शादी होती है। हम बदलते हैं। बहुत कुछ जानते-समझते हैं। चाहे अनचाहे बहुत कुछ स्वीकार भी करते हैं। और इस तरह गृहस्थी की गाड़ी जीवन की पटरी पर दौड़ती रहती है। फिर भी हम दांपत्य के बारे में बहुत कुछ नहीं जान पाते। अगर इस रिश्ते के ये रहस्य हम जान लें तो शायद गृहस्थी की गाड़ी बिना अवरोध के सरपट दौड़ सकेगी।
जानने से कुछ नहीं होता
आपने ख़ुशहाल दांपत्य पर किताबें पढ़ रखी हैं, आप इसके सारे सिद्धांत जानते हैं, आपने दोस्तों/सखियों से भी उनकी सुखी गृहस्थी के सूत्र जाने हैं, फिल्म और टीवी से भी काफ़ी कुछ सीखा है। लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है। जब तक आप इस जानकारी को आज़माएंगे नहीं, यह किसी काम की नहीं। यानी क्रोध के दुष्परिणामों के बारे में जानना एक बात है और स्वयं को गुस्सा होने से रोकना दूसरी बात। जब आप जानकारियों को अपने आचरण में लागू करेंगे, तब ही जानेंगे कि आपके जीवनसाथी पर किस बात का कितना असर पड़ता है। हो सकता है कि किसी महिला का पति अच्छे खाने से ख़ुश रहता हो, परंतु यह बात सारे पतियों पर लागू नहीं होती।
रिश्ता हमें बेहतर बनाता है
पति-पत्नी जैसा कोई और रिश्ता नहीं है, जो हमें इतना अधिक बदल और सिखा सकता है। जाने-अनजाने में हम कई मामलों में तो पूरी तरह बदल जाते हैं। यह हमें दो अलग-अलग अभिमत को मान्यता देना सिखाता है, अन्यथा हमारी सारी बातचीत बहसबाज़ी में बदल जाए। भले ही जीवनसाथी के बारे में आपकी राय जो भी हो, वह कितना ही रूखा और अकड़ क्यों न लगता/लगती हो, यदि आप अपने रिश्ते पर नज़रे दौड़ाएंगे, तो समझ जाएंगे कि वह भी एक हद तक बदल चुका है और बेशक आप भी)। यदि हम इसे सकारात्मक रूप में लें, बहुत-सी शिकायतें यूं ही ख़त्म हो जाएंगी।
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