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गाजर चोर
देखिए ताजपुर के जंगल में क्या हुआ..
मेहनत रंग लाई
9 वर्षीय आयशा अपने मम्मीपापा के साथ उत्तराखंड के सुदूर एक छोटे से पहाड़ी जिले में रहती थी. आयशा के पापा गांव की प्राथमिक पाठशाला में शिक्षक थे. गांव वाले प्यार से उन्हें मास्टरजी कह कर बुलाते थे. उन का गांव में बहुत सम्मान था.
प्रतियोगिता
मानव को लगा कि वह बहुत बदल गया है. वह 15 दिन से घर पर था और उसे लगा जैसे पूरी दुनिया ही बदल गई है.
समाधान
मधुवन के राजा शेरसिंह बहुत ही दयालु थे. हर समय वे यही सोचते थे कि ऐसा क्या करें जिस से उन की प्रजा सुखी रहे. उन्होंने अपने राज्य की भलाई के लिए नईनई योजनाएं बनाते थे.
बालबाल बचे
महात्मा गांधी का सत्याग्रही और आंदोलनकारी जीवन वास्तव में दक्षिण अफ्रीका की धरती से शुरू हुआ था. भारत का स्वतंत्रता आंदोलन तो उन के आंदोलनकारी जीवन का दूसरा पड़ाव था. इसलिए दक्षिण अफ्रीका के संघर्ष को जाने बिना हम गांधीजी को सही से नहीं समझ सकते.
अज्ञान बनाम विज्ञान
जिब्बी जेबरा अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा से रिटायर हो कर लौटा था. दुर्भाग्य से जिस चंपकवन में वह रहता था, वहां कोई जानवर पढ़ालिखा न था. यहां लौटते ही उस के बुरे समय की शुरुआत हो गई.
अंगूर मीठे हैं
गरमी का मौसम था. फौक्सी लोमड़ी दोपहर में जंगल से गुजर रही थी. जंगल के एक छोर पर विंची भेड़ का बहुत बड़ा बगीचा था. उस बगीचे में तरहतरह के फलफूलों के कई पेड़पौधे लगे थे.
साहसी उर्विल
उर्विल और उस के दोस्त उन की बिल्डिंग के नजदीक बस स्टौप पर खड़े थे. वे अपनी स्कूल बस का इंतजार कर रहे थे. कुछ ही देर में अंकल वहां आए और सिगरेट पीने लगे. शायद वे भी अपनी कंपनी की बस का इंतजार कर रहे थे. इतने में उर्विल की स्कूल बस स्टौप पर आ गई.
वीर की लिखावट
वीर एक समझदार छात्र था. वह मददगार और बहुत ही मजाकिया था, लेकिन लापरवाही बहुत करता था. पिछले कुछ दिनों से वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहा था.
खुशियों की बारिश
"जेहरा बेटा, मैं खरीदारी करने बाजार जा रही मैं हूं. कुछ देर में वापस आ जाऊंगी. तब तक तुम कमरे के अंदर बैठ कर पढ़ाई करो और हां, बारिश आए तो भीगना मत,” मां की बात सुन कर 10 साल का साहिल कमरे के अंदर जा कर पढ़ाई करने लगा.
हाथी और कंप्यूटर शिक्षा
महाराज शेरा सिंह को कुछ दिन पहले ही जंगल के राजा का ताज पहनाया गया था. उन के पापा ने उन्हें फेमस शिक्षा संस्थानों से शिक्षा दिलवाई थी.
बदलाव स्वीकार करें
मधु उनींदी आंखों से उठी और उस ने बहुत थकान महसूस की, क्योंकि उसे स्कूल के लिए तैयार होना पड़ रहा था. उसे स्कूल में होने वाले वार्षिक क्विज कंपीटिशन की चिंता हो रही थी इसलिए उसे सिर में दर्द महसूस हो रहा था. साल के आखिर में प्रत्येक कक्षा से चुने हुए बच्चों को एकदूसरे के विरुद्ध टीम में प्रतियोगिता के कई राउंड बाद चुना जाता है.
मिस यू स्टूडेंट्स
कोरोना महामारी की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे. उन्हें घर पर औनलाइन ही पढ़ाई करनी पड़ती है. स्कूल ग्राउंड जो आमतौर पर छात्रों की दौड़भाग और खेलकूद से गुलजार रहता था, लेकिन अब एकदम शांत है.
निरहू ने लिखी कहानी
निरहू उत्तर प्रदेश के जिला बलरामपुर के एक छोटे से गांव कोडारी में रहता था. उसे अपनी साइकिल और गन्ने के खेतों से बहुत प्यार था. उस की मां एक किसान थीं और पिता शहर में मजदूर थे.
एक क्षण की कीमत
27 जून, 1964 को केरल के कोझिकोड जिले के पय्योली गांव में एक बच्ची ने जन्म लिया. उस का नाम ऊषा रखा गया. ऊषा के पिता का नाम ई.पी.एम. पैथल तथा माता का नाम टी.वी. लक्ष्मी था. उस के जन्म के समय घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. उस के पिता की कपड़ों की एक छोटी सी दुकान थी और 6 बच्चे थे, इसलिए उन्हें परिवार 6 के भरणपोषण में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. इस की वजह से ऊषा कुपोषण का शिकार हो गई और बीमार रहने लगी.
मायरा की जीत
इस साल मायरा 8वीं कक्षा में आ गई थी. पिछले एक साल से वह बैडमिंटन खेलने का प्रशिक्षण ले रही थी. अकसर जब मायरा एक हाथ में बैडमिंटन रैकेट पड़ती थी तो दूसरे हाथ में बड़ी सी ट्रोफी की कल्पना में खो सी जाया करती थी.
कोको का सपना
कोको भारत के केंद्रशासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में समुद्र के किनारे ऊंचे नारियल के पेड़ों पर अपनी बहनों के साथ रहते हुए बड़ा हो रहा था, अभी वह एक छोटा नारियल था.
कुंडली गिरोह
पीकू बंदर के घर काफी समय बाद एक बच्चे सुंदर का जन्म हुआ. इसलिए वह अपने बेटे सुंदर को जान से भी ज्यादा प्यार करता था.
लकड़ी की डंडियों के सहारे सीखा मैथ्स
डमरू गधे ने अपनी मम्मी से कहा, “मम्मी, मेरे सिर में दर्द है. आज मैं स्कूल नहीं जाऊंगा."
जिहान, अयान और मच्छर
"अरे, मेरा मौस्किटो रैकेट कहां है?" जिहान अपने बिस्तर से उठा और रैकेट लेने दौड़ा. वह रैकेट ले कर डौस्की काले मच्छर की तलाश में वापस आया और छिप गया था. जिहान बैठ गया. वह थक गया था लेकिन उस ने हौसला नहीं छोड़ा. वह कुर्सी पर बैठ गया और देखने लगा. उस की आंखें कमरे में चारों तरफ उस शैतान मच्छर को ढूंढ़ रही थी.
यादगार ट्रिप
पंकज आज बहुत खुश नजर आ रहा था. न तो उस की कोई लौटरी लगी थी और न ही उसे कोई बड़ा गिफ्ट मिला था. खुशी मानो उस के चेहरे से टपक रही थी. बात बस इतनी सी थी कि उस के दोस्त सुधीर ने उसे अपने गांव आने का न्योता दिया था.
अनोखा रक्षाबंधन
कूहू व पीहू दोनों सगी बहने थीं. कूहू पीहू से दो 'साल बड़ी थी. दोनों पढ़ाई में अच्छी थीं तथा घर में मां का काम में भी वे हाथ बटाती थीं.
मिंकी की पायल
एक बार की बात है, शहर में एक धनी व्यापारी रहता था. वह अनाज का व्यापार करता था. शहर के लोग उसे धन्ना सेठ कहते थे. छिटकू नाम का एक चूहा उन के गोदाम में अपने कुछ दोस्तों के साथ रहता था. वे गोदाम में रखी अनाज की बोरियों में छेद कर आराम से अनाज चुराते और वहीं अपने बिलों में घुस कर सो जाते थे. वे बड़े आराम से जीवन जी रहे थे.
जनता की आवाज
"मैं आप सभी जंगलवासियों का बहुत आभारी हूं, जो आप ने मुझे सेवा करने का अवसर दिया," शेरसिंह अपनी गुफा के सामने सभी को संबोधित कर रहा था.
हसन फिर पढ़ने जाने लगा
"हसन..." अम्मी की आवाज हवा में लयबद्ध तरीके से गूंजती चली गई, हसन ने अपनी किताब से सिर ऊपर उठाया तो आकाश में सूरज उस का स्वागत कर रहा था.
पिल्लू मेरा दोस्त
"चलो हटो, तुम मेरा दुपट्टा गंदा कर दोगे, ' टिम्मी तुम्हें इतनी चिंता है, वह तुम्हें मेरे बापदादाओं के बलिदान की बदौलत ही मिला है."
मीशा की शरारत
सैली गिलहरी जमीन पर रेंग कर अपना भोजन ढूंढ़ रही थी. मां के मना करने पर भी वह भरी दोपहरी में अकेले पेड़ के नीचे भोजन ढूंढ़ने आई थी. उस की मां ने पहले भी समझाने की कोशिश की थी, "बेटी, दोपहर के समय जंगल में बहुत खतरा रहता है. तुम्हें अकेले बाहर नहीं जाना चाहिए."
बेकी की मित्रता
बेकी हाथी का नए स्कूल में आज पहला दिन था. वह अपनी क्लास में जा कर अन्य सहपाठियों से मिलने के लिए बेहद उत्साहित थी. उसे पूरा विश्वास था कि वह पहले ही दिन क्लास के अन्य बच्चों से दोस्ती कर लेगी. इस तरह बेकी ने आत्मविश्वास के साथ कक्षा में प्रवेश किया.
मैं लैफ्टी हूं
"नीलू हाथमुंह धो कर खाना खा लो,” नीलू की मां ने आवाज लगाई.
ईशिता ने स्वीकारी चुनौती
"ओह, मेरी पैंसिल की नोक तो टूट गई और मेरा शौर्पनर तो घर ही छूट गया,” बानी ने कहा. उस का नए स्कूल में पहला दिन था.