कालीन वाले कुनबे का कलाकार
कालीन का कारोबार करने वाले कुनबे के युवक के लिए यह कल्पना भी कठिन थी कि अभिनय को कॅरियर बनाए। परंतु जमील ख़ान के जज़्बे ने राह बना ही ली।
वेब सीरीज़ 'गुल्लक' में संतोष मिश्रा का किरदार कौन भूल सकता है! इस किरदार में अभिनेता जमील ख़ान के सहज अभिनय ने दर्शकों को ख़ासा प्रभावित किया। जमील को इसके लिए फिल्म फेयर बेस्ट एक्टर ओटीटी का अवॉर्ड भी मिला था। जमील ख़ान ने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में मनोज बाजपेयी के दोस्त असग़र का रोल निभाया था जिसमें उनके संवाद काफ़ी लोकप्रिय हुए थे। जमील 1999 से ही फिल्मोद्योग में सक्रिय हैं। इस दौरान वे दर्जनों फिल्मों और वेब शोज़ में दिखाई दे चुके हैं।
जमील उत्तरप्रदेश स्थित भदोही के एक संपन्न परिवार में जन्मे थे। उन्होंने नैनीताल से स्कूल की पढ़ाई की और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया। वैसे, जमील शुरुआत में फिल्म अभिनेता नहीं बनना चाहते थे, उनका रुझान बस रंगमंच तक था। उन्होंने नसीरुद्दीन शाह के मार्गदर्शन में थिएटर सीखा। आगे चलकर जब पैसे की ज़रूरत पड़ी तब जाकर फिल्मों और टीवी में काम किया। जमील भले ही एक संपन्न परिवार से हैं, लेकिन उन्होंने मुंबई आने के बाद अपने घर से खर्चे चलाने के लिए पैसे नहीं लिए। वे थिएटर करके पैसे जुटाते गुजर-बसर करते थे।
असली कालीन वाले शहर से नाता
जमील बताते हैं, 'मेरी पैदाइश भदोही की है। घर पर कालीन का कारोबार था। कालीन से आपको मिर्ज़ापुर सीरीज़ याद आ गई होगी। ख़ैर, असली कालीन का कारोबार मिर्ज़ापुर नहीं भदोही में होता था। शुरुआती दो-तीन साल भदोही में पढ़ाई हुई, उसके बाद तीसरी कक्षा तक आते-आते घर वालों ने नैनीताल भेज दिया। नैनीताल में 10 साल तक पढ़ा, फिर वहां से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से स्नातक करने चला गया। ऐसे भदोही से नैनीताल, फिर नैनीताल से अलीगढ़ और अंत में मुंबई आकर ये सफ़र थम गया। मैंने कॉलेज स्तर पर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवॉर्ड भी जीता था।'
शेरवुड बना अभिनय की पाठशाला
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