यम यानि क्या - अहिंसासत्यास्तेय ब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमाः ।।2.30।।
Yoga and Total Health|February 2024
सूत्रार्थ - अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह ये पाँच यम हैं, यानि दूसरों को दुःख न देना, सत्य बोलना, दूसरों की वस्तुओं या धन आदि का अपहरण न करना, ब्रह्मचर्य से रहना तथा संचय वृत्ति का न होना यम कहलाता है।
प्रोमिल जैन सिक्वेरा
यम यानि क्या - अहिंसासत्यास्तेय ब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमाः ।।2.30।।

भावार्थ - महर्षि पतंजलि एक ही सूत्र में पाँच यम का विवरण कर रहे हैं - इन पाँचों को हम एक-एक कर विस्तार से जानेंगे, पर इससे भी पहले इस लेख में हम "यम" की बात करते हैं।

यम - यम का अभ्यास हमारे व्यक्तित्व की नींव को मजबूत बनाता है। निम्न अधिकारी के लिये योग की शुरूआत यहीं से होती है। यम नियम पर महर्षि पतंजलि ने 16 सूत्र हमें दिये हैं इसी से समझ आता है कि आध्यात्मिकता की नींव को मजबूत करने के लिये इन पर इतना ज़ोर दिया गया है।

शुरूआत में अष्टांग योग का पहला अंग है यम। यम शब्द सुनते ही किसकी याद आती है? मृत्यु के देवता यमराज की याद आती है। यहाँ भी यम का अर्थ एक प्रकार से हम मृत्यु ही ले सकते हैं -

मृत्यु - यानि हमारे बुरे विचारों की बुरी सोच की और बुरे कर्मों की।

मृत्यु - यानि हमारी बुरी आदतों की। 

この記事は Yoga and Total Health の February 2024 版に掲載されています。

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