही की थी कि एक मोर उछलता हुआ वहां आया. उस ने लीली को देखते ही अपने नथुने फुलाए और फिर अकड़ कर कहा, “अरे, ओ पिद्दी, तू यहां क्या कर रही है? यह जगह तुम जैसे छोटे पक्षियों के लिए नहीं है. यहां हम जैसे बड़े पक्षी रहते हैं, चल भाग यहां से.''
गुनगुनी धूप
मनाली शहर में पिछले कुछ दिनों से आसमान पर बादल छाए हुए थे. हर कोई सूरज और धूप का ही इंतजार कर रहा था. रविवार को पंकज ने खिड़की से बाहर झांका तो उसे अपने गालों पर गुनगुनी सी गरम हवा के छूने का एहसास हुआ यानी धूप तेज थी. उस की गरमी महसूस हो रही थी. पंकज खुशी के मारे सारे घर में इधर से उधर ताकझांक कर रहा था.
लालच बुरी बला
डीना हिरन बहुत मेहनती थी. दिन भर वह मन लगा कर काम करती. काम के बदले जो पैसे मिलते थे उन में से थोड़ा सा खर्च करने बाद बचे हुए पैसे वह बैंक में जमा करा देती थी.
किताब का रहस्य
माया और काव्या जुड़वां बहनें थीं. उन की आदतें बिलकुल अलगअलग थीं. जहां माया को अपनी हर चीज सलीके से रखनी पसंद थी, अपना हर काम एकदम कायदे और समय पर करना पसंद था तो वहीं काव्या लापरवाह और आलसी थी. सुबह उठने या रात को सोने का उस का कोई समय नहीं था.
घोड़े की खरीदारी
एक बार की बात है, एक राजा था. वह थोड़ा सनकी था. एक बार एक व्यापारी 4 घोड़े ले कर उस के दरबार में हाजिर हुआ. उस ने राजा को बताया कि चारों घोड़े बेहद नायाब किस्म के हैं. सभी एकदूसरे से बढ़ कर हैं. ऐसे घोड़े उन्हें कहीं और नहीं मिलेंगे. आप फौरन इन्हें खरीद लें.
पिग्गी की कुंभकर्णी नींद
"उर...र...र... गुर...........फुर..........." सूअर के बच्चे, पिग्गी के खर्राटों ने अचानक क्लास को झकझोर दिया. बच्चे ठहाके लगा कर हंस पड़े और सीटी बजाते हुए चीखने लगे. लेकिन पिग्गी पर उस का कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि वह गहरी नींद में सो रहा था.