कागजी नींबू की उन्नतशील बागवानी
Modern Kheti - Hindi|15th November 2022
बागवानी - राजस्थान
डॉ. महेश चौधरी डॉ. अनोप कुमारी और डॉ. ममता देवी चौधरी
कागजी नींबू की उन्नतशील बागवानी

नींबू अपने स्वाद, खुशबू एवं गुणों के कारण खासा लोकप्रिय फल है। इसके फलों में विटामिन-सी के अलावा विटामिन ए, बी-1, लौह, फास्फोरस, कैल्शियम के साथ ही प्रोटीन, रेशा, वसा, खनिज एवं शर्करा भी मौजूद होती है। फलों का उपयोग स्क्वैश, कोर्डियल, सलाद को सजाने, अचार बनाने एवं सब्जी का स्वाद बढ़ाने में किया जाता है। फलों में किस्मों के हिसाब से 42 से 50 प्रतिशत तक रस पाया जाता है। नींबू का रस पीने से शरीर में ताजगी एवं स्फूर्ति का भाव पैदा होता है इसी वजह सें गर्मियों में इससे तैयार शर्बत का प्रचलन अधिक है। फलों के छिलकों को सुखाकर भी विभिन्न तरह के सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद तैयार किए जाते है। नींबू की इन्हीं विशेषताओं के कारण फलों की मांग लगभग सालभर बनी रहती है।

जलवायु एवं भूमि : इसका पौधा सहिष्णु प्रवृत्ति का होता है जो कि विपरीत परिस्थितियों में भी सहजता से पनप जाता है। शुष्क जलवायु वाले ऐसे क्षेत्र जहां औसत तापमान 13-37 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य रहता हो एवं पाले का प्रकोप कम रहता हो सर्वोत्तम है। समुचित जल निकास वाली मृदायें जिनका पी.एच. 5.5 से 7.5 के मध्य हो उत्तम मानी जाती है। 8.2 पी.एच. वाली मृदाओं में भी इसकी खेती की जा सकती है। लवणीय एवं अधिक चूनायुक्त मृदाएं इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है क्योंकि इस प्रकार की मृदायें नींबू में सूक्ष्म पौषक तत्वों की कमी ला सकती है। मृदा में 1-1.5 मीटर की गहराई तक किसी प्रकार की सख्त तह नहीं होनी चाहिए।

किस्में

रसराज : यह एक अंतरजातीय बहुभ्रुणीय संकर किस्म है। इस किस्म का विकास भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलूरू द्वारा किया गया है। फल पीले रंग के जिनका छिलका पतला, औसत वजन लगभग 55 ग्राम, 70 प्रतिशत रस एवं 12 बीज होते हैं। यह जीवाणिक कैंकर रोग के लिए प्रतिरोधी किस्म है।

एन.आर.सी.सी. नींबू-7 : इस किस्म का विकास केन्द्रीय नींबूवर्गीय फल अनुसंधान संस्थान, नागपुर द्वारा किया गया है। यह एक अधिक उपज देने वाली किस्म है जिनके फलों का रंग आकर्षक पीला, औसत वजन 48 ग्राम, 8 सें 9 बीज, अम्लीयता 7.05 प्रतिशत, रस 50.50 प्रतिशत होता है।

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सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।

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खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।

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