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न भूलेंगे
न माफ करेंगे
‘... न दैन्यम्, न पलायनम्...’ . मुंबई हमले के दंश को देश भूला नहीं है.
पाञ्चजन्य के मुंबई संकल्प का सार यही है. बदला भारत आतंक को परास्त
करने का संकल्प ले चुका है. अब भारत निंदा नहीं करता, मुंहतोड़ जवाब देता
न भूलेंगे, न माफ करेंगे
वही होटल ताज पैलेस, वही वार रूम, वही तारीख - 26 नवम्बर। अंतर सिर्फ यह था कि जो ताज पैलेस 2008 के 26 नवम्बर को रक्तरंजित हो गया था, कराह रहा था, वही ताज पैलेस अब 2022 में आतंक का मुंह कुचल दिए जाने के संकल्प की घोषणा कर रहा था।
![न भूलेंगे, न माफ करेंगे न भूलेंगे, न माफ करेंगे](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/3NCq81twr1670240057088/1670240560907.jpg)
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आतंकवाद से लडना भारत से सीखे दुनिया
पाञ्चजन्य के मुंबई संकल्प कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य राम माधव ने आतंकवाद के विभिन्न पहलुओं, उससे लड़ने और अंकुश लगाने के बारे में पूरी बारीकी से जानकारी दी। भारत कैसे आतंक से लड़ रहा है, कैसे विजय हासिल हो रही है, कैसे षड्यंत्र थे? अंतरराष्ट्रीय युतियां कैसे उसे पुष्ट कर रही हैं और कहां-कहां प्रहार करने की आवश्यकता है, यह उन्होंने रेखांकित किया। प्रस्तुत है पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर से उनकी बातचीत के अंश
![आतंकवाद से लडना भारत से सीखे दुनिया आतंकवाद से लडना भारत से सीखे दुनिया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/OhsvUsaVL1670241650614/1670242176399.jpg)
10 mins
'अगर दबाव में आता तो पाकिस्तान बेनकाब नहीं होता'
आतंकी अजमल कसाब को फांसी की सजा दिलाने वाले सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि उस समय बहुत दबाव था। कसाब अपने बचाव के लिए दांव-पेच आजमा रहा था, जबकि देश के बड़े वकील और जनता ही नहीं, तत्कालीन केंद्र सरकार भी कसाब को जल्दी फांसी पर लटकाना चाहती थी
!['अगर दबाव में आता तो पाकिस्तान बेनकाब नहीं होता' 'अगर दबाव में आता तो पाकिस्तान बेनकाब नहीं होता'](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/gw6H45DzB1670242186731/1670242413715.jpg)
7 mins
2014 के बाद सब बदल गया
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा कि 2014 के बाद भारत बहुत बदल गया है। दुनिया भारत को न केवल गंभीरता से लेती है, बल्कि उसका पूरा सम्मान भी करती है
![2014 के बाद सब बदल गया 2014 के बाद सब बदल गया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/0iWmTy49B1670242434765/1670242680094.jpg)
5 mins
26/11 की कहानी नायकों की जुबानी
'मुंबई संकल्प' के एक सत्र में 26/11 आतंकी हमले के दौरान और बाद में अहम भूमिका निभाने वाले अधिकारियों ने आंखों देखा हाल सुनाया। इनमें मंगेश नायक व इंस्पेक्टर संजय गोविलकर थे, जिन्होंने आतंकी अजमल कसाब को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन्हीं की टीम में तुकाराम ओबले थे, जो कसाब को पकड़ने में बलिदान हुए। मंगेश नायक को 2009 के राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था। ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया के नेतृत्व में एनएसजी ने 'ब्लैक टॉरनेडो' ऑपरेशन में आतंकियों को मार गिराया था, जबकि मुख्य जांच अधिकारी रमेश म्हाले की रिपोर्ट पर उज्ज्वल निकम ने कसाब को फांसी के तख्ते तक पहुंचाया। तत्कालीन एसीपी रमेश म्हाले ने मराठी में 'कसाब और मैं' पुस्तक भी लिखी है। इस सत्र का संचालन ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने किया
![26/11 की कहानी नायकों की जुबानी 26/11 की कहानी नायकों की जुबानी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/RcYqDL0TU1670242687565/1670242926783.jpg)
5 mins
वह खौफनाक मंजर, जब कसाब सामने था
26/11 की रात कॉमा अस्पताल में सिस्टर मीना और सिस्टर योगिता भी थीं। कैसे वह खौफनाक मंजर शुरू हुआ, किस तरह स्थिति संभालने की कोशिश की, आज भी सिहर जाता है मन। पाञ्चजन्य के मुंबई संकल्प कार्यक्रम में दोनों पीड़ितों ने सुनाई उन खौफनाक पलों की कहानी
![वह खौफनाक मंजर, जब कसाब सामने था वह खौफनाक मंजर, जब कसाब सामने था](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/KIpewAmtD1670242962115/1670243135527.jpg)
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फिल्म निर्माताओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी
'मुंबई संकल्प' कार्यक्रम में फिल्म निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने भारत पर विदेशी आक्रांताओं के हमलों, ज्ञान परंपरा और दर्शन पर खुलकर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि पहले हिंदी सिनेमा पश्चिम की तरफ नहीं देखता था। आज भी पूरी जिम्मेदारी से फिल्म बनाने वाले निर्मातानिर्देशक बहुत कम हैं
![फिल्म निर्माताओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी फिल्म निर्माताओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/T4OXNfcQo1670243145591/1670243407463.jpg)
7 mins
‘आपातकाल में मेरे पास से 'पाञ्चजन्य' बरामद हुआ'
महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी ने 'मुंबई संकल्प' कार्यक्रम में मुंबई हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उस त्रासदी की पीड़ा केवल मुंबई की नहीं, पूरे भारत की है। कार्यक्रम के बाद उन्होंने दिनेश मानसेरा से हुई बातचीत में पाञ्चजन्य के साथ अपने अनुभवों को भी साझा किया
![‘आपातकाल में मेरे पास से 'पाञ्चजन्य' बरामद हुआ' ‘आपातकाल में मेरे पास से 'पाञ्चजन्य' बरामद हुआ'](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/BtY1Ou_Bn1670243428702/1670243628591.jpg)
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आंबेडकर के 'रामजी' से चिढ़ क्यों!
संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर का पूरा नाम है-भीमराव रामजी आंबेडकर, लेकिन एक षड्यंत्र के तहत कुछ लोग उनके नाम के साथ 'रामजी' नहीं लगाते। इसे समझने की आवश्यकता है
![आंबेडकर के 'रामजी' से चिढ़ क्यों! आंबेडकर के 'रामजी' से चिढ़ क्यों!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/6gVD29gME1670243643390/1670243853038.jpg)
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कन्वर्जन कराया तो खैर नहीं!
उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने लोभ-लालच से कन्वर्जन को रोकने के लिए कानून बनाने की दिशा में बढ़ाया कदम विधानसभा में पारित विधेयक में हैं कई कड़े प्रावधान
![कन्वर्जन कराया तो खैर नहीं! कन्वर्जन कराया तो खैर नहीं!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/xf07Sw7tJ1670243889401/1670244005722.jpg)
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चीन : दवा के बदले दमन
चीन से इन दिनों नागरिक विद्रोह की खबरें आ रही हैं। लंबे समय से कोरोना प्रतिबंधों के कारण नागरिक आक्रोशित हैं और सरकार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन और झड़पों की खबरें कई शहरों से आ रही हैं। जाहिर है, चीनी टीका बेकार साबित हुआ। लेकिन चीन इसे स्वीकार करने के बजाए अपने ही नागरिकों का दमन करने पर उतारू है।
![चीन : दवा के बदले दमन चीन : दवा के बदले दमन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/oE-CQ070y1670244021007/1670244230695.jpg)
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सोशल मीडिया पर इतनी उपयोगी सेवाएं निःशुल्क कैसे
ट्विटर की ब्लूटिक सेवा पर शुल्क के बाद अन्य प्लेटफॉर्मों की सेवाओं पर शुल्क लगने की संभावना खड़ी हो गई है। परंतु यह उनके लिए लाभप्रद सौदा नहीं होगा
![सोशल मीडिया पर इतनी उपयोगी सेवाएं निःशुल्क कैसे सोशल मीडिया पर इतनी उपयोगी सेवाएं निःशुल्क कैसे](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/25116/1149456/RIPhjTY5T1670244236789/1670244422338.jpg)
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Panchjanya Magazine Description:
Utgiver: Bharat Prakashan (Delhi) Limited
Kategori: Politics
Språk: Hindi
Frekvens: Weekly
स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।
अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।
किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।
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