Panchjanya - October 23, 2022
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विश्व के लिए भारत यानि मिष्ठान और पकवान की एक सुदीर्घ परंपरा. देश के कोने-कोने में विकसित अलग-अलग किस्म की मिठाइयों के स्वाद को कई मिष्ठान निर्माताओं ने देश-प्रदेश तक पहुंचाया. उजास के पर्व पर मिठास की उजली परंपरा और उद्यमिता को सामने रखता विशेषांक
उजास और मिठास
भारत में मिष्ठान और पकवान की एक सुदीर्घ परंपरा रही है। इसके तहत शुभ कार्यों में, त्योहारों में, सफलता प्राप्त करने की स्थिति में, स्वागत के दौरान मुंह मीठा कराने का चलन है। अनेकानेक मिष्ठान निर्माता देश के कोने-कोने की इन विभिन्न मिठाइयों के स्वाद को देशपरदेश तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं। उजास के पर्व दीपावली पर प्रस्तुत है मिठास की उजली परंपरा और उद्यमिता को सामने रखता पाञ्चजन्य का यह आयोजन
10+ mins
ब्रजवासियों की मनुहार का पर्व
गोवर्धन का अन्नकूट
3 mins
परंपरा, ऊर्जा और मिठास
दीपावली विशेषांक
10 mins
नैवेद्य यानी दिव्य पोषण
भारत के मंदिरों में भगवान को चढ़ाए जाने वाले भोग के पीछे एक ही उद्देश्य है- समाज का पोषण। इसमें खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ समाज की पोषण सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता है
6 mins
प्रगतिशील हिमाचल स्थापना के 75 वर्ष
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने चंबा जिला के भरमौर विधानसभा क्षेत्र में 83.42 करोड़ रुपये की 23 विकासात्मक परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास किए।
3 mins
एम्स की स्थापना से हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र को मिला नया आयाम
राज्य सरकार ने लोगों को उनके घर-द्वार के निकट सर्वोत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से मौजूदा स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में नए स्वास्थ्य संस्थान खो खोलने को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है।
5 mins
उल्लास का प्राचीनतम पर्व
दीपावली का पर्व भारत ही नहीं, दुनियाभर में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। विशेष कर इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम देश में तो यह पर्व 2,000 वर्ष पूर्व से मनाया जा रहा है। धर्मशास्त्रों के अतिरिक्त भारत आने वाले विदेशी यात्रियों के यात्रा वृत्तांतों में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है
7 mins
हिमाचल प्रदेश: जहां विकास, प्रकृति अपनत्व और जनता कहती है जय श्रीराम जय जयराम
हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष के आखिर में चुनाव होने वाले हैं। मुख्यमंत्री अतिव्यस्त हैं परंतु यह व्यस्तता जनकार्यों की है, लिहाजा वे मिलने आए लोगों को नहीं टालते। जनता की फरियाद सुनते हैं और उनकी समस्याएं दूर करने की कोशिश करते हैं। पहाड़ी राज्य होने के नाते समस्याएं बहुत हैं। इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने क्षेत्रों के बीच संपर्क सहज करने के लिए सड़क, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, रोजगार जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया और आज हालात बदले हुए हैं। प्रदेश की समस्याओं, विकास, योजनाओं और चुनावी संभावनाओं पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की विशेष बातचीत -
10+ mins
Panchjanya Magazine Description:
Utgiver: Bharat Prakashan (Delhi) Limited
Kategori: Politics
Språk: Hindi
Frekvens: Weekly
स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।
अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।
किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।
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