राजस्थान हाइकोर्ट की जयपुर खंडपीठ ने इ दिन जयपुर बम ब्लास्ट के चार आरोपियों को मृत्युदंड और राजद्रोह के आरोपों से बरी कर दिया. इस फैसले का एक मतलब यह भी था कि ब्लास्ट के लिए जिम्मेदार असल आतंकवादी अब भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं. इससे इतर राजस्थान हाइकोर्ट के जस्टिस पंकज भंडारी और समीर जैन की डिविजनल बेंच ने फैसला सुनाते हुए बम ब्लास्ट केस के जांच अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए और उनके खिलाफ कई लिखित तल्ख टिप्पणियां भी कीं. अदालत का कहना था, "जांच अधिकारी में कानूनी ज्ञान का अभाव था और पूरी जांच त्रुटिपूर्ण, घटिया और खामियों से भरी हुई थी." अदालत ने राजस्थान के पुलिस महानिदेशक को जांच अधिकारियों के खिलाफ जांच व कार्रवाई करने और मुख्य सचिव को जांच की निगरानी करने के आदेश भी दिए. इस मामले में बचाव पक्ष ने 24 गवाह पेश किए जबकि सरकार की ओर से 1,270 गवाह पेश हुए. सरकार की ओर से वकीलों ने 800 पेज की बहस की. वहीं बचाव पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील नित्या रामकृष्णन के नेतृत्व में आठ वकीलों ने पैरवी की.
"राज्य सरकार जयपुर बम ब्लास्ट मामले में हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी. हमारी सरकार की मंशा है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले " - अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान
この記事は India Today Hindi の April 19, 2023 版に掲載されています。
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अब आई मगरमच्छों की बारी
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"