एक वक्त था जब अमृता पिल्लै (बदला हुआ नाम) शुक्रवार की रातें डिजिटल चैट के अपने जिगरी दोस्तों के साथ यौन मौज-मस्ती के लिए रखती थीं. यह पांच साल पहले की बात है जब 29 बरस की पिल्लै निवेश बैंकिंग क्षेत्र में मिड-करियर पेशेवर थीं. अब 34 वर्षीया, मुंबई में रह रही पिल्लै के पास इतने ढेरों काम हैं कि उन्हीं में सारा वक्त चला जाता है. शुक्रवार की पसंदीदा रातों तक के लिए वक्त नहीं होता. उन पर दो युवा इंटर्न की जिम्मेदारी है, काम का बोझ दोगुना हो गया है, घर का लोन चुकाना है, लोकल ट्रेन के बजाए अपनी कार से चलने लगी हैं तो घर से दफ्तर आने-जाने में ज्यादा वक्त लगता है और गर्भाशय के अंदर कैंसर से उबर रहीं बुजुर्ग मां हैं. वे पूछती हैं, "सुख (सेक्स) के लिए समय कहां है? थोड़ा-बहुत वक्त होता भी है तो मैं बस सोना और अकेले रहना चाहती हूं. डेटिंग, सेक्स, मास्टरबेशन, रोमांस... अब मजे से ज्यादा काम लगते हैं." वे कहती हैं कि जब उन्हें डेट पर जाने का वक्त मिला भी, तो आदमी बुरी तरह नाकाम रहे. पिल्लै अफसोस के साथ कहती हैं, "मैं जिन लोगों से मिलती हूं, वे भी थके होते हैं. उनकी दिलचस्पी बस खुद में होती है और औरत की देह को समझने का कोई जतन नहीं करते. यह दोहरा झटका होता है - एक तो सेक्स के लिए कम वक्त और जब वक्त मिले भी तो सेक्स बुरा हो."
この記事は India Today Hindi の April 12, 2023 版に掲載されています。
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.