Outlook Hindi - October 28, 2024Add to Favorites

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कुर्सी ना छूटो जाए

हिज्बुल्ला अभी जिंदा है

सवाल यह है कि अब नेतन्याहू क्या करेंगे? इजरायल की क्या योजना है? और क्या ईरान इस जंग में कूदेगा?

हिज्बुल्ला अभी जिंदा है

4 mins

नसरुल्ला के बाद क्या?

कथित प्रतिरोध संगठनों के हाथ लगातार लग रही नाकामी संभव है कि पश्चिमी एशिया में एक बार फिर से शिया-सुन्नी टकरावों के चलते गृहयुद्ध जैसी कोई स्थिति पैदा कर दे

नसरुल्ला के बाद क्या?

6 mins

'नायाब' कामयाबी

चौंकाने वाले चुनाव नतीजे ने इतिहास में पहली बार बनाई किसी दल की लगातार तीसरी सरकार

'नायाब' कामयाबी

8 mins

मिलाजुल जनादेश

कश्मीर घाटी में एनसी कांग्रेस को एकतरफा जीत, भाजपा का जम्मू में बेहतर प्रदर्शन, लेकिन उमर अब्दुल्ला की सरकार के सामने कई मुश्किलें

मिलाजुल जनादेश

8 mins

इतिहास की रोशनी में वक्फ संशोधन बिल

मौजूदा संशोधन विधेयक का विरोध जरूरी है, लेकिन वक्फ को बचाने की लड़ाई को इतिहास की रोशनी में समझना जरूरी है ताकि उसकी मौजूदा माली हालत के असली दोषियों की पहचान की जा सके

इतिहास की रोशनी में वक्फ संशोधन बिल

5 mins

कुर्सी महा ठगिनी हम जानी

आर्थिक उदारीकरण के पिछले तीन दशक के दौरान भारतीय राजनीति का चरित्र कुछ ऐसा बदला है। कि धन, सार्वजनिक आचरण से लेकर नेताओं का चरित्र तक सब कुछ महज कुर्सी के इर्द-गिर्द सिमट गया है और दलों का फर्क मिट गया है

कुर्सी महा ठगिनी हम जानी

10+ mins

चंपाई महत्वाकांक्षा

कुर्सी जाने पर पाला बदलने और अपने लोगों के खिलाफ खड़े होने का आदिवासी प्रसंग

चंपाई महत्वाकांक्षा

5 mins

कुर्सी कलाबाजी की मिसाल

पंजाब से टूट कर अलग राज्य बनने के वक्त से ही हरियाणा में कुर्सी के लिए आया गया की दलबदलू राजनीति चल रही

कुर्सी कलाबाजी की मिसाल

5 mins

अबूझमाड़ में मुठभेड़

यह पहला मौका है जब पुलिसिया दावे के मुताबिक एक ऑपरेशन में इतनी बड़ी संख्या में माओवादी मारे गए

अबूझमाड़ में मुठभेड़

3 mins

पन्ना की तमन्ना हीरा मिल जाए

पन्ना में छोटे-छोटे भूखंडों में मिल रहा हीरे का एक टुकड़ा बदल रहा गरीब आदिवासी किसानों की जिंदगी

पन्ना की तमन्ना हीरा मिल जाए

3 mins

वापस पंत नायक

चोटिल खिलाड़ी के लिए फिर मैदान पर शानदार प्रदर्शन करना सबसे बड़ी चुनौती होती है, पंत इस करिश्मे में सफल रहे

वापस पंत नायक

4 mins

'जब तक रहूं, नृत्य के साथ रहूं'

करीब छह दशकों से नृत्य कर रहीं शोभना नारायण अभी थकी नहीं हैं। 75 वर्ष की उम्र में भी उनमें उत्साह और जोश-खरोश भरपूर है । बिरजू महाराज की शिष्या शोभना नृत्यांगना ही नहीं, वरिष्ठ नौकरशाह और लेखिका भी हैं। बिहार के एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार में जन्मी शोभना को संस्कृति और कला से लगाव तथा राष्ट्रीय जीवन-मूल्य विरासत में मिले हैं। वे ऐसे परिवार से हैं जहां दिनकर, धर्मवीर भारती, रमानाथ अवस्थी जैसे साहित्यकारों की मंडली घर पर जमती थी। मां ललिता नारायण लोकसभा का चुनाव पटना से लड़ी थीं। उनका जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से निजी परिचय था। शोभना नारायण के 75वें जन्मदिन पर पिछले दिनों उनके शिष्यों ने नृत्यसमारोह का आयोजन किया। इस मौके पर उनसे विमल कुमार ने खास बातचीत की। संपादित अंशः

'जब तक रहूं, नृत्य के साथ रहूं'

4 mins

गरीबों के नायक की सुध

तीन बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मिठुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के सम्मान

गरीबों के नायक की सुध

3 mins

परदे का पुराना प्यार

पुरानी फिल्में सिनेमाघरों में दोबारा दस्तक दे रहीं, नई फिल्मों की नाकामी, व्यावसायिक मुनाफा और पुराने के प्रति दीवानगी ट्रेंड को बढ़ा रही

परदे का पुराना प्यार

4 mins

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UtgiverThe Outlook Group

KategoriNews

SpråkHindi

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