अठहत्तरवें स्वतंत्रता दिवस के ठीक अगले दिन कोलकाता की सड़क पर एक अभूतपूर्व दृश्य उभरा। एक सरकारी अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और उसकी हत्या के खिलाफ सैकड़ों की संख्या में लोग बैनर-पोस्टर लिए इंसाफ मांगते और मुट्ठियां लहराते नजर आए। सबसे आगे ज्यादातर औरतें थीं, कुछ पुरुष भी थे। पहली पंक्ति के बीचोबीच उनका नेतृत्व कर रही थीं नीले किनारी वाली परिचित उजली धोती पहने ममता बनर्जी, जो लोकतांत्रिक रूप से पश्चिम बंगाल की निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं। जब खुद एक मुख्यमंत्री मय सत्ताधारी दल सड़क पर विरोध में उतर आए, तो स्वाभाविक प्रश्न बनता है कि इंसाफ किससे मांगा जा रहा है। नौ अगस्त को आर.जी. कर अस्पताल में हुए रेपकांड के खिलाफ सोलह अगस्त को हुई इस ‘सरकार विरोध रैली’ के बाद भी बहुत कुछ अभूतपूर्व घटा। जैसे, अगले ही दिन ममता बनर्जी के मुख्य प्रशासनिक सलाहकार अलापन बंदोपाध्याय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 17-सूत्रीय ‘उपचार’ सुझाए, जिसकी भाषा ‘होना चाहिए’ और ‘अनुरोध करते हैं’ जैसे पदों से भरी हुई थी। इसी के विस्तार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी ममता बनर्जी की उस चिट्ठी को देखा जा सकता है, जिसमें उन्होंने देश भर में बढ़ रहे बलात्कार और हत्या के मामलों का जिक्र किया है (लेकिन कोलकाता के ताजा प्रसंग का नहीं)। उन्होंने बलात्कार और हत्या के दोषियों को सजा देने के लिए केंद्रीय कानून बनाने और उनके मुकदमों की जल्दी सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें बनाने की मांग की है। विडंबना यहीं नहीं रुकती। पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव, ममता बनर्जी के भतीजे और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने 22 अगस्त को सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘जब दस दिन से देश आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की घटना पर विरोध कर रहा है, उस दौरान देश के कई हिस्सों में 900 बलात्कार के केस हो चुके हैं।’ यह 900 का आंकड़ा उन्होंने एनसीआरबी की रिपोर्ट से प्रतिदिन औसतन 90 बलात्कारों के आधार पर निकाला और कड़े कानून की मांग करते हुए लिखा, ‘वेक अप इंडिया’ (जागो भारत)।
この記事は Outlook Hindi の September 16, 2024 版に掲載されています。
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