एक भगोड़ा न सिर्फ पकड़ में नहीं आ रहा था, बीच-बीच में नुमायां होते हुए ताने देकर वह चुटकी और काट जाता था. खालिस्तान का झंडा उठाने वाले अमृतपाल सिंह का 30 मार्च तक यह खेल जारी था. हालांकि, यह संभावना जताई जा रही थी कि या तो वह गिरफ्तार होने वाला है या आत्मसमर्पण करने वाला है. कुछ भी संभव है. पर फिलहाल तो वह पुलिस के साथ तू डाल-डाल, मैं पात-पात खेल रहा है. 27 तारीख की सुबह अमृतपाल और उसके साथी पपनप्रीत सिंह की सेल्फी कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आई. अमृतपाल ने अपनी सामान्य सीधी-सादी वेशभूषा के बजाए पूरी बांहों की स्वेट शर्ट और रे-बैन एविएटर चश्मा पहना था और बेतरतीब ढंग से मरून पगड़ी बांध रखी थी. कैन से एनर्जी ड्रिंक के सिप लेते हुए दोनों इस बात से बेपरवाह नजर आ रहे थे कि वे पंजाब पुलिस की मोस्ट वांटेड लिस्ट में नंबर 1 पर हैं और पुलिस बल और केंद्रीय जांच एजेंसियों की भी पूरी ताकत उन्हें और उनके संगठन वारिस पंजाब दे के सदस्यों को पकड़ने के लिए झोंक दी गई है. दो दिन बाद वह एक कदम और आगे निकलकर एक वीडियो जारी किया. उसके घर पर ही उसे गिरफ्तार न करने के लिए पुलिस की खिल्ली उड़ाते हुए उसने अपने संगठन वारिस पंजाब दे के खिलाफ कार्रवाई को पूरी सिख बिरादरी पर ज्यादती बताया. उसने अकाल तख्त के जत्थेदार से 13 अप्रैल को बैसाखी पर सिख धर्म की सभी संगतों का सम्मेलन यानी सरबत खालसा की मांग की. सरेंडर की तो उसकी कोई मंशा ही नहीं दिखी. यह एक तरह से पुलिस की नाक में उंगली थी क्योंकि उसके अफसर तो सरेंडर की ही बात करते आ रहे थे.
सच पूछिए तो किसी को अंदाज न था कि यह सेल्फी कब ली गई है या यह वीडियो कौन डाल रहा है. बस सुरागों के टुकड़े जोड़े गए थे: चाहे वह पुलिस की लीक की जा रही धुंधली-सी सीसीटीवी फुटेज हो, जिसमें वह अमृतपाल के जगह-जगह पर दिखने का दावा कर रही थी, या फिर यह खबर कि केंद्रीय एजेंसियों ने दोनों के ब्यौरे नेपाल को दे दिए हैं. इससे यह भी अंदेशा बन रहा था कि अमृतपाल सीमा पार कर गया है और नेपाल से ब्रिटेन जाने की फिराक में है.
この記事は India Today Hindi の April 12, 2023 版に掲載されています。
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