अब सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस में नए मुकाबले की तैयारी है। दोनों पार्टियों ने इस साल नवंबर-दिसंबर में तय नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए कमर कसनी शुरू कर दी है। भाजपा सरकारी योजनाओं, त्योहारों और पारंपरिक खेलों के आयोजन के जरिये लोगों का मन छूने में जुट गई है। कांग्रेस मानसून सत्र में विधानसभा का घेराव और पार्टी में बड़ा फेरबदल कर के चुनाव में अपनी खोयी प्रतिष्ठा को पाने के लिए पसीना बहाने की तैयारी में है। हाल ही में राजधानी रायपुर में मूसलाधार बारिश के बीच मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मितानिन बहनों के साथ पंगत में बैठे दिखे। पंगत में मुख्यमंत्री ने बस्तर के दरभा से आई मितानिन दीदियों जयमनी नाग और कवर्धा की बैगा जनजाति की दसनी बाई के साथ भोजन किया। भोजन से पहले मुख्यमंत्री ने मितानिन बहनों को सौगात दी और हर माह उनकी प्रोत्साहन राशि को सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर करने की शुरुआत की। इसके साथ ही राज्य भर में 90 करोड़ 8 लाख 84 हजार 20 रुपये की प्रोत्साहन राशि सीधे मितानिन बहनों के बैंक खाते में डाली गई।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2023 में महिलाओं के लिए महतारी वंदन योजना शुरू करने की घोषणा की थी। इस चुनावी घोषणा ने जादू का काम किया और प्रदेश में भाजपा ने अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की। 90 विधानसभा सीटों वाली विधानसभा में भाजपा 54 सीटों पर विजयी हुई। कांग्रेस महज 34 सीटों पर सिमट गई और एक सीट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के खाते में गई।
この記事は Outlook Hindi の August 05, 2024 版に掲載されています。
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शहरनामा - हुगली
यूं तो पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के किनारे बसा जिला हुगली 1350 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, लेकिन यहां हुगली नाम का एक छोटा-सा शहर भी है।
इन्फ्लुएंसरों के भरोसे बॉलीवुड
स्क्रीन पर सोशल मीडिया और इन्फ्लुएंसरों का बॉलीवुड कर रहा अच्छा, बुरा और बदसूरत चित्रण
घर के शेर, घर में ढेर
लंबे दौर बाद घरेलू मैदान पर न्यूजीलैंड से एकतरफा हार से सितारों और कोच पर उठे सवाल
'तलापति' का सियासी दांव
दक्षिण की सियासत में एक नए सितारे और उसकी पार्टी के प्रवेश ने पुराने सवालों को जिंदा कर दिया है
उलझन सुलझे ना
विधानसभा में हार के बाद कांग्रेस के लिए अब नेता प्रतिपक्ष चुनना भी बना भारी चुनौती
आधा देश जद में
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दोतरफा जंग के कई रूप
सीधी लड़ाई भले भाजपा और झामुमो के बीच, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवारों और छोटे दलों की भूमिका नतीजों को तय करने में अहम
मराठी महाभारत
यह चुनाव उद्धव ठाकरे और शरद पवार की अगुआई वाली क्षेत्रीय पार्टियों के लिए अपनी पहचान और राजनैतिक अस्तित्व बचाने की लड़ाई, तो सत्तारूढ़ भाजपा के लिए भी उसकी राजनीति की अग्निपरीक्षा
पहचान बचाओ
मराठा अस्मिता से लेकर आदिवासी अस्मिता तक चले अतीत के संघर्ष अब वजूद बचाने के कगार पर आ चुके
आखिर खुल गया मोर्चा
जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच बढ़ने लगा तनाव, यूटी दिवस पर शीत युद्ध गरमाया