राजस्थान के आदिवासी इलाकों में हत्या, आत्महत्या और मौत के बाद मौताणा (मौत पर आना यानी, पैसा) लिए जाने की कुप्रथा है. यहां लोग तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं करते जब तक कि मौत के बदले मौताणा अदा नहीं किया जाता. मौताणे की यह प्रथा अब आदिवासी इलाकों में ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में फैल चुकी है. राज्य में अब किसी भी हत्या और आत्महत्या के बाद लोग शव को सड़क पर लेकर बैठ जाते हैं और तब तक अंतिम संस्कार नहीं करते जब तक कि सरकार मुआवजे की घोषणा नहीं करती. इंडिया टुडे ने राजस्थान से जुड़ी कई मीडिया रिपोर्टों को खंगालने के बाद पाया है कि पिछले दो साल में यहां शवों के साथ प्रदर्शन करने की करीब 170 घटनाएं सामने आई हैं.
सबसे ताजा मामला जयपुर में इसी महीने हुई दो आत्महत्याओं का है. इन दो अलगअलग घटनाओं को लेकर परिजन और भाजपा नेता शव के साथ प्रदर्शन पर उतर आए. शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया गया जब तक कि सरकार की ओर से मृतक के परिजनों को मुआवजा, एक आश्रित को नौकरी और डेयरी बूथ के आवंटन की मांग नहीं मान ली गई.
この記事は India Today Hindi の May 10, 2023 版に掲載されています。
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