महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी कारखाना महासंघ के चेयरमैन जयप्रकाश दांडेगांवकर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इससे चीनी मिलों को अपना घाटा दूर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि लगभग 250 लाख टन की आवश्यकता के मुकाबले देश में हर साल लगभग 310 लाख टन चीनी का उत्पादन होता है।
この記事は Sugar Times の October 2020 版に掲載されています。
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पूरी दुनिया में पहुंचेगी पूर्वांचल की मिठास : योगी
मुंडेरवा व पिपराइच चीनी मिलों में सल्फर रहित प्लांट का सीएम ने किया लोकार्पण
एथेनॉल उत्पादन के लिए प्रयास तेज
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे प्रदेश के सरप्लस धान से एथेनॉल उत्पादन के लिए केन्द्र से अनुमति देने का अनुरोध किया है।
वीडियो कांफ्रेंस के जरिए, फेडरेशन मिलों की हुई समीक्षा
मुजफ्फरनगर स्थित दि गंगा किसान सहकारी चीनी मिल मोरना के अधिकारियों से प्रदेश के गन्ना मंत्री श्री सुरेश राणा ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मिलों के कार्यकलापों की समीक्षा की।
किसानों की समृद्धि का साथी बनेगा एथेनॉल
भारत चीनी का एक बड़ा उत्पादक देश है। साथ ही हम बड़ी मात्रा में चीनी का निर्यात भी करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने कुछ दिनों पहले ही इस पर 3,500 करोड़ रुपये के अनुदान की घोषणा की है, जिससे इस वर्ष भी हम करीब 60 लाख टन चीनी का निर्यात कर पाएंगे। इस अनुदान से देश के लाखों गन्ना किसानों को फायदा होगा। सरकार गन्ना किसानों के लाभ के लिए कई कदम उठा रही है।
गन्ने की उपज में आठ किसानों ने रचा इतिहास
लखीमपुर जिले के पहली बार सफलता हासिल करने वाले आठ गन्ना किसान सम्मानित किए गए। जिन्होंने 18 से 20 फीट का गना उपजाकर सफलता की नई इबारत लिखी है। इसके साथ ही सह फसली खेती से अतिरिक्त आय हासिल की है।
वैश्विक बाजार में घटेंगी चीनी की कीमतें
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी निर्यातक राष्ट्र थाईलैंड में चीनी का उत्पादन लगभग 80-90 लाख टन कम हुआ है। इसलिए, भारत के पास मध्य पूर्व, श्रीलंका, बांग्लादेश, पूर्वी अफ्रीका आदि में अपने स्वयं के पारंपरिक बाजारों के अलावा इंडोनेशिया और मलेशिया को चीनी निर्यात करने का अवसर है। भारत के पास मार्च-अप्रैल 2021 तक चीनी, जब तक कि ब्राजील की चीनी बाजार में नहीं आ जाती, तब तक अनुबंध और निर्यात करने का एक अच्छा अवसर है।
गन्ना एवं चीनी उत्पादन में प्रदेश लगातार 3 वर्षों से देश में है अव्वल
राज्य सरकार गना किसानों की समृद्धि और चीनी उद्योग में स्थिरता लाये जाने की दिशा में पूर्ण कौशल और आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए पूरी गम्भीरता से कार्य कर रही है।
जैविक खाद में प्रेसमड का उपयोग
खेती किसानी प्रमुख रूप से बीज, सिंचाई और उर्वरक पर आधारित होता है। यह तीनों ही तथ्य महत्वपूर्ण है। आज कल कृषि में उत्पादन वृद्धि के साथ-साथ उपज की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण हो गई है।
पिछले और वर्तमान सत्र के गन्ना मूल्य भुगतान के लिए बनायें दबाव
गन्ने के कैंसर कहे जाने वाले रेड रॉट रोग को प्रभावहीन करने के लिए राज्य सरकार संकल्पबद्ध है। गन्ना किसानों को चीनी मिलों द्वारा वितरित किये जाने वाले गन्ना बीज को फफूंदनाशी दवा से उपचारित करने के बाद ही वितरित किया जायेगा। अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग श्री संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में विभागीय अधिकारियों तथा चीनी मिल प्रतिनिधियों के साथ प्रदेश स्तरीय मासिक समीक्षा बैठक 7 फरवरी को लखनऊ में सम्पन्न हुई।
चीनी एमएसपी पर स्पष्टता की मांग
चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की घोषणा की खबरों के बीच बाजार में अभी भी अस्पष्टता बनी हुई है। हालाँकि एमएसपी पर अभी तक इस पर कोई रुख साफ़ नहीं हुआ है। जिसके कारण बाजार में असमंजस का माहौल बना हुआ है।