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तपस्या का फल
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तपस्या का फल

कहानी

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आत्म-संतोष
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आत्म-संतोष

कहानी

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संस्कृतियाँ दें रोजगार
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संस्कृतियाँ दें रोजगार

समृद्ध सांस्कृतिक लाभ और नौकरी संबंध

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मीडिया का करप्शन कनेक्शन
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मीडिया का करप्शन कनेक्शन

व्यंग्य आलेख

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बहरा परिवार
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बहरा परिवार

त्रिपुरा की लोक कथा

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लॉकडाउन
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लॉकडाउन

लॉकडाउन की प्रक्रिया शुरू हुए तीन-चार दिन हो गए। रामू और । उसकी पत्नी चिंता में बैठे हुए बातचीत कर रहे हैं कि अब हमारा क्या होगा।

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जरूरी है ऑनलाइन गेमिंग के बारे में जानना
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जरूरी है ऑनलाइन गेमिंग के बारे में जानना

ऑनलाइन गेमिंग के बारे में जानकारी

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कामयाबी
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कामयाबी

लधुकथा

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चिड़िया और बंदर
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चिड़िया और बंदर

पंचतंत्र

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अमीर और गरीब की पत्नियाँ
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अमीर और गरीब की पत्नियाँ

अफ्रीकी लोक कथा

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1936 में प्रगतिशील लेखक संघ के प्रथम अधिवेशन लखनऊ में प्रेमचंद द्वारा दिया गया अध्यक्षीय भाषण
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1936 में प्रगतिशील लेखक संघ के प्रथम अधिवेशन लखनऊ में प्रेमचंद द्वारा दिया गया अध्यक्षीय भाषण

प्रेमचंद का अध्यक्षीय भाषण

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भूत की मुसीबत
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भूत की मुसीबत

बंगाल की लोक कथा

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प्रकृति की गोद में बसा उत्तराखंड
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प्रकृति की गोद में बसा उत्तराखंड

कोई भी शहर अपना अतीत नहीं बताता। वह हथेली की रेखाओं की तरह गूंथा रहता है, वह गलियों के नुक्कड़ पर, खिड़कियों की झंझरी पर, सीढ़ियों के बेनिस्टर पर, शलाकाओं के एतेना पर, पताकाओं के बासो पर लिखा रहता है । वह शहर के हर भाग पर खरोंचों, खाँचों, नक्काशियों के भीतर बसा रहता है।'

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एक नेता का कबूलनामा
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एक नेता का कबूलनामा

चुनाव की घोषणा हो चुकी थी। सीट बंटवारे की पहली लिस्ट उपार्टी जारी कर चुकी थी। कई नेताओं के नाम इस लिस्ट में नहीं थे। सभी असंतुष्ट नेता पार्टी कार्यालय में आकर हंगामा मचा रहे थे। कुछ नेता ‘पार्टी अध्यक्ष मुर्दाबाद' के नारे लगा रहे थे, तो कुछ गमला-मेज-कुरसी पटक रहे थे। लोटन दास अपनी धोती खोलकर प्रवेश द्वार पर बिछा धरने पर बैठ गये। अन्य नेताओं से चिल्लाकर बोले, "भाइयों, आप भी इस मनमानी के खिलाफ हमारा साथ दें। पैसे देकर खरीदे गये हैं टिकट ! इसके खिलाफ हम यहां नंग-धडंग धरना देंगे, प्रदर्शन करेंगे।"

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रोमांच और मस्ती की दुनिया
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रोमांच और मस्ती की दुनिया

5 दिसम्बर, 1901 को जन्मे वाल्टर एलियास वाल्ट डिज्नी द्वारा मूल रूप से अमेरिका के कैलिफोर्निया के एनाहिम स्थित 'डिज्नीलैंड' एक ऐसा मनोरंजन और थीम पार्क है, जहां दुनियाभर से आनेवाले बच्चों के साथ-साथ बड़े भी मस्ती करते हैं। यह ऐसी जगह है, जहां कल्पनाओं से भरी अनूठी दुनिया हर किसी को आनंदित करती है।

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हम सोशल मीडिया के गुलाम बन चुके हैं ?
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हम सोशल मीडिया के गुलाम बन चुके हैं ?

बदलते जमाने के साथ सूचना तंत्र में काफी बदलाव आया है। आज अपने घर के एक कोने में बैठ हम पूरी दुनिया की जानकारी एक छोटे से स्मार्टफोन के माध्यम से कुछ ही सेकंड में ले सकते हैं।

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आदिवासी सभ्यता एवं संस्कृति के उत्थान में आदिवासी महिलाओं का योगदान
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आदिवासी सभ्यता एवं संस्कृति के उत्थान में आदिवासी महिलाओं का योगदान

किसी भी क्षेत्र की संस्कृति की पहचान उस क्षेत्र के लोकजीवन से होती है। लोकजीवन से तात्पर्य उस अतीत की खोज से है जिसकी परम्पराएं, प्रेरणाएं एवं प्रतीक ने आज भी उस संस्कृति को न केवल जिंदा रखा है, बल्कि उसे निरंतर गति भी प्रदान कर रही है।

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दोस्ती का कर्ज
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दोस्ती का कर्ज

रामपुर में अमर नाम का एक सीधा-सादा, होनहार लड़का रहता था। एक दिन विद्यालय से लौटते समय रास्ते में उसने देखा कि कुछ बच्चे एक बंदर के पीछे पड़े हुए हैं। वे उसे चिढ़ा रहे हैं। कोई उसे पत्थर से मार रहा है, तो कोई डंडे से ।

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काव्य में पर्यावरण विमर्श
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काव्य में पर्यावरण विमर्श

विश्व बाजार में आज दो विपरीत चीजें एक साथ चल रही हैं। एक तरफ कोरोना के कारण चीन के साथ हो रहे विवाद से हथियारों की होड़, युद्ध की तैयारी एवं दूसरी ओर पर्यावरण विमर्श ।

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अनर्थकारी होती है नैतिकता विहीन राजनीति
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अनर्थकारी होती है नैतिकता विहीन राजनीति

शासन चलाने के लिए राजनीति एक कला है, कौशल है। इसी कौशल और कला के बल पर किसी समाज, राज्य और राष्ट्रहित में निर्णय लिये जा सकते हैं। सामाजिक आदर्शों को प्राप्त कर वैसा व्यवहार करके समाज हित में किया गया कार्य-व्यवहार ही नैतिकता कहलाता है।

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Issue 8
जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय
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जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय

सन् 2000 ... धनतेरस का दिन ... ननद के श्वसुर की तेरहवीं थी। दीपावली का त्यौहार होने की वजह से पति को अकेले ही जाना पड़ा। किसी अन्य का साथ जाना मुमकिन नहीं था।

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Issue 8
यह टच भी किसी 'बैड टच' से कम तो नहीं ?
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यह टच भी किसी 'बैड टच' से कम तो नहीं ?

प्रकृति की सबसे खूबसूरत रचना बच्चे हैं। ..और इनका बचपन तो कहना ही क्या ! बचपन में जो खुशियां मिलती हैं, उसके सहारे ही तो इंसान अपनी जिंदगी के संघर्षों को पूरा कर पाता है।

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Issue 8

Side 3 of 3

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