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कल्कि का चामत्कारिक मन्दिर
कलियुग के अन्तिम चरण में भगवान् विष्णु कल्कि भगवान् के रूप में अवतार लेंगे। यह उनका 24वाँ (अथवा 10वाँ) अवतार होगा। भगवान् राम 12 कलाओं के अवतार, भगवान् श्रीकृष्ण 16 कलाओं के अवतार हैं, तो भगवान् कल्कि 64 कलाओं के अवतार होंगे। इनका अवतरण उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के संभल (28:35 उत्तर 78:37 दक्षिण) नामक स्थान पर विष्णुयश नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर में होगा। वे देवदत्त नामक शीघ्रगामी घोड़े पर सवार होकर दुष्टों का तलवार से नाश करेंगे।
ज्योतिष में मंगल
वैदिक ज्योतिष में 'मंगली दोष' बहुत प्रसिद्ध है, इसलिए विवाह के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले लड़के और लड़की दोनों की कुण्डली का मिलान किया जाता है। इस दोष के कारण व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में बाधा, टूट, विवाद और यहाँ तक कि तलाक हो सकता है।
तुलसी सठ की को सुनै, कलि कुचाल पर प्रीति
वर्ष में एक बार श्रावण शुक्ल सप्तमी के आस- पास किसी भी दिन अपनी सुविधा के अनुसार तुलसीदासजी की जयन्ती मनाने के नाम पर भगवान् श्रीराम के नाम और चरित का नगाड़ा बजा लेने वाले तुलसी भक्तों के ऐसे प्रबल पुरुषार्थ का ही एक प्रतिफल है कि तुलसी जयन्ती और रामनवमी इन दोनों समारोहों में होने वाले भाषण-प्रवचन हूबहू एक ही साँचे में ढले हुए प्रतीत होते हैं। यह तथ्य तुलसी जयन्ती में प्रतिवर्ष उजागर होते देखा-सुना जा सकता है।
शुभ का प्रतीक 'स्वस्तिक'
स्वस्तिक का चिह्न भारतीय संस्कृति में शुभ एवं मांगलिक प्रतीक है। स्वस्तिक का सामान्य अर्थ है चारों दिशाओं में जाने वाला रास्ता-चौराहा! वेदों एवं अन्य वाङ्मय में भी इसका वर्णन आया है।
नागलोक की देवी मनसा देवी
सर्प का नाम सुनते ही किसी के भी तन में एक बार तो भय की लहर दौड़ ही जाती है, सर्पदंश का जीवन पर असर सभी जानते हैं, लेकिन सर्प की उपयोगिता कितनी महत्त्वशाली है, इस पर कम ही ध्यान दिया जाता है।
नाभाजी का परिचय
गोस्वामी नाभाजी कृत श्रीभक्तमाल (भाग-5)
भरत जी की चित्रकूट यात्रा
गंगातट पर चल रही रामकथा में 20वें दिन की कथा को श्रोतागण पूर्ण एकाग्रता से सुन रहे हैं। सुनें भी क्यों न? एक ओर तो जहाँ भरत जी की चित्रकूट यात्रा का मार्मिक प्रसंग है, तो वहीं दूसरी ओर व्यास पीठ पर विराजमान स्वामी जी की शैली ही ऐसी है कि सभी प्रकरण मनोहारी प्रतीत होते हैं।
शेयर बाजार में निवेश ग्रहों पर निर्भर है हार-जीत
शेयर बाजार शीघ्र धन लाभ और शीघ्र सफलता देने वाला बाजार है। यही वजह है कि प्रत्येक व्यक्ति इसकी और शीघ्र आकृष्ट हो जाता है।
भरत जी की चित्रकूट यात्रा
श्रीरामचन्द्रजी पुनः सोच में पड़ गए कि भरत के आने का क्या कारण है? फिर किसी ने आकर कहा कि उनके पास में बड़ी भारी चतुरंगिणी सेना भी है।
संघर्षों से कामयाबी दिलाते हैं नीचभंग राजयोग
जन्मपत्रिका में ग्रह जिस राशि में नीच का है उस राशि में दूसरा कोई ग्रह उच्च का होकर स्थित हो, तो पहले ग्रह का नीचभंग हो जाता है। उदाहरण के लिए कर्क राशि में मंगल नीच का है, परन्तु वहाँ बृहस्पति उच्चराशिस्थ होकर स्थित हो, तो मंगल नीचभंग राजयोग बनाएगा।
कोरोना वायरस और ज्योतिष
इस लेख का प्रथम भाग ज्योतिष सागर' के अप्रैल अंक में तथा दूसरा भाग मई अंक में प्रकाशित हुआ है। उससे आगे यहाँ प्रस्तुत है।
भीमसेन एकादशी निर्जला एकादशी
एकादशी के व्रत करने से वर्षभर की सभी एकदशियों के पुण्य का फल मिलता है
कबीर का एक-एक वचन हजारों शास्त्रों का सार
(05 जून, 2020 संत कबीर जयन्ती)
'शनि की वापसी' कभी उन्नतिकारक कभी मृत्युकारक
ग्रहों की स्थिति का दो प्रकार से विश्लेषण किया जाता है। दोनों ही स्थितियों में इनसे मिलने वाले परिणामों की व्याख्या भी भिन्न-भिन्न प्रकार से की जाती है।
शनि निर्धारित करेंगे आप नौकरी करेंगे या कराएँगे
शिक्षा पूर्ण हो जाने के पश्चात् प्रत्येक व्यक्ति के मन में यह विचार जन्म लेता है कि व्यक्ति विशेष के लिए नौकरी करना सही रहेगा अथवा व्यवसाय करने से उसे अधिक सफलता मिलेगी? प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन निर्वाह करने के लिए धन की आवश्यकता होती है। कोई व्यक्ति नौकरी करेगा अथवा किसी अन्य से कराएगा? यह जानने में ज्योतिष शास्त्र विशेष भूमिका निभा सकता है।
शनिदोष निवारण हेतु सरल एवं प्रभावी उपाय शनि ढैया एवं साढ़ेसाती निवारक पैकेज
इस पैकेज को किसी भी लग्न या राशि वाला व्यक्ति धारण किया जा सकता है। इससे किसी भी प्रकार के विपरीत परिणाम प्राप्त नहीं होते।
सही व्यापार की सही राह कुण्डली से जानें
आज जो व्यक्ति नौकरी में है, वह भी यह अवश्य जानना चाहता है कि उसके लिए कौन-सा व्यापार करना उत्तम रहेगा। भले ही व्यापार करने की स्थिति में वह न हो, परन्तु व्यापार का क्षेत्र जानने की जिज्ञासा हम सभी को जीवन के किसी न किसी मोड़ पर अवश्य रहती है ...
भगवान नृसिंह की उपासना से अभीष्ट सिद्धि
महर्षि पराशर ने अपने ग्रन्थ बृहत्प- म राशरहोराशास्त्र में भगवान् विष्णु के नृसिंह अवतार को पूर्णावतार कहा है। वे लिखते हैं कि राम, कृष्ण, नृसिंह और वराह ये चार पूर्ण अवतार हैं। इनसे भिन्न जो अवतार हैं, वे जीवांश से युक्त होते हैं :
कोरोना वायरस और ज्योतिष
इस लेख का प्रथम भाग २ ज्योतिष सागर' अप्रैल, 2020 अंक में प्रकाशित हुआ है, अब उससे आगे का भाग प्रस्तुत है।
'ज्योतिष सागर' ने दिए थे इस महासंकट के संकेत
कोविड-19 जनित वर्तमान महासंकट क्या अप्रत्याशित है? क्या ज्योतिर्विद इसका पूर्वाकलन नहीं कर पाए थे? क्या ग्रहों के संकेतों को समझने में ज्योतिर्विद असमर्थ रहे थे? इन सभी प्रश्नों के उत्तर 'न' में ही हैं।
नाभाजी का परिचय
नाभा जी के जीवन के सम्बन्ध में न तो उनकी रचनाओं से और न ही समकालिक ग्रन्थों से जानकारी मिलती है। प्रियादास जी ने ही सर्वप्रथम उनके सम्बन्ध में थोड़ा-बहुत लिखा है और उसी को आधार बनाकर बाद के टीकाकारों ने नाभाजी का जीवन परिचय दिया।
बुद्ध के गुणों का पावन संदेश
जो व्यक्ति बुद्ध होता है, वह सम्यक् जा सम्बोधि हासिल कर लेता है, वह अनन्त गुणों से भर जाता है। उसके गुणों का ध्यान करते-करते धर्म उजागर होने लगता है। ऐसे में बुद्ध के गुणों का वर्णन करने वाले एक-एक शब्द को समझना आवश्यक है। जो इस प्रकार हैं :
सपनों में इन्द्रियातीत ज्ञान !
प्राचीन काल से ही सपनों का रहस्यमय प्रा संसार मानव मन और मस्तिष्क को उद्वेलित करता रहा है। रहस्य के प्रति मनुष्य की उत्सुकता आदिकाल से रही है।
शनि की अष्टम ढैया का धोखा
शनि की साढ़ेसाती एवं ढैया ज्योतिष में काफी प्रचलित रही है और इन पर शोध भी होते रहे हैं। शनि सर्वाधिक समय एक ही राशि में रहते हैं, जिस कारण शनि का प्रभाव भी जातक पर अधिक रहता है।
ज्योतिष कैसे रोजमर्रा की जिंदगी में मददगार
जीवन के बारह भाव जीवन की बारह अवस्थाओं के प्रतीक हैं। पूर्वी क्षितिज पर उदित राशि के साथ ही बालक का जन्म होता है। लग्न जिसे प्रथम भाव और अन्य अनेक नामों से सम्बोधित किया जाता है, से बालक के व्यक्तित्व, व्यवहार और रहन- सहन और जीवन शैली का विचार किया जाता है।
भक्तमाल के रचयिता
'भक्तमाल' में रचयिता का उल्लेख नहीं है। केवल एक स्थान पर 'नारायणदास' का उल्लेख मिलता है :
चामत्कारिक होते हैं रामचरितमानस के मन्त्र
वर्तमान समय में रामचरितमानस के मन्त्र व साधकगणों के लिए संजीवनी बूटी के समान हैं। साधारण पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी इन मन्त्रों को सुनकर शीघ्र याद कर सकता है और इनका प्रयोग कर सकता है।
क्यों निष्फल हो जाते हैं शुभ योग?
क्यों निष्फल हो जाते हैं शुभ योग?
क्या है मानवीय चेतना का मूल स्वरूप ?
अपने तन और मन पर नियन्त्रण करने से संसार की भौतिक एवं अभौतिक वस्तुएँ आसानी से पा सकते हैं। संसार में सफलता उन लोगों को मिलती है, जो अपने तन और मन पर विजय प्राप्त करके समाज और संसार का मार्ग दर्शन करते हैं। जैसे; रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानन्द, विशुद्धानन्द परमहंस, देवराह बाबा, अघोर पंथ के बाबा कीनाराम और स्वामी विवेकानन्द आदि।
कौन बनते हैं अंतरिक्ष वैज्ञानिक?
कौन बनते हैं अंतरिक्ष वैज्ञानिक?