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बढ़ेगी परमाणु हथियारों की होड़
परमाणु हथियारों और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर लम्बे समय से गम्भीर मतभेद बने हुए हैं। पिछले एक दशक में हथियार नियंत्रण को लेकर स्थिति काफी भयावह हुई है, जिससे वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ा है। कई देशों ने इस बीच हथियारों का जखीरा बना लिया है। इसके साथ यह भी सच है कि परमाणु हथियारों की संख्या में गिरावट आ रही है, लेकिन अमेरिका के आईएनएफ संधि से पीछे हटने और नई मिसाइलें तैनात करने से दो चीजें हो सकती हैं- पहला, हिंद- प्रशांत क्षेत्र को परमाणु हथियारों का निशाना बनता देख उसे रणक्षेत्र में बदलने से रोकने के लिए रूस और चीन नए परमाणु निःशस्त्रीकरण के लिए तैयार हो जाएं, ठीक वैसे ही। जैसे 1980 के दशक की शुरुआत में यूरोप में परमाणु मिसाइलों की तैनाती के कारण मॉस्को । आईएनएफ संधि के लिए राजी हो गया था।
केजरीवाल की हैट्रिक
दिल्ली चुनाव नजदीक आते-आते नागरिकता संशोधन कानून यानि सीएए का मुददा जोर पकड चुका था हालांकि केन्द्र में सत्तारूढ भाजपा ने इस मुद्दे को दिल्ली से पहले झारखण्ड में भी कैश कराने का प्रयास किया था लेकिन वहां भी स्थानीय मुद्दे भाजपा के राष्ट्रवाद पर भारी पड़ गए। बात यदि दिल्ली कि हो तो यहां भी सीएए पर जामियां और शाहीनबाग में रोज नया बखेड़ा हुआ। शाहीनबाग में तो लगातार धरना प्रदर्शन महीनों से जारी है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों ने शाहीनबाग बनाम राष्ट्रवाद का दांव खेला और पूरे चुनाव को सीधे-सीधे दो हिस्सों में बांटने का प्रयास किया। दिल्ली के चुनाव परिणामों से एक बात तो साफ हो गई कि भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों से चूक हुई। बीजेपी ने चुनाव में पूरी ताकत लगाई। लेकिन दिल्ली की जनता ने बीजपी को सत्ता देने के बजाय केजरीवाल को ही अपना नेता चुना।
उत्तर पूर्व को दिल्ली के नजदीक लाएगा बू-रियांग और बोडो समझौता
पीएम मोदी के अनुसार जिस नॉर्थ ईस्ट में लगभग हर क्षेत्र में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) लगा हुआ था, अब यहां त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश का ज्यादातर हिस्सा अफस्पा से मुक्त हो चुका है। नॉर्थ ईस्ट के अलग-अलग क्षेत्रों के भावनात्मक पहलू और उनकी उम्मीदों को समझा गया है। पीएम मोदी ने कहा कि पहले नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को अनुदान प्राप्तकर्ता राज्य के तौर पर ही देखा जाता था। आज उनको विकास के ग्रोथ इंजन के रूप में देखा जा रहा है। पहले नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को दिल्ली से बहुत दूर समझा जाता था, आज दिल्ली से उत्तर पूर्व को रेलवे और वायुमार्ग से तेज गति से जोड़ा गया है। जिस नॉर्थ ईस्ट में हिंसा की वजह से हजारों लोग अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए थे, अब यहां उन लोगों को पूरे सम्मान और मर्यादा के साथ बसने की नई सुविधाएं दी जा रही हैं।