Modern Kheti - Hindi - 15th July 2023
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Farmer's Magazine
खादों के अधिक प्रयोग के कारण मिट्टी के स्वास्थ्य में बिगाड़
पंजाब के किसानों के लिए एक बड़ी चिंता की बात यह है कि रासायनिक उर्वरकों के अत्याधिक उपयोग के कारण राज्य में मिट्टी की उर्वरता लगातार घट रही है
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पानी की बचत के लिए बसंत मक्का की बिजाई पर पाबंदी की आवश्यकता
यह तीसरी फसल फरवरी में बोई जाती है और जून में काटी जाती है, और यह पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की अत्याधिक अनुशंसित सूची में है क्योंकि राज्य पहले से ही खतरनाक स्तर पर भूजल स्तर की कमी से जूझ रहा है।
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सिंचाई का जलवायु परिवर्तन पर असर
शोधकर्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि सिंचाई कैसे दुनिया भर में क्षेत्रीय जलवायु और पर्यावरण पर असर डालती है। अध्ययन यह भी बताता है कि सिंचाई कैसे और कहां नुकसानदायक और फायदेमंद दोनों है। अध्ययन भविष्य में पानी का स्थायी उपयोग और फसलों की उपज हासिल करने के लिए आकलन में सुधार के तरीकों की ओर भी इशारा करता है।
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खाद्य क्षेत्र से बढ़ते उत्सर्जन से निपटने के लिए भोजन में बदलाव जरूरी
अंतराष्ट्रीय शोधकर्ताओं द्वारा किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि पिछले 20 वर्षों में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 14 फीसदी की वृद्धि हुई है, जोकि 200 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर है। रिसर्च के मुताबिक उत्सर्जन में होती इस वृद्धि के लिए मुख्य तौर पर पशु आधारित उत्पादों की बढ़ती खपत जिम्मेवार है।
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अपना खुद का ईंधन बनाने वाला सफल किसान देवेंद्र परमार
श्री परमार का मानना है कि किसानों को अपने वित्त का प्रबंधन करने के लिए खुद का कौशल बढ़ाते रहना चाहिए। किसानों को हमेशा खेती के पुराने तरीकों को छोड़ कर कमाई के नए अवसरों और तरीकों की तलाश करनी चाहिए।
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आहारीय तत्वों की कमी को पूरा करने वाले डॉ. नेविन एस. सक्रिमशा
डॉ. नेविन के आहार संबंधी प्रोग्रामों के कारण स्थानीय तौर पर कम मूल्य वाले भोजन पदार्थों का विकास होना शुरु हो गया। डॉ. नेविन द्वारा विकसित किये गये भोजन पदार्थों ने कई विकसित देशों की पौष्टिक आहार की कमी को पूरा किया।
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प्राकृतिक कृषि का आधार: नीम
नीम प्राचीनकाल से ही हमारी औषधीय एवं भैषज्य परम्परा का अभिन्न अंग रहा है। वैदिक रचनाओं में निम्बः, निम्बा, निम्बपत्राम् जैसे शब्दों का वर्णन आया है। अग्नि पुराण में कुष्ठ रोग के निदान हेतु नीम के प्रयोग का परामर्श दिया गया है। नीम को स्वास्थवर्द्धक बताया गया है। इसी कारण नीम वृक्ष को धरती का कल्प वृक्ष या देव वृक्ष भी कहा जाता है।
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कीटनाशक अवशेषों से बचाव के लिए एक वैकल्पिक दृष्टिकोण
भारत में हरित क्रांति की सफलता का एक मुख्य कारण फसल सुरक्षा के उपायों के रूप में सिंथेटिक कीटनाशकों का उपयोग था
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जलवायु परिवर्तन: हमारी पृथ्वी को संरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता
जलवायु परिवर्तन, एक चुनौतीपूर्ण वैश्विक मुद्दा, हमारे समय की परिभाषात्मक चुनौतियों में से एक के रूप में सामने आया है। पिछले कुछ दशकों में, हमारी पृथ्वी को तापमान में महत्वपूर्ण परिवर्तन, बढ़ते तापमान, अत्याधिक मौसमी घटनाएं और अन्य पर्यावरणिक विघटनाओं का सामना करना पड़ा है। यह लेख जलवायु परिवर्तन के कारण और परिणामों पर विचार करता है और इसके प्रभावों को कम करने और हमारे भविष्य की देखभाल करने के लिए तत्काल कार्रवाई की महत्वपूर्णता को उजागर करता है।
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किसानों को उद्यमी बनने की आवश्यकता
मनुष्य की सभी समस्याओं का समाधान मनुष्य के अपने उद्यम में है। उसके दर्द में है। उसकी सोच में है। उसके अपने विश्वास में है। मनुष्य स्वार्थी भी है, परन्तु मनुष्य समूह के लिए चिंता एवं चिंतन भी करता आया है। भारत की गरीबी की समस्या का समाधान भी मनुष्य जाति ने करना है।
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बाजरे की खेती - जलवायु, किस्में, देखभाल और पैदावार
बाजरा की फसल मुख्यतः बारानी क्षेत्रों में ली जाती है, परन्तु फूल आते समय व दाना बनते समय नमी की कमी होना अधिक हानिप्रद है। अतः यदि सिंचाई का स्त्रोत उपलब्ध हो तो इन क्रांतिक अवस्थाओं पर सिंचाई करना लाभप्रद होता है। बाजरा जल भराव से भी प्रभावित होता है इसलिए जल निकास का समुचित प्रबंध करें।
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सब्जी उत्पादन हेतु आवश्यक सुझाव
जब सब्जियों की पैदावार ज्यादा हो और बाजार भाव गिर गया हो तो उनको संरक्षित करके अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। हरी सब्जियों की डिब्बाबंदी, कैनिंग आदि करके इन्हें दूर के बाजारों में भेजा जा सकता है एवं बाजार भाव अच्छा होने पर उन्हें बेचा जा सकता है।
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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:
Utgiver: Mehram Publications
Kategori: Business
Språk: Hindi
Frekvens: Fortnightly
Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.
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