
मिट्टी रहित कृषि की इस नवीन तकनीक में मिट्टी के बिना खेती की जाती है और यह एक टिकाऊ खाद्य उत्पादन पद्यति भी है। बायोपोनिक्स में रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक या प्राकृतिक वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है।
ये पर्यावरण-अनुकूल उर्वरक पौधों या जानवरों के अपशिष्ट से बनता हैं, जिन्हें बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों द्वारा संसाधित किया जाता है। परिणामस्वरूप, बायोपोनिक्स फलों और सब्जियों को उगाने में रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करता है और यह जल और भूमि संसाधनों के संरक्षण और आवश्यक पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण का एक स्थाई तरीका भी है।
हमारी धरती, जलवायु परिवर्तन, बढ़ती वैश्विक जनसंख्या और शहरों की वृद्धि जैसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है। जैसे खाने की आवश्यकता वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, उसी प्रकार धरती पर ज्यादा शस्य उगाने का दबाव भी बढ़ रहा है। अधिक मात्रा में मिट्टी से पारंपरिक विधि में फल और सब्जियां उगाने से धरती को नुकसान पहुंचा सकती है। पारंपरिक कृषि में, मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्व कम होता है, कीटनाशकों जैसे हानिकारक रसायनों के उपयोग से जानवरों और कीड़ों को भी नुक्सान होता है। बायोपोनिक्स इन सभी समस्याओं का एक समाधान है। उन्नत कृषि तकनीकों के साथ संधारणीयता को जोड़ के, बायोपोनिक्स हमारे खाद्य उत्पादन के तरीके को बदल सकता है।
बायोपोनिक्स क्या है?
बायोपोनिक्स मिट्टी रहित कृषि की एक विधि है, जो रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक या प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग करती है। पारंपरिक हाइड्रोपोनिक्स में, सिंथेटिक पोषक तत्वों का भारी मात्रा में उपयोग किया जाता है, लेकिन बायोपोनिक्स में पौधे पोषक स्रोत के रुप में पुनर्नवीनीकरण पौधे या पशु आधारित सामग्री जैसे प्राकृतिक यौगिकों का उपयोग किया जाता है। ये प्राकृतिक यौगिक पौधे/पशु-आधारित होते हैं (जैसे पत्ती खाद, मुर्गी खाद, गोबर खाद इत्यादि)। सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया) पौधों या जानवरों के अपशिष्ट को पोषक तत्वों में परिवर्तित करते हैं, जिन्हें पौधे आसानी से अवशोषित कर सकते हैं। यह प्रक्रिया स्वस्थ मिट्टी में पाए जाने वाले प्राकृतिक पोषक चक्र की तरह ही होती है, जो हानिकारक पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए, पौधों को संतुलित आहार प्रदान करती है।
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खेती में उचित प्रबंधन से अधिक पैदावार व आय प्राप्त करें किसान
हमारे देश में लगभग 65-70 प्रतिशत लोग खेती-बाड़ी के व्यवसाय में सीधे व गैर सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

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जीव रसायन विज्ञान-परिचय और कृषि सुधार में योगदान
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वर्ल्ड फूड प्राईज़ विजेता
डॉ. अकिनवूमी अयोदेजी ऐडसीना अफ्रीकन डिवलपमेंट बैक ग्रुप के आठवें प्रधान हैं। डॉ. ऐडसीना एक प्रतिभाशाली डिवलपमेंट इक्नोमिस्ट एवं एग्रीकल्चरल डिवलपमेंट एक्सपर्ट हैं, जिनके पास अंतर्राष्ट्रीय अनुभव हैं।

कृषि में बायोगैस का महत्व और पशुधन गोबर का प्रभावी उपयोग
“ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध ऊर्जा संसाधनों को पहचानकर उनका प्रभावी उपयोग करना समय की आवश्यकता है। व्यक्तिगत खेतों के संसाधनों का दीर्घकालिक लाभ उनकी समग्र आजीविका सुधार और राष्ट्रीय विकास में योगदान करता है। इसके लिए, खेत के सदस्यों को जागरूक करना आवश्यक है, ताकि वे खेत में उपलब्ध संसाधनों के लाभ और उनके प्रभाव को समझ सकें।”

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