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हँसाते - रुलाते, रिश्ते - नाते
किशोरावस्था में लड़के अनेक शारीरिक व भावनात्मक बदलावों से गुजर रहे होते हैं। पितृसत्तात्मक सामाजिक ताने-बाने में अक्सर इन बदलावों पर खुलकर बातचीत कर पाना और एक स्वस्थ नज़रिया विकसित कर पाना सम्भव नहीं होता। इसी कमी को ध्यान में रखकर एकलव्य ने बेटा करे सवाल किताब विकसित की है जिसके अलग-अलग अध्यायों में किशोरावस्था के विभिन्न आयामों व उनके सामाजिक-सांस्कृतिक, शारीरिक व भावनात्मक पहलुओं की चर्चा की गई है। आइए, पढ़ते हैं इस किताब का एक महत्वपूर्ण हिस्सा।
हिन्दी भाषा का साहित्यिक सफर!
संदर्भ के अंक-136 में टी. विजयेंद्र का लेख हिन्दी हाज़िर है पढ़ा।
जेंडर की जकड़न को तोड़ती कहानियाँ
बच्चों के साथ बातचीत
पुवितम में विज्ञान : ज़िन्दगी से सीखना
तमिल में पुवितम का मतलब 'धरती से प्रेम' होता है। पुवितम गतिविधि केन्द्र में बच्चे अपने आसपास के माहौल में सहजता से अवलोकन करना, खोजबीन करना और काम करना सीखते हैं। यह पद्धति विज्ञान सीखने पर किस तरह असर करती है? और शिक्षक इस प्रक्रिया में क्या भूमिका निभाते हैं?
रसोई में चिड़ियाघर
उन दिनों मैं पहले दर्जे में था। स्कूल से लौटकर अक्सर अपने चाचा के घर जाया करता था। उनका घर हमारे मुहल्ले ही में था। वे अकेले रहते थे। घर का सारा काम खुद करते थे। उनकी मेज़ किताबों और कागज़ों से इतनी लदी रहती थी कि देखकर लगता था, मानो अभी ढह जाएगी! लेकिन ऐसा हुआ कभी नहीं क्योंकि मेज़ के पाए किसी हाथी के बच्चे की टाँगों जितने मोटे और मज़बूत थे।
बल्ब जलाओ जगमग-जगमग
"देखो... मैं आज गणित में तड़ी मारने वाला हूँ।” भागचन्द्र ने गली के मोड़ पर इसरार और नारंगी से कहा।
अजगर बिलों में सेही के साथ शान्ति से रहते हैं
अदिति मुखर्जी यहाँ अजगर तथा सेही, जिनके बीच अक्सर एक शिकारी और शिकार का सम्बन्ध होता है, के एक ही बिल में शान्ति से साथ-साथ रहने के अपने अध्ययन के बारे में बता रही हैं।
फ्यूज़ बल्ब का कमाल
पुस्तक अंश - खोजबीन
संख्याएँ कितनी वास्तविक एवं कितनी काल्पनिक?
शिक्षकों की कलम से
बड़े काम के हैं भाषा के काम
शिक्षकों की कलम से
पौधे-माहू-चीटी की अन्तक्रिया की खोजबीन
आँगन में जीवन
तितली ज़मीन पर
एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में वर्षावन का दौरा करते समय कुछ सॉल्ट लेक के बारे में बताया गया था।
तथ्यों की खोज
स्कूली बच्चों के साथ सबसे लम्बे दिन का पता लगाना
जिल पडलर
दक्षिण अफ्रीका की गणित शिक्षा शोधकर्ता
चिचड़ी (टिक)
"जानवर की याददाश्त होती है, पर कोई यादें नहीं।" हेमन्न स्टाइनथल (Heymann Steinthal)
दविन्दर कौर उप्पल एक ज़बरदस्त शिक्षिका
श्रद्धांजलि
मन के चित्रों और खयालों से लिखने-पढ़ने की चिंगारी तक
शिक्षकों की कलम से
मुश्किल नहीं है बच्चों को गिनती सिखाना
बच्चे जैसे ही प्रारम्भिक कक्षाओं में स्कूल में भर्ती होते हैं वैसे ही गिनती सिखाने की जद्दोजहद शुरू हो जाती है।
शिक्षकों की 'सुनना'
शिक्षकों के लिए विज्ञान करके सीखने की कार्यशाला के अनुभव
शक्तिशाली... सर्वव्यापी... जीवन का आधार, 'फफूंदों का अनोखा संसार
शक्तिशाली... सर्वव्यापी... जीवन नहीं बल्कि फफूंद की बात कर रही हूँ।
छतरी
कहानी - छतरी
क्यों करें प्रयोग?
विज्ञान की कक्षा में गतिविधियों के पक्ष में कुछ और कारण
बूँद का कमाल
विज्ञान ज्ञान का पीरियड लग चुका था। मास्साब कक्षा में घुसे तो देखा कि बच्चे फ्यूज़ बल्ब में पानी भरकर अवलोकन कर रहे हैं।
मूँ तो चल्याँ टीको लगवावाँ, तूं भी चाल
ज़मीनी अनुभव, कोरोना काल
कहानी के आगे एक कक्षा अनुभव
शिक्षकों की कलम से
सवालीराम
सवाल: पृथ्वी का छोर कहाँ है?
और फिर उन्होंने एक गहरी साँस ली!
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वे अलग-अलग तरीकों से अपने आसपास की दुनिया को समझने की कोशिश करते हैं। थोड़ी समझ उनके अपने अवलोकनों के कारण विकसित होती है, थोड़ी अपने माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों की बातचीत सुनकर, तो थोड़ी लोकप्रिय माध्यमों से मिलने वाले सन्देशों से। शिक्षक और पाठ्यपुस्तकें भी बच्चों के ज्ञान के इस भण्डार में इजाफा करते हैं। बहरहाल, अक्सर बच्चे वास्तविक दुनिया के अनुभवों से जो समझ विकसित करते हैं, वह कक्षा में सीखी गई बातों से भिन्न होती है। स्कूली शिक्षा बिरले ही इस दोहरी, समानान्तर समझ पर कोई काम करती है।
प्रकाश का अवलोकन - छायाएँ और प्रतिबिम्ब
क्या छायाएँ पूरी तरह से अँधेरी होती हैं? क्या कुछ छायाएँ अन्य छायाओं से ज़्यादा गहरी होती हैं? एक मोबाइल फोन के कैमरे तथा मनुष्य की आँख में क्या चीज़ समान होती है? क्या कोई प्राकृतिक पिन-होल कैमरा होता है? यदि हम चाहते हैं कि हमें अपना दाहिना हाथ वैसा ही दिखाई दे जैसा वह दूसरों को दिखता है, तो हमें कितने दर्पणों की ज़रूरत होती है? इस लेख में लेखक ने ऐसे कई सरल तरीकों का ज़िक्र किया है जिनके द्वारा, छायाओं और प्रतिबिम्बों का उपयोग करते हुए, प्रकाश के शिक्षण में दैनिक जीवन के अवलोकनों को अवधारणाओं से जोड़ा जा सकता है।
अब्बू खाँ की बकरी
कहानी
साये में बैंकिंग
यदि ठीक से काम करें तो बैंक कमाल के होते हैं और आम तौर पर वे ठीक से काम करते भी हैं। लेकिन नहीं करते तो मानो कयामत आ जाती है, जैसा कि वर्ष 2008 में संयुक्त राज्य अमरीका (यू.एस.ए.) और लगभग सारी दुनिया में हुआ।