अगर सितंबर में रिलीज हुई दबकिंघम मर्डर्स को छोड़ दिया जाए, तो यह महीना बॉलीवुड के लिए सूखा साबित हुआ है। इस फिल्म में करीना कपूर के होने के बावजूद तुम्बाड़ ने इसे पटकनी दे दी। तुम्बाड़ के साथ दोबारा दर्शकों को जिस फिल्म ने खींचा वह थी गैंग्स ऑफ वासेपुर । दोनों में बस इतना अंतर था कि 2018 में प्रदर्शित हुई तुम्बाड़ ने जहां दूसरी बार दर्शक जुटाए, वहीं गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012) की चमक दूसरी बार भी उतनी ही बरकरार रही। दोनों फिल्मों की सफलता नेथिएटर में आई नई फिल्मों की असफलता को नजरों से ओझल रखा।
बीते महीनों में बॉलीवुड ने खुद को दोहराया है। सफल, ज्यादा सफल और सराही गई फिल्में लौट रही हैं। इंडस्ट्री का ठप कारोबार इसी के बहाने उठ खड़ा होने को तैयार दिख रहा है। पुरानी फिल्मों के आने से एक फायदा तो यही हो रही है कि थिएटर में बॉलीवुड की उपस्थिति वापस बनती दिख रही है और दर्शकों की आवाजाही भी, कमाई तो खैर हो ही रही है। सोहम शाह की तुम्बाड़ जब 2018 में रिलीज हुई थी तब फिल्म को न बहुत स्क्रीन मिले थे न ही दर्शक। इसके बाद यह फिल्म ओटीटी पर आई और दर्शकों के मन में एक ही सवाल उठा, "आखिर फिल्म चली क्यों नहीं?" सोहम को शायद खुद पर बहुत भरोसा था इसलिए बीते 13 सितंबर को फिल्म को थिएटर्स में दोबारा रिलीज किया गया। तुम्बाड़ ने न सिर्फ अपना छह साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा बल्कि पहले दिन ही द बकिंघम मर्डर्स से ज्यादा कमाई कर ली। फिल्म की सफलता का असर ऐसा हुआ कि सोहम शाह ने इसका अगला भाग बनाने की घोषणा कर दी है।
नाम भी दाम भी
この記事は Outlook Hindi の October 28, 2024 版に掲載されています。
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