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सामाजिक बदलाव का माध्यम हैं कहानियाँ
कहानी हानी सुनने-सुनाने का अपना एक अलग ही मज़ा है। गम्भीरता, धैर्य, लगन, मानवीकरण, विश्लेषण और समानुभूति जैसे पहलुओं को विकसित करने और फलने-फूलने के जिन मौलिक गुणों की बच्चों या वयस्कों से अपेक्षा की जाती है, कहानी सुनने-सुनाने की प्रक्रिया में वे स्वतः ही फलने-फूलने और विकसित होने लगते हैं।
कुछ पिटे हुए अनुभव
शिक्षक के हाथों हिंसा का शिकार हुए बच्चे अक्सर भावनात्मक और व्यवहारिक समस्याओं से ताउम्र जूझते हैं। मानसिक तनाव उनके संज्ञानात्मक कौशल और अकादमिक प्रदर्शन पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। स्कूलों में शारीरिक दण्ड और अपमान व्यापक रूप होता आया है, और आज भी यह तमाम नियम-कानूनों के बावजूद भारत समेत कई देशों में स्कूली शिक्षा का अभिन्न हिस्सा है। लेखक ने इन्हीं मुद्दों पर अपने अनुभव साझा किए हैं जो तीन दशक बाद आज भी उतने ही मौजूं हैं।
लौट के बुध्दू घर को आए
कहानी - लौट के बुध्दू अर को आए
कोण को मापे कौन?
यहाँ कोणों के दो बहुत कम चर्चित पहलुओं की चर्चा की गई है जो दो अलग-अलग क्षेत्रों से सम्बन्धित हैं। पहला हिस्सा, सीधे ही मापन की समस्याओं में जाता है और दूसरा हिस्सा कोणों को मापने के वैकल्पिक तरीकों की चर्चा करता है। तो पढ़ें इस आलेख को, ताकि आप अपनी कक्षा में कोणों को मापने की ऐतिहासिक ज़रूरत एवं वास्तविक जीवन में उनके उपयोग मात्र से कुछ अधिक की चर्चा कर सकें।
एक-सी और अलग-सी चीजें
बीती रात से जमकर हो रही बरसात थमती दिख रही थी। स्कूल कैम्पस में काफी कीचड़ मच गया था।
आश्रमशाला के आदिवासी बच्चों के साथ हाइड्रोपोनिक खेती
बच्चे अपनी असल ज़िन्दगी के अनुभवों और अवलोकनों के साथ कक्षा में आते हैं। क्या इन अनुभवों और अवलोकनों का कक्षा के शिक्षण से कोई सम्बन्ध है? क्या बच्चे विज्ञान सीखने की प्रक्रिया की अगुआई कर सकते हैं? इस प्रक्रिया में शिक्षक की क्या भूमिका हो सकती है?
हम और हमारे विज्ञान समझाने के मॉडल
अक्सर हम विज्ञान की अमूर्त अवधारणाओं को समझाने के लिए मॉडल या सरलीकृत प्रयोगों का सहारा लेते हैं। अगर उनकी सीमाओं को रेखांकित न किया जाए और उनकी सशक्त तार्किक बुनियाद न हो, तो यह ढाँचा कभी भी ध्वस्त हो सकता है। प्रकाश के मॉड्यूल में दिए गए एक प्रयोग की विस्तृत समीक्षा करते हुए लेखक ने इस समस्या को उजागर करने की कोशिश की है।
लौट के बुध्दू घर को आए
कहानी - लौट के बुध्दू घर को आए
रूपान्तरण का अद्भुत महारथी एक ऑक्टोपस
दुनिया टनिया भर के तमाम जीव इसी में उनकी वंश वृद्धि कैसे हो।
जमावट
बाग में स्कूल के बच्चों को देखकर, बकरी चरा रहा बच्चा उनकी ओर टकटकी लगाए हुए था।
जन्तुओं में जनन संवाद की सम्भावनाएँ
धरातलीय वास्तविकता में, अमूमन ‘जन्तुओं में जनन' जैसे अहम विषय पाठ्यचर्या का हिस्सा होते हुए भी, कक्षा में संवाद का हिस्सा नहीं बन पाते। जहाँ एक ओर, शिक्षार्थियों के लिए, इन विषयों को पाठ्यपुस्तक से आगे बढ़कर सामाजिक परिवेशों से जोड़कर समझने की ज़रूरत है, वहीं कक्षा-कक्ष में शिक्षक इन्हें पढ़ाने से भी हिचकते हैं। ऐसे में, कक्षा में संवाद की क्या अहमियत उभरती है? शिक्षक किन कारणों से खुलकर इन विषयों का शिक्षण नहीं कर पाते? ऐसे सवालों और इनसे जुड़े सामाजिक मुद्दों पर रोशनी डालता है यह लेख।
कला शिक्षा की बुनियाद
“बच्चे की कला में सबसे सुन्दर उसकी ‘गलतियाँ होती हैं। जितनी अधिक मात्रा में ये गलतियाँ होती हैं, उतना ही आकर्षक उसका काम होता है। जितना ही उसका शिक्षक उन्हें हटाने की कोशिश करता है, उतना ही बच्चे का काम फीका, निर्धन और व्यक्तित्वहीन हो जाता है।" - फ्रांज़ सिज़ेक
उच्च प्राथमिक कक्षाओं में हिन्दी शिक्षण कुछ अनुभव
प्राथमिक कक्षाओं में भाषा पढ़ाने के नज़रिए एवं विधियों के बारे में करीब डेढ़ दशक से काफी चर्चा होती रही है लेकिन उच्च प्राथमिक कक्षाओं में भाषा पर किस नज़रिए से व कैसे काम करें, इस पर विमर्श कम ही दिखाई पड़ता है।
CUBE – पाठशाला के छात्रों से जुड़े प्रोजेक्ट आधारित विज्ञान प्रयोग
होमी भाभ विज्ञान शिक्षा केन्द्र में CUBE (Collaboratively Understanding Biology Education), सहयोग से विज्ञान के प्रयोग करने की एक संस्कृति है।
हमारे बीच जाले बुनती और शिकार करती मकड़ियाँ
वे बहुत नन्हीं तो होती हैं लेकिन मकड़ियों का जीवन भी हमारी तरह अत्यन्त नाटकीय होता है। मकड़ियों को यह तय करना होता है कि वे अपने जाले कहाँ बनाएँ और भोजन कहाँ खोजें। कैसे अपने शत्रुओं से बचें, सम्भावित जोड़ीदार को कैसे ढूँदें और कैसे अपने शिशुओं का ख्याल रखें। है न दिलचस्प? आइए, हमारे साथ मकड़ियों के दिलचस्प संसार को खोजिए।
अम्ल, क्षार और pH आयनीकरण से लेकर बफर घोल तक
विज्ञान में पढ़ाई जाने वाली कई 'अवधारणाओं के समान उत्तरोत्तर विकास का विचार अम्ल और क्षार की अवधारणा पर भी लागू होता है। इसका मतलब है कि हम एक ही अवधारणा से बार-बार विभिन्न स्तरों पर मुलाकात करते हैं और अपनी समझ को तराशते जाते हैं। स्कूलों में इस विषय को बहुत ही चलताऊ ढंग से पढ़ाया जाता है, उससे सम्बन्धित अवधारणाओं को गहराई से टटोलने की कोशिश करता है यह आलेख। उम्मीद है कि इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे आयनीकरण pH का निर्धारण करता है और किसी भी जलीय घोल की pH से तय होता है कि वह अम्ल की तरह बर्ताव करेगा या क्षार की तरह।
होमो लूडेन्स- खिलन्दड़ मानव
यो ज़े दे ब्लोक के साथ हुई अपनी बातचीत के कई दिनों बाद तक मेरा दिमाग इसी सवाल पर बार-बार वापस लौटता रहा: अगर सारा समाज भरोसे पर आधारित होता, तो कैसा होता?
मेरा रोज़नामचा: शिक्षा के बारे में सीखना
"तो क्या,” उन्होंने कहा, “तुम छोड़ना क्यों चाहते हो?" “बच्चे तो हर जगह बच्चे होते हैं,” उन्होंने समझाया। मैं सहमत था। "लेकिन क्या हम इस गैर-बराबर और अन्यायी शिक्षा व्यवस्था से आँखें चुरा सकते हैं?” मैंने पूछा।- वैली स्कूल में एक बातचीत
घोंघे की खोल में घुमाव कैसे आता है?
सममिति यानी सिमेट्री कई पौधों, जन्तुओं और यहाँ तक कि पानी जैसे कुछ अणुओं का भी गुण होता है। लेकिन घोंघे और उसके कुण्डलित खोल में यह बात नहीं है।
कोरोना काल में बच्चों की मनोस्थिति पर एक नज़र
परिचय घरों से बाहर न निकल पाना, लोगों से नहीं मिलना, आसपास का सूनापन और टीवी पर दिन-भर कोविड से जुड़ी खबरें देखना जब हम सब बड़ों पर इतना असर कर रहा था, तो यह सब बच्चों पर किस प्रकार का प्रभाव डाल रहा होगा! अध्ययन बताते हैं कि तनाव बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सीखने की प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। तनावपूर्ण परिस्थितियों में जीने से बच्चों में बेचैनी, डर, मूड ऊपर-नीचे होना और अन्य मानसिक बीमारियों से ग्रसित होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
एक फूटा थर्मामीटर और सविनय अवज्ञा
चम्पारन में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के बीज जर्मनी में बी.ए.एस.एफ.की प्रयोगशाला में बोए गए थे क्योंकि इतना सस्ता उत्पादन होने के बाद भारत के किसानों को नील का उत्पादन बन्द कर देना पड़ा था।
शून्य पर समझ
अगर मैं आपसे पूछू कि ओ, डक और लव में क्या समानता है, तो आप या तो थोड़ा चुप रहेंगे या कहेंगे कि कुछ भी समानता नहीं या कहेंगे कुछ समानता हो सकती है, पर अभी मुझे सूझ नहीं रहा है।
धोखेबाज़ तितलियाँ
छोटे कीटों की दुनिया अद्भुत होती है। न जाने कितने सारे लोगों ने कीटों के अध्ययन में अपना जीवन लगा दिया, फिर भी दुनिया के सबसे बड़े जीवसमूह में शुमार कीट वर्ग (class) के बारे में बहुत ही कम जानकारी हमारे पास होगी।
ज्ञान का स्वामित्व और नाटक प्रक्रिया
'ज्ञान का स्वामित्व' जिसके अन्तर्गत ये माना जाता है कि एक बच्चा अपने ज्ञान का निर्माण स्वयं करता है, की रोशनी में, नाटक की प्रक्रिया में इसको हासिल करने के कुछ अनुभव और उनपर चर्चा।
महाराष्ट्र के सरकारी अनुदान प्राप्त सेमी-इंग्लिश स्कूलों से क्या सीख सकते हैं?
हाल ही में, आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा दिए गए आर्दश कि सभी सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम बनाया जाए, को खारिज कर दिया है। अभिभावकों की आकांक्षाओं के नाम पर हम कई बार कुछ ऐसे विकृत विकल्प चुनते हैं, इसलिए जागरूक सार्वजनिक बहस की बहुत ज़रूरत है।
प्रतिबिम्ब: वास्तविक या आभासी?
मुझे झे हमेशा से अपने वैज्ञानिक मिज़ाज पर गर्व रहा है मैं हर चीज़ पर सवाल उठाती हूँ, और किसी कथन को स्वीकार करने से पहले खुद आज़माकर देखना चाहती हूँ। और जिन चीज़ों को मैं अन्य लोगों के अन्धविश्वास मानती हूँ, उन्हें मैं काफी बेरहमी से खारिज करती हूँ।
अजगर की शरीर-क्रिया की समझ के फायदे
24 दिसम्बर को भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क में प्रवेश लेते हुए सुबह के साढ़े ग्यारह बज रहे थे। इसके बावजूद सूर्य नदारद था। घने कोहरे के कारण चेन्नई से आई छह सदस्यीय फोटोग्राफर्स की एक टीम, पक्षियों के फोटो खींचने की बजाय अपना समय गप्पे मारने में लगा रही थी।
छोटे, फिर भी महान: विश्वव्यापी बैक्टीरिया
मानव चाहे जितना विध्वंस करे और चाहे पृथ्वी पर से अपने वंश को ही खत्म कर दे, फिर भी संसार के असली मालिक बैक्टीरिया के साम्राज्य को कोई हानि नहीं पहुंचेगी।
फूलों का खिलना और मुरझाना
फूलों की आयु या दीर्घायु को समय के अनुरूप परिभाषित किया जा सकता है। इस अन्तराल में फूल खुला और कार्यात्मक रहता है, और पौधों की प्रजनन सफलता के लिए यह एक महत्वपूर्ण विशेषता है क्योंकि यह सीधे परागण प्रक्रिया के लिए उपलब्ध समय को निर्धारित करता है, और इस प्रकार, परागकण के वितरण में सहायक है।
एक दिन मन्ना डे
छियासी यासी बरस के मन्ना डे उस दिन शहर में आए थे। जीवनकाल में ही अमर हो चुके अपने अनेक गीतों को गाने के लिए। कार्यक्रम का ज़्यादा प्रचार नहीं हुआ लेकिन धीरे-धीरे खबर फैलती गई कि मन्ना डे शहर में आज गाना गाएँगे।