
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। गांवों में फसल उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन भी पारंपरिक रूप से किसानों के जीवन का अभिन्न हिस्सा है। किसान विभिन्न प्रकार की फसलें उगाते हैं और पशुधन पालन करते हैं। खेत में उत्पन्न संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने से कृषि को टिकाऊ और लाभदायक बनाया जा सकता है।
गांव समाज की मूल इकाई है। भोजन, आश्रय और वस्त्र की तरह ऊर्जा भी मानव जीवन की एक मौलिक आवश्यकता है। वर्तमान में, मानव जीवन का बड़ा हिस्सा जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है। इस निर्भरता के कारण पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे मानव जीवन प्रभावित होता है। जीवाश्म ईंधन के सीमित भंडार और उनकी तीव्र कमी पर हमेशा चिंता जताई जाती है। इसलिए, ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की खोज और उनका उपयोग करना आवश्यक है।
ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध ऊर्जा संसाधनों को पहचानकर उनका प्रभावी उपयोग करना समय की आवश्यकता है। व्यक्तिगत खेतों के संसाधनों का दीर्घकालिक लाभ उनकी समग्र आजीविका सुधार और राष्ट्रीय विकास में योगदान करता है। इसके लिए, खेत के सदस्यों को जागरूक करना आवश्यक है, ताकि वे खेत में उपलब्ध संसाधनों के लाभ और उनके प्रभाव को समझ सकें।
पशुधन गोबर खेत में उपलब्ध एक प्रमुख संसाधन है, जिसका किसान प्रभावी रूप से उपयोग कर सकते हैं। यह लेख जमीनी स्तर पर कार्यरत विभिन्न हितधारकों के बीच जागरूकता बढ़ाने का उद्देश्य रखता है, ताकि वे पशुधन गोबर के उपयोग की स्थिति, उसके लाभ और गुणों को समझ सकें। इसके माध्यम से उन किसानों के जीवन स्तर और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है जो अपनी आजीविका के लिए खेतों पर निर्भर हैं।
पशुधन की स्थिति और गांव में ऊर्जा उपयोग
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खेती में उचित प्रबंधन से अधिक पैदावार व आय प्राप्त करें किसान
हमारे देश में लगभग 65-70 प्रतिशत लोग खेती-बाड़ी के व्यवसाय में सीधे व गैर सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

बदलते मौसम में सरसों की फसल में कीट प्रबंधन
हाल के वर्षों में, कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के कारण कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है जिसमें फसल की कम पैदावार, पानी की कमी और कीटों और बीमारियों के खतरों में वृद्धि शामिल है।

जीव रसायन विज्ञान-परिचय और कृषि सुधार में योगदान
पौधों के हर पहलु का ज्ञान ही कृषि विकास को जन्म देता है।

वर्ल्ड फूड प्राईज़ विजेता
डॉ. अकिनवूमी अयोदेजी ऐडसीना अफ्रीकन डिवलपमेंट बैक ग्रुप के आठवें प्रधान हैं। डॉ. ऐडसीना एक प्रतिभाशाली डिवलपमेंट इक्नोमिस्ट एवं एग्रीकल्चरल डिवलपमेंट एक्सपर्ट हैं, जिनके पास अंतर्राष्ट्रीय अनुभव हैं।

रबी दलहनों की उपज बढ़ाएं देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएं
दलहन हमारे देश की खाद्य सामग्री में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जलवायु परिवर्तन के दौर में टिकाऊ खेती, मृदा की उर्वरा शक्ति को कायम रखने और पोषण सुरक्षा में दलहनी फसलों का अति महत्वपूर्ण योगदान है।

भारत में 8 गुणा बढ़ रहा है मृदा क्षण
भारत में मृदा क्षरण की दर वैश्विक दर से कहीं अधिक है। इसके कई कारक हैं जिनमें कृषि उत्पादन हेतु खादों का अनरवत बढ़ता प्रयोग प्रमुख है।

एमएसपी गारंटी कानून : किसानों के लिए सुरक्षा कवच या आर्थिक विनाश ?
अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और साहूकारों की कंपनियों से वित्त पोषित अर्थशास्त्री और सरकारी पैरोकार एमएसपी गारंटी कानून को आर्थिक तौर पर विनाशकारी और असंभव बताकर देश में जान-बूझ कर भ्रम फैला रहे हैं कि एमएसपी गारंटी कानून लागू करने पर सरकार को 17 लाख करोड़ रुपये वार्षिक से ज्यादा खर्च करने होंगे, क्योंकि तब सरकार एमएसपी वाली 24 फसलों के कुल उत्पादन को खरीदने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य हो जाएगी।

बदलते मौसम का कृषि पर दुष्प्रभाव
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और बढ़ता प्रदूषण न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डाल रहे है, बल्कि खेतों में पैदा हो रही फसलें भी इनसे प्रभावित है।

बायोपोनिक्स : पर्यावरण-अनुकूल खाद्य उत्पादन की एक उपयोगी तकनीक
जलवायु परिवर्तन, गहन खेती के पर्यावरणीय प्रभाव, जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए, हमारी खाद्य प्रणाली धीरे-धीरे अधिक पर्यावरण-अनुकूल बन रही है।