Gambhir Samachar - June 01, 2022Add to Favorites

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news magazine which covers various types of matters.

8 का ठाट मोदी सरकार के आठ साल

सशक्त, निडर और राष्ट्रभक्ति के प्रेरक नेतृत्व में कोई देश महान कैसे बनता है और दुनिया कैसे उस प्रेरक नेतृत्व के प्रति सिर झुकाती है, इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं. नरेन्द्र मोदी जी के महान व्यक्तित्व और भारत को दुनिया के सामने एक महान देश के रूप में प्रस्तुत करने की वीरता व भागीरथी प्रयास की चर्चा से पूर्व इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं की विवेचना भी आवश्यक है. प्रसंग इंदिरा गांधी से जुड़ा हुआ है. इंदिरा गांधी 1971 में अमेरिका गई थीं और अमेरिका से वह मदद चाहती थीं. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन ने एक लॉन में 45 मिनट तक उन्हें इंतजार कराया था. भारत के पूर्व विदेश सचिव और पद्मभूषण महाराजा कृष्ण रसगोत्रा इस अपमानजनक घटना के साक्षी थे. रसगोत्रा ने अपनी आत्मकथा में इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री के साथ इस तरह की कूटनीतिक अपमान की घटना अमेरिकी अहंकार की प्रतीक थी. दूसरा उदाहरण जवाहरलाल नेहरू के साथ जुड़ा हुआ है. चीन युद्ध के दौरान रूस ने नेहरू को धोखा दिया था. नेहरू रूस के धोखे से आक्रोशित थे. नेहरू ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति से बचाने की गुहार लगायी थी, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. तीसरा उदाहरण लालबहादुर शास्त्री के साथ जुड़ा है. 1965 के युद्ध में भारत ने महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा किया था और पाकिस्तान की अपमानजनक पराजय हुई थी. तत्कालीन सोवियत संघ दादागिरी पर उतर आया था. लालबहादुर शास्त्री जी के साथ उस समय जो हुआ वह पूरा देश जानता है.

8 का ठाट मोदी सरकार के आठ साल

1 min

आखिर 'बॉर्न टू रूल' सिंड्रोम से कब बाहर आएंगे राहुल गांधी?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी का हालिया लंदन दौरा काफी सुर्खियों में रहा. लंदन में हुए 'आइडिया फॉर इंडिया’ कार्यक्रम में राहुल गांधी ने भारत के संविधान, अर्थव्यवस्था, कांग्रेस के चिंतन शिविर, विदेश नीति जैसे तमाम मुद्दों पर एक बार फिर अपना 'अलग नजरिया रखा. एक ऐसा नजरिया, जो खुद को सही साबित करने की छटपटाहट से शुरू होकर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना से होते हुए भारत को एक देश के तौर पर ही कठघरे में खड़ा करने को तैयार रहता है. दरअसल, राहुल गांधी 'आइडिया फॉर इंडिया' कार्यक्रम में अपनी गलतियों के लिए सामने वाले (नरेंद्र मोदी, भाजपा, आरएसएस, जनता) को दोषी ठहराने की कोशिशों में लगे रहे.

आखिर 'बॉर्न टू रूल' सिंड्रोम से कब बाहर आएंगे राहुल गांधी?

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जवानों का हनीट्रैप का शिकार होना चिंताजनक

बीते दिनों राजस्थान में भारतीय सेना के एक जवान को महत्वपूर्ण सैन्य सूचनाएं लीक करने के आरोप में जोधपुर से गिरफ्तार किया गया है.

जवानों का हनीट्रैप का शिकार होना चिंताजनक

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राष्ट्रभक्ति की भावना की सार्वजनिक अभिव्यक्ति

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मदरसों और स्कूलों में राष्ट्रगान अनिवार्य करने का काम किया है. लिहाजा, अब मदरसे में भी पढ़ाई शुरू होने से पहले बच्चे राष्ट्रगान गायेंगे जिससे उनमें बचपन से ही राष्ट्र की समझ और राष्ट्र प्रेम का विकास होगा.

राष्ट्रभक्ति की भावना की सार्वजनिक अभिव्यक्ति

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ममता बनर्जी की तानाशाही

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उसे हिटलर के शासन से भी खराब बताती हैं. भाजपा सरकार पर संघीय ढांचे को तोड़ने का आरोप लगाती हैं. लेकिन, 'दीदी' खुद राज्यपाल जगदीप धनखड़ की शक्तियों को कम करने की कोशिश करने से परहेज नहीं करती हैं.

ममता बनर्जी की तानाशाही

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कैसे काशी विश्वनाथ मंदिर हो गया ज्ञानवापी मस्जिद

उत्तर प्रदेश

कैसे काशी विश्वनाथ मंदिर हो गया ज्ञानवापी मस्जिद

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बीजेपी को 2024 तक उलझाये रखने का नीतीश का प्लान

नीतीश कुमार ने 2024 तक बीजेपी को फंसाये रखने का प्लान तो बना लिया है. जातीय जनगणना और आरसीपी सिंह का मामला भी यही बता रहा है - लेकिन क्या जेडीयू नेता बीजेपी नेतृत्व को अपने जाल में वाकई उलझा पाएंगे?

बीजेपी को 2024 तक उलझाये रखने का नीतीश का प्लान

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यासीन मालिक की सज़ा देर से आया, कम आया

यासीन मलिक आतंक का साथ देने वाला ही नहीं बल्कि जेकेएलएफ जैसे समूह को बनाने वाला खुद एक आतंकवादी था, जिसने कश्मीर में चुन चुन कर कश्मीरी पंडितों का सफाया किया. उस पर भी अरुंधति रॉय, फारूक अब्दुल्ला महबूबा मुफ्ती और ओमर अब्दुल्ला समेत कइयों के ख्याल में इन्हे एक मौका मिलना था !

यासीन मालिक की सज़ा देर से आया, कम आया

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समाज का संकुचित दायरा और वैधव्य की अनंत पीड़ा

वैधव्य के असहनीय दर्द को उल्लेखित करना आसान नहीं है. यह दर्द वैधव्य पीड़ा भोगने वाली हर स्त्री में समान रूप से संचारित होता है. मंदिरा बेदी जैसी अभिनेत्री भी पति के शव को कंधा नहीं दे सकी, क्योंकि वह उस दुनिया का हिस्सा है जहां चकाचौंध ज्यादा है ! लेकिन, फिर भी वे उस सामाजिक परंपरा से मुक्त नहीं हैं, जो विधवाओं के लिए गढ़े गए हैं. अब मंदिरा बेदी के कपड़ों पर सवाल उठाए जाने लगे हैं. समाज की भावनाएं इतनी एकपक्षीय और पूर्वाग्रह से ग्रस्त है कि हम वैधव्य भोगती महिला को सिर्फ लबादा ओढ़े ही देखना चाहते हैं. लेकिन, धीरे-धीरे कहीं बदलाव की हवा चलती दिखाई दे रही है ! उम्मीद है कि ये हवा आगे तेज होगी.

समाज का संकुचित दायरा और वैधव्य की अनंत पीड़ा

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पार्टी के लिए खुद को कैसे संवारें

अच्छी तरह संवरने का गहरा प्रभाव पड़ता है और इसके लिए छोटीछोटी बातें भी अहमियत रखती हैं. सभी पहलुओं पर गौर कर आप पार्टी की रात बेहद हसीन नजर आ सकती हैं. मेरा यकीन कीजिये, नाखून का उड़ा हुआ रंग या बेतरतीब बाल से आपका प्रभाव कम नजर आ सकता है. आप कुछ जरूरी टिप्स को आजमाकर अपने आपको आकर्षक बना सकती हैं.

पार्टी के लिए खुद को कैसे संवारें

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UtgiverMohta Publishing

KategoriNews

SpråkHindi

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