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रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को बड़ी राहत
केंद्र सरकार ने प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बढ़ोतरी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सभी रबी फसलों के लिए की गई। है।
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क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं?
जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
![क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं? क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/LiSKTWtWA1730801150274/1730801225480.jpg)
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दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व
विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक-भूख और खाद्य असुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन भोजन की कमी और कुपोषण से जूझ रहे लाखों लोगों की दुर्दशा की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने का भी है, टिकाऊ कृषि, समान खाद्य वितरण और पौष्टिक भोजन तक सभी की पहुंच परम आवश्यक है।
![दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/NgubHzuox1730801228537/1730801346464.jpg)
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हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
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मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन
आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
![मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/u7UGodC_M1730801463414/1730801615051.jpg)
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अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
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बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
![बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/RgZUPwGuJ1730801785755/1730801849641.jpg)
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कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
![कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/CdGolW-jF1730801853546/1730801969511.jpg)
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कपास की खेती में मिट्टी की उर्वरता, मिट्टी की सेहत, मिट्टी परीक्षण और जल परीक्षण का महत्व
कपास एक महत्वपूर्ण कृषि फसल है, जो न केवल भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में भी किया जाता है। कपास की उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता सीधे मिट्टी की उर्वरता, मिट्टी की सेहत, मिट्टी परीक्षण और जल परीक्षण से प्रभावित होती है। इस लेख में प्रस्तुत इन चार महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी गयी हैं।
![कपास की खेती में मिट्टी की उर्वरता, मिट्टी की सेहत, मिट्टी परीक्षण और जल परीक्षण का महत्व कपास की खेती में मिट्टी की उर्वरता, मिट्टी की सेहत, मिट्टी परीक्षण और जल परीक्षण का महत्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/1_AS4J5Qe1730798087796/1730798660966.jpg)
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अदरक फसल के कीट एवं रोग और उनका जैविक प्रबंधन कैसे करें?
हमारे देश में अदरक की फसल एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है। अदरक के विशिष्ट गुणों की वजह से मसाला परिवार में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन इस फसल को अनेक कीट एवं रोग और सूत्रकृमि प्रभावित करते हैं जिससे इसके उत्पादन पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
![अदरक फसल के कीट एवं रोग और उनका जैविक प्रबंधन कैसे करें? अदरक फसल के कीट एवं रोग और उनका जैविक प्रबंधन कैसे करें?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/GvFnataDP1730799532573/1730799766801.jpg)
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अरंडी की फसल में रोग नियंत्रण
खरीफ की फसलों में अरंडी वानस्पतिक औद्योगिक तेल प्रदान करने वाली प्रमुख तिलहनी फसल है। इसके बीज में 45 से 55 प्रतिशत तेल तथा 12 से 16 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है।
![अरंडी की फसल में रोग नियंत्रण अरंडी की फसल में रोग नियंत्रण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/dKDI00EcP1730798670726/1730799153334.jpg)
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धान की पराली का निपटान
कृषि विभाग के अनुसार पंजाब में लगभग 30 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में धान की बिजाई की जाती है। पंजाब में हर वर्ष अनुमानित 2 करोड़ मीट्रिक टन पराली पैदा होती है। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड एवं पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत धान के अवशेष को इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के द्वारा प्रोसैस्स किया जाता है और लगभग 50 प्रतिशत पराली खेतों में जला दी जाती है।
![धान की पराली का निपटान धान की पराली का निपटान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/XnFeF0ZTb1730797283501/1730798071108.jpg)
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पराली का मुद्दा हवा प्रदूषण
पराली जलाने से पर्यावरण बिगड़ता है, प्रदूषित होता है। उसका सेहत पर प्रभाव पड़ता सिर्फ मानवीय शरीर पर ही नहीं, बल्कि अन्य जीव-जंतुओं पर भी। सर्दियों के शुरुआती दिनों में इस प्रदूषण वृद्धि से साँस घटने लगता है। 24 सितम्बर 2024 तक दिल्ली क्षेत्र में हवा का गुणवत्ता अंश 203 दर्ज किया गया और इस वृद्धि का कारण पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने के मामले को माना जा रहा है। धान की कटाई के मूलभूत दिनों में ही पंजाब में 23 और हरियाणा में 70 मामले नोटिस किये गए।
![पराली का मुद्दा हवा प्रदूषण पराली का मुद्दा हवा प्रदूषण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/3pLxadCHd1730799805009/1730800060272.jpg)
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पराली जलाने पर लगाम कसने की कवायद में जुटी योगी सरकार, जल्द ही सभी जिलों में लगेंगे सीबीजी प्लांट
उत्तर प्रदेश में पराली और उससे फैलने वाला प्रदूषण जल्द ही अतीत की बात होगी। प्रदेश में लगभग सभी जिलों में कंप्रेस्ड बॉयोगैस (सीबीजी) के संयंत्र लगाए जाएंगे। प्रयागराज और बाराबंकी में सीबीजी संयंत्रों ने काम करना शुरू भी कर दिया है।
![पराली जलाने पर लगाम कसने की कवायद में जुटी योगी सरकार, जल्द ही सभी जिलों में लगेंगे सीबीजी प्लांट पराली जलाने पर लगाम कसने की कवायद में जुटी योगी सरकार, जल्द ही सभी जिलों में लगेंगे सीबीजी प्लांट](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/hxUXykdon1730800171061/1730800261540.jpg)
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बैंगन एवं टमाटर की खेती में लगने वाले रोग के कारण एवं लक्षण
बैंगन एवं टमाटर की सफल खेती करने के लिए किसानों को कई महत्वूपर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। इनकी खेती में सबसे अधिक बैक्टीरियल विल्ट रोग लगने की संभावना काफी अधिक होती है। ऐसे में आईए जानते हैं कि इन रोगों के कारण, लक्षण को जानकर समय पर प्रबंधित कैसे करें।
![बैंगन एवं टमाटर की खेती में लगने वाले रोग के कारण एवं लक्षण बैंगन एवं टमाटर की खेती में लगने वाले रोग के कारण एवं लक्षण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/gYH7lQ7Cl1730800264979/1730800528534.jpg)
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'बीज विक्रय दुष्कर'
बीज उत्तम गुणवत्ता का हो तो भरपूर उत्पादन होता है। भारत सरकार ने बीज की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968, बीज नियंत्रण आदेश 1983 तथा भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानक 1965, 1971, 1988, 2013 एवं नवीनतम 2023 की रचना की। ये सभी बीज कानून बीज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सक्षम हैं।
!['बीज विक्रय दुष्कर' 'बीज विक्रय दुष्कर'](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/U9fTQdjbV1730799216248/1730799500277.jpg)
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उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, सौर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा आईएफसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में भी मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के बीच हुई बैठक में प्रदेश में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कृषि क्षेत्र में निवेश पर विस्तृत चर्चा की गई।
![उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/POLarzHV01730800585792/1730800705490.jpg)
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फल, सब्जियों में उपयोग होने वाली नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की वैज्ञानिक विधि
फल, सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए नीम तुलसी कीटनाशक काफी लाभदायक साबित होती है। इस कीटनाशक को बनाने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करने की जरुरत नहीं है। इसके लिए आज हम आसान वैज्ञानिक विधि लेकर आए हैं, यहां जानें नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की पूरी विधि -
![फल, सब्जियों में उपयोग होने वाली नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की वैज्ञानिक विधि फल, सब्जियों में उपयोग होने वाली नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की वैज्ञानिक विधि](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1883412/PcThPeugH1730800913308/1730801045114.jpg)
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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:
Utgiver: Mehram Publications
Kategori: Business
Språk: Hindi
Frekvens: Fortnightly
Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.
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