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INDIA'S #1 OATS BRAND SAFFOLA LAUNCHES FOUR NEW DELICIOUS GOURMET FLAVOURS
Marico, one of India’s leading FMCG companies, introduces four exciting gourmet-style flavours in its flavoured Oats range, under its flagship brand – Saffola.
LAURA MERCIER PARTNERS WITH BACCAROSE FOR ENTRY INTO INDIAN MARKET
French skincare brand Laura Mercier has partnered with Baccarose, a beauty and cosmetics distribution firm for its entry into the beauty market in India.
HYPHEN EXPANDS PRODUCT PORTFOLIO
Hyphen, a skincare brand by Pep Technologies and actor Kriti Sanon has expanded its sunscreen range with the launch of its new ultra-light water sunscreen.
अधिक मुनाफा वाली सरसों किस्म आरएच 1424 व आरएच 1706
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित सरसों की उन्नत किस्में न केवल हरियाणा, बल्कि देश के अन्य प्रदेशों के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होंगी. इस के लिए विश्वविद्यालय ने नैशनल क्रौप साइंस, बीकानेर (राजस्थान), माई किसान एग्रो नीमच (मध्य प्रदेश), फेम सीड्स (इंडिया) व उत्तम सीड्स हिसार के साथ तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए समझौता किया है.
पशुओं के लिए खास गिनी घास
पशुपालकों के लिए साल के कुछ महीने ऐसे होते हैं, जिस में वह आसानी से हरा चारा ले सकता है, लेकिन गरमियों में प ज्यादा पानी व सिंचाई की कमी में पशुओं के लिए जरूरी मात्रा में हरा चारा उगा पाना कठिनाई भरा होता है.
खेती के लिए वर्मी कंपोस्ट है खास
कुछ ऐसे पदार्थ, जो सड़गल सकते हों या जैविक खाद का रूप ले सकते हों, जैसे घर की सागसब्जी या उस के छिलके, फलों के छिलके, पशुओं का गोबर, पेड़ पौधों के पत्ते, खेतों के अवशेष वगैरह जिन्हें सड़ने पर केंचुओं द्वारा खाया जाता है और मल के रूप में केंचुए जो पदार्थ निकालते हैं, वही वर्मी कंपोस्ट होता है.
बैगन की उन्नत खेती
सब्जियों में बैगन की खेती खास माने रखती है, क्योंकि किसानों को इसे बेचने में कोई परेशानी नहीं होती है.
मुनाफे का एग्रीकल्चर बिजनैस आइडिया
आज देश में बढ़ती हुई आबादी और घटती हुई खेती की जमीन को देखते हुए जरूरी है कि इसे व्यवसाय के रूप में अपनाना होगा. लघु एवं सीमांत किसानों को अपनी आय में अगर इजाफा करना है तो वह किसी व्यवसाय को अवश्य अपनाएं.
ऐसे करें फसलों में रोग प्रबंधन
हमारे देश में कीटों और रोगों के प्रकोप से हर साल 18-30 फीसदी तक फसल बरबाद हो जाती है, जिस से देश को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है. रोगों और कीटों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए रासायनिक कीटनाशकों की जरूरत पड़ती है. आज इन रासायनिक कीटनाशकों की खपत साल 1954 में 434 टन की तुलना में 90 के दशक में तकरीबन 90,000 टन तक पहुंच गई थी, जो अब 55,000 टन के आसपास है.
प्राकृतिक खेती आज की जरूरत
प्राकृतिक खेती एक भारतीय पारंपरिक कृषि पद्धति है, जो प्रकृति के साथ तालमेल बना कर पर्यावरण संरक्षण के साथसाथ स्वास्थ्यवर्धक खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही टिकाऊ खेती को बढ़ावा देती है. प्राकृतिक खेती में रसायनों के प्रयोग को पूरी तरह से वर्जित किया जाता है और फसलोत्पादन के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग पौध पोषण एवं फसल सुरक्षा के लिए किया जाता है.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की अनेक किस्में
वर्तमान समय में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान विकसित गेहूं की किस्में द्वारा तकरीबन 9 मिलियन हेक्टेयर में फैली हुई हैं और अन्न भंडार में 40 मिलियन टन गेहूं का योगदान करती हैं.
मिल्किंग मशीन : दुधारू पशुओं से दूध दुहने का खास यंत्र
मिल्किंग मशीन किसानों के लिए एक ऐसी खास मशीन है, जो घरेलू पशुपालन और डेयरी फार्मिंग के लिए बहुत ही उपयोगी है. इस के इस्तेमाल से पशुओं से साफसुथरा दूध निकाला जाता है. इस में समय भी कम लगता है और पशु भी सुविधा रहती है.
जैव उर्वरकों से पोषण प्रबंधन और उपयोग के तरीके
पिछले कुछ दशकों में आत्मनिर्भरता की स्थिति तक कृषि की वृद्धि में उन्नत किस्म के बीजों, उर्वरकों, सिंचाई जल एवं पौध संरक्षण का उल्लेखनीय योगदान है. वर्तमान ऊर्जा संकट और निरंतर क्षीणता की ओर अग्रसर ऊर्जा स्रोतों के कारण रासायनिक उर्वरकों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं.
मिर्ची की खेती ने बदली गांव की तसवीर
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के खंडार उपखंड के छान गांव का नजारा इन दिनों लालिमा लिए हुए है. यदि पहाड़ रा की ऊंचाई पर चढ़ कर देखें, तो दूरदूर तक सिर्फ मिर्ची ही मिर्ची सूखती हुई दिखाई देती हैं. यहां की मिर्ची न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी धूम मचा रही है. देशभर के व्यापारी गांव में आ कर मंडी लगाते हैं और यहां से विदेशों तक सप्लाई करते हैं.
कैसे पहचानें असलीनकली उर्वरक
नकली एवं मिलावटी उर्वरकों की समस्या से निबटने के लिए समयसमय पर विभागीय अभियान चला कर जांचपड़ताल की जाती है, फिर भी यह आवश्यक है कि खरीदारी करते समय किसान उर्वरकों की शुद्धता मोटेतौर पर उसी तरह से परख लें, जैसे बीजों की शुद्धता, बीज को दांतों से दबाने पर कट और किच्च की आवाज से, कपड़े की गुणवत्ता 'उसे छू कर या मसल कर और दूध की शुद्धता की जांच उसे उंगली से टपका कर लेते हैं.
मार्च महीने में खेती के खास काम
इस महीने में जहां एक ओर रबी की फसलें तैयार होने को होती हैं, तो वहीं दूसरी तरफ जायद की तमाम फसलों की बोआई का सिलसिला चालू हो जाता है. गेहूं की फसल में दाने बनने लगते हैं. चीनी की फसल यानी गन्ना कटाई के लिए तैयार हो जाता है.
जलकुंभी से करें जल का उपचार
जलकुंभी एक जलीय पौधा है, जिस का उपयोग अपशिष्ट ज जल और भारी धातुओं को हटाने के लिए किया जा सकता है. जी हां, जलकुंभी फ्री फ्लोटिंग यानी स्वतंत्र रूप से तैरने वाला जलीय पौधा है, जिस का उपयोग अपशिष्ट जल के उपचार और भारी धातुओं को हटाने के लिए किया जा सकता है.
घीया की खास किस्म 'एचबीजीएच हाईब्रिड-35'
हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित घीया की संकर किस्म 'एचबीजीएच हाईब्रिड35 किस्म ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है, जिस से कि किसान न केवल इस किस्म की अच्छी पैदावार पा सकते हैं, बल्कि अच्छी आमदनी हासिल कर अपनी माली हालत को मजबूत भी कर सकते हैं.
55 दिनों में तैयार होगी 'जनकल्याणी मूंग'
वाराणसी के प्रगतिशील किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी ने बताया कि उन की 'कुदरत कृषि शोध संस्था' द्वारा मूंग की नई प्रजाति 'जनकल्याणी मूंग' विकसित की गई है, जिस की फसल मात्र 55 दिनों में पक कर तैयार हो जाएगी.
नेटाफिम सिंचाई तकनीक बूंदबूंद पानी का इस्तेमाल
आज के समय में पानी व सिंचाई ऐसा विषय है, जिन पर बहुतकुछ सोचा व किया जा रहा है, खासकर खेती की सिंचाई की बात करें, तो हमारे देश में अलगअलग जलवायु है. कहीं बेहिसाब पानी है, तो कहीं सूखा पड़ता है, इसलिए हमें पानी को ले कर जल संरक्षण के बारे में सोचना होगा. कम पानी में भी अच्छी खेती की जा सकती है. इस के लिए हमें खेती में सिंचाई के लिए आधुनिक तौरतरीकों को जानना होगा और उन्हें अपनाना होगा.
भारत में टौप सुपर सीडर
सुपर सीडर यंत्र किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी है. इस से मजदूरी, समय, पैसे आदि की भी बचत होती है. इस के उपयोग से हमारा वातावरण दूषित नहीं होता है और मिट्टी की उर्वरता और गुणवत्ता दोनों ही अच्छी बनी रहती हैं.
जीवाणु कल्चर बायोडीकंपोजर
बायोडीकंपोजर 'जैविक कृषि अनुसंधान केंद्र' द्वारा बनाया गया अपशिष्ट विघटनकारी है. न कोई खाद, न कोई पैस्टीसाइड, न फफूंदनाशी. यह कृषि की एक नई विधि है, जो पूरी तरह से जैविक है. यह बायोडीकंपोजर किसानों की लागत को आधा करती है. पैस्टीसाइड पर होने वाले खर्च को भी बहुत कम कर देती है.
पौधों में डालें ये खाद फसल नहीं होंगी खराब
सर्दी का मौसम सब से ज्यादा मुश्किल भरा होता है. इस मौसम में पौधों की बढ़वार धीमी हो जाती है, इसलिए उन्हें अधिक पोषण की जरूरत होती है. ऐसे में पौधों को सही खाद देना बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. पौधों को सर्दियों में मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए कुछ खास तरह की खादें दी जाती हैं. ये खादें घर पर भी बनाई जा सकती हैं.
लाभकारी आर्टीमिसिया (क्वीन घास) की खेती
आर्टीमिसिया यानी क्वीन घास के बारे में लोगों को कम ही जानकारी होगी. बता दें कि मच्छरों से होने वाली बीमारी मलेरिया से बचाव के लिए जिन दवाओं का प्रयोग किया जाता है, वह आर्टीमिसिया (क्वीन घास ) नाम के औषधीय पौधें की सूखी पत्तियों से तैयार की जाती है. इसी वजह से दवा बनाने वाली कंपनियों में आर्टीमिसिया की सूखी पत्तियों की भारी मांग बनी रहती है. भारी मांग के चलते आर्टीमिसिया की खेती बेहद फायदे का सौदा साबित हो रही है.
अंगूर की खेती से अच्छा मुनाफा
हमारे देश में कारोबारी रूप से अंगूर की खेती पिछले तकरीबन 6 दशकों से की जा रही है. माली नजरिए से सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बागबानी उद्यम के रूप में अंगूर की खेती अब काफी उन्नति पर है. आज महाराष्ट्र में सब से अधिक क्षेत्र में अंगूर की खेती की जाती है और उत्पादन की दृष्टि से यह देश में अग्रणी है.
जैविक खेती की जरूरत और अहमियत
जैविक खेती, जिसे इंगलिश में और्गेनिक फार्मिंग भी कहते हैं, फसल, सब्जियां, फल और फूल उगाने की वह पद्धति है, जिस में कृत्रिम और रासायनिक निवेशों जैसे उर्वरक बीमारी और खरपतवारनाशक रसायन, वृद्धि उत्प्रेरक पदार्थों आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
खेती पर अंधविश्वास की मार
पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के तमाम किसान रविवार और मंगलवार के दिन खेतों की बोआई की शुरुआत नहीं करते हैं, क्योंकि उन का मानना है कि मंगलवार व रविवार को धरती माता सोती हैं.
रबी की सब्जियों में लगने वाली बीमारियों की रोकथाम
रबी मौसम में अनेक सब्जियां उगाई जाती हैं. पर किसान फसलचक्र नहीं अपनाते हैं, जिस से सागसब्जियों में रोगों का प्रकोप बहुत ज्यादा मिलता है.
लोबिया की खेती व खास किस्में
बरबटी की खेती पशुओं के लिए हरा चारा, दाल व हरी फलियों की सब्जी के तौर पर की जाती है.
वनराजा मुरगीपालन
'ग्रामीण आजीविका 'मिशन' के तहत भूमिहीन एवं छोटी जोत वाले किसानों के जीविकोपार्जन एवं उन को माली रूप से मजबूत बनाने के लिए बैकयार्ड पोल्ट्री फार्म यानी वनराजा मुरगीपालन एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है, जिस में कम खर्च एवं कम व्यवस्थाओं में भी अच्छी आय अंडा उत्पादन और मांस उत्पादन से हासिल किया जा सकता है.