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सब्जी उत्पादन तकनीक
प्रशिक्षण का आयोजन
मल्टीक्रौप थ्रेशर
अनेक खूबियों वाला कृषि यंत्र
मधुमक्खी मेहनती तो हैं पर सोती नहीं
रोचक जानकारी
बिना मिटटी के आलू की खेती
हाईंटैक तकनीक से अब बिहार के किसान खेती करने लगे हैं. खेती में तकनीक का प्रयोग करने से कम लागत में वे ज्यादा उत्पादन कर रहे हैं.
ग्रीष्मकाल में मूंग की वैज्ञानिक खेती
दलहन की एक प्रमुख फसल मूंग है. इस का वानस्पतिक नाम विगना रेडिएटा है. यह लेग्यूमिनेसी द कुल का पौधा है. इस का जन्मस्थान भारत है. मूंग के दानों में 25 फीसदी प्रोटीन, 60 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, 13 फीसदी वसा और अल्प मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है.
खुदाई यंत्र : लहसुन हार्वेस्टर
भारत के कई हिस्सों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में लहसुन की बड़े पैमाने पर खेती होती है. लहसुन की फसल अप्रैलमई महीने तक तैयार हो जाती है. उस के बाद खेत से लहसुन की खुदाई करना जरूरी है.
खेती के लिए ड्रोन खरीदने पर सब्सिडी
खेती में काम आने वाले अनेक कृषि यंत्रों पर सरकार की ओर से किसानों को इन यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी का लाभ दिया जाता है. इन यंत्रों की सूची में अब ड्रोन भी शामिल हो गया है.
खारे पानी में झींगापालन
समस्याएं और उन का निराकरण
किसानों ने बनाई अपनी सब्जी मंडी
बिहार के समस्तीपुर जिले के पूसा प्रखंड में एक छोटा सा बाजार है, जिस का नाम है मोरसंड. यहां सड़क के किनारे सुबहसवेरे 7 बजे से ही सब्जियों की मंडी सजने लगती है. इस स्थानीय मंडी में आने वाली सब्जियां इतनी ताजी, खूबसूरत और अच्छी होती हैं कि अगर आप का मन न भी हो, तब भी आप सब्जी खरीदने को मजबूर हो जाएंगे.
किसान एफपीओ बना कर आमदनी में कर सकते हैं इजाफा - सीए अजीत चौधरी
अम किसानों की आय आ बढ़ाने, कृषि उपज की ब्रांडिंग और मार्केटिंग से ले कर खेतीबारी, बागबानी, पशुपालन, मछलीपालन, फूड प्रोसैसिंग जैसे तमाम कामों में फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन यानी एफपीओ की भूमिका बढ़ती जा रही है. किसान एक कंपनी के रूप में एफपीओ का गठन कर अधिक आय अर्जित कर सकते हैं.
कंबाइन हार्वेस्टर कम समय में ज्यादा काम
यह एक बड़ा कृषि यंत्र है, जो किसानों के बड़े ही काम आता है. कंबाइन हार्वेस्टर मशीन का इस्तेमाल करने से मजदूरों की समस्या तो दूर होती ही है, साथ ही कम समय में ज्यादा काम किया जा सकता है. कम लागत और कम समय में जल्दी काम पूरे हो जाते हैं.
आम के बाग का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन
आम की उत्पादकता को के लिए बढ़ाने आवश्यक है कि मंजर में टिकोरा (फल) लगने के बाद बाग का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन कैसे किया जाए.
मिर्च की खेती बनी आमदनी का जरीया
कोई भी काम लगन और मेहनत से किया जाए, तो उस से फायदा ही होता है. खेतीकिसानी में भी खेती का रकबा भले ही कम हो, पर खेती के नए तौरतरीकों के जरीए भी ज्यादा आमदनी जुटाई जा सकती है.
मार्च महीने के खेती के खास काम
मार्च के महीने में गेहूं की बालियों में दाने बनने लगते हैं और उन में दूध बनना शुरू हो जाता है. गेहूं के दाने बनने के दौरान पौधों को पानी की दरकार रहती है, इसलिए खेत में नमी बनाए रखना जरूरी होता है. गेहूं के खेत की सिंचाई का पूरा खयाल रखें.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का 60वां दीक्षांत समारोह संस्थान ने दिया उपलब्धियों का ब्योरा
पिछले दिनों 11 फरवरी, 2022 को आईएआरआई, नई दिल्ली के 60वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया.
घरआंगन में लगाएं सब्जियां
घर के बगीचे में सब्जियों की खेती करने को हम किचन गार्डन कह सकते हैं. किचन गार्डन यानी गृहवाटिका में सब्जी उत्पादन का प्रचलन पुराने समय से ही चला आ रहा है. इस में सब्जी उत्पादन का खास मकसद यह होता है कि पूरे परिवार को सालभर ताजा सब्जी मिलती रहे.
गरमियों में मूंग की खेती से मुनाफा कमाएं
गरमियों में विभिन्न दलहनी फसलों में मूंग की खेती का विशेष स्थान है. जहां पानी की अच्छी व्यवस्था हो, वहां मूंग की खेती इस समय की जा सकती है. इस की खेती करने से अतिरिक्त आय, खेतों का खाली समय में सदुपयोग, भूमि की उपजाऊ शक्ति में सुधार, पानी का सदुपयोग आदि के कई फायदे बताए गए हैं. साथ ही, यह भी बताया है कि रबी की दलहनी फसलों में हुए नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो जाएगी.
केले की खेती
हमारे यहां केला एक प्रमुख लोकप्रिय पौष्टिक खाद्य फल है. पके केलों का प्रयोग फसलों के रूप में और कच्चे केले का प्रयोग सब्जी व आटा बनाने में होता है. भारत लगभग 16.8 मिलियन टन के वार्षिक उत्पाद के साथ केले के उत्पादन में दुनिया का नेतृत्व करता है.
आय और स्वरोजगार के लिए अपनाएं बकरीपालन - प्रो. एसएन सिंह, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती, उत्तर प्रदेश
बकरीपालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे कम लागत व कम स्थान में छोटा, बड़ा व भूमिहीन किसान आसानी से कर सकता है, इसीलिए इसे गरीबों की गाय व एटीएम भी कहा जाता है.
आम के बागों का प्रबंधन
आम के बागों में बौर आना शुरू हो गया है, इसलिए बागबानों को आम का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन देखभाल करनी होगी। की , क्योंकि जहां चूके तो रोग व कीट पूरी बगिया को बरबाद कर सकते हैं.
अरहर की फसल में फली छेदक कीट पर रखें नजर
अरहर की फसल को फली छेदक कीट सब से ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. किसान इस का प्रकोप उस समय अच्छी तरह समझ पाते हैं, जब सूंड़ी बड़ी हो कर अरहर की फसल को 5 से 7 फीसदी तक नुकसान पहुंचा चुकी होती है.
बड़े काम के छोटे ट्रैक्टर
आज के समय में मिनी ट्रैक्टर कम जोत वाले तमाम किसानों के बीच खासा लोकप्रिय हैं. इन का रखरखाव आसान है, कीमत भी कम है और कम जगह में ये अपना काम पूरा करते हैं. छोटे ट्रैक्टर खासकर बागबानी करने वाले किसानों के लिए अच्छे हैं, क्योंकि इन का आकार कम होता है, इसलिए ये उन तमाम जगहों से निकल जाते हैं, जहां बड़े ट्रैक्टर नहीं पहुंच पाते.
प्याज व लहसुन फसल : रोग और कीटों से रहें सावधान
लगातार मौसम में बदलाव होने से इस समय प्याज और लहसुन की फसल में कई तरह के रोग लगने की संभावना बनी रहती है. अगर समय रहते इन का प्रबंधन नहीं किया गया, तो प्याज व लहसुन की खेती करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
जैव उर्वरक उपयोग करने से पहले जानें कुछ बातें
हमारे यहां खेती में जैव उर्वरकों में राइजोबियम बैक्टीरिया, एजोटोबैक्टर, फास्फोरस घोलक जीवाणु, पोटाश मोबिलाइजिंग बैक्टीरिया, एजोस्पिरिलम के साथ ही माइक्रोराइजा का इस्तेमाल किया जाता है.
गेहूं के प्रमुख कीट व रोग और नियंत्रण
जब भी गेहूं की फसल में कीट व रोगों का प्रकोप होता है, इस की वजह से बढ़वार कम होने के साथ ही कल्ले भी कम निकलते हैं, इसलिए सही वक्त पर इन की पहचान कर समुचित फसल प्रबंधन करना बेहद जरूरी होता है, जिस से उपज पर कोई बुरा असर न पड़े.
गरमी में भिंडी की खेती
भिंडी की खेती
किसानों के लिए ड्रोन युवाओं को कृषि में देगा रोजगार
बजट 2022-23
आंवला एक गुण अनेक
सर्दी का मौसम है और हम आसानी से आंवले के पेड़ों को आंवले से लदा देख सकते हैं. इस में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी, कैल्शियम, फास्फोरस, लोह तत्त्व व विटामिन बी कौंप्लैक्स होता है.
हरियाणा में कस्टम हायरिंग सैंटर 50 फीसदी ससिडी पर कृषि यंत्र
स्ट्रा बेलर यूनिट, सुपर एसएमएस, हैप्पी सीडर, पेडी स्ट्रा चौपर, रोटरी स्लेशर, रिवर्सिबल एमबी प्लाऊ, सुपर सीडर, जीरो टिल सीड ड्रिल, क्राप रीपर आदि पर ससिडी
फरवरी महीने के खेती के खास काम
इस समय रबी की फसल का समय चल रहा है. इस की प्रमुख फसल गेहूं है. समय से बोई गई गेहूं की फसल में फरवरी में फूल लगने लगते हैं. इस दौरान खेत की सिंचाई हर हाल में कर देना जरूरी है. सिंचाई करते वक्त इस बात का खयाल रखें कि ज्यादा तेज हवाएं न चल रही हों, अगर हवा चल रही हो तो उस के थमने का इंतजार करें और मौसम ठीक होने पर ही खेत की सिंचाई करें. हवा के फर्राटे के बीच सिंचाई करने से पौधों के उखड़ने का पूरा खतरा रहता है.