क्रिकेट के दीवाने देश भारत में फुटबॉल को कौन पूछता था। फिर इसके प्रति दीवानगी की तो बात छोड़ ही दीजिए। लेकिन यह सब भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री के मैदान संभालने से पहले की बात थी। फुटबॉल के प्रति दीवानगी के ख्वाब को छेत्री ने हकीकत में बदल दिया था।
उन्होंने भारत के लिए खेला, जम कर खेला। क्या हुआ जो छह जून को अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आखिरी मुकाबला खेलने वाले सुनील टीम इंडिया की नैया पार नहीं लगा सके। खेल में यह सब चलता है। सॉल्ट लेक स्टेडियम में खेले गए इस मैच के बाद फैंस ने छेत्री को स्टैंडिंग ओवेशन दिया। छेत्री ने पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाकर विनम्रता से इस प्यार को स्वीकार किया। दुनिया भर के सक्रिय खिलाड़ियों में, छेत्री अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए सर्वाधिक गोल करने के मामले में केवल मेस्सी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो से पीछे हैं।
सुनील की कहानी उनके सपने से पहले उनके पिता के सपने की कहानी है। देश में फुटबॉल का बुनियादी ढांचा ऐसा नहीं था कि उसे कोई करिअर के तौर पर देखता। लालफीताशाही, राजनीति की मिलीजुली अव्यवस्था ने कुल मिलाकर इस खेल के सारे रास्ते बंद कर रखे थे। इस सबके बीच क्लब फुटबॉल में स्तरीय खिलाड़ियों की कमी के बीच भारत में फुटबॉल का पोस्टर बॉय बनना आसान नहीं था।
この記事は Outlook Hindi の July 08, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は Outlook Hindi の July 08, 2024 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
हमेशा गूंजेगी आवाज
लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा
क्या है अमिताभ फिनामिना
एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज
'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'
भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।
सस्ती जान पर भारी पराली
पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी
विशेष दर्जे की आवाज
विधानसभा के पहले सत्र में विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर एनसी का वादा निभाने का दावा, मगर पीडीपी ने आधा-अधूरा बताया
महान बनाने की कीमत
नाल्ड ट्रम्प की जीत लोगों के अनिश्चय और राजनीतिक पहचान के आपस में नत्थी हो जाने का नतीजा
पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?
ट्रम्प की जीत से नेतन्याहू को थोड़ी राहत मिली होगी, लेकिन फलस्तीन पर दोनों की योजनाएं अस्पष्ट
स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल
ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया
जलवायु नीतियों का भविष्य
राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम