किशोर जीवन में शोर
Aha Zindagi|November 2024
किशोरवय यानी न पूरी तरह बालपन, न पूर्ण यौवन । बीच की अवस्था। इस स्थिति की अपनी दुविधाएं और समस्याएं होती हैं। आज के किशोर पिछली पीढ़ियों की तरह शारीरिक और मानसिक बदलावों से जूझ ही रहे हैं और तुर्रा यह कि नए ज़माने की नई तकनीकों और चलन ने उनकी दिक़्क़तें बढ़ा दी हैं। ऐसे भटकाने वाले संसार में उनका सच्चा दोस्त कौन बनेगा, उनका हाथ कौन थामेगा- उनके अपने परिजन और शिक्षक ही न?
ज्योति देशमुख
किशोर जीवन में शोर

वे लड़के जिनकी हल्की-हल्की मूंछें उगना शुरू हुई हैं और वे लड़कियां जिनका मासिक धर्म या तो शुरू हो गया है या शुरू हुए ज़्यादा समय नहीं हुआ है, जिन्हें टीनएज्ड या किशोर कहा जाता है। इस दौरान इनके शरीर में कई हॉर्मोनल बदलाव काम करते हैं। बचपन की उंगली छूटी भी नहीं होती और यौवन हौले-हौले दस्तक दे रहा होता है। उन्हें समझ नहीं आता कि इस उंगली को थामे रहें या दस्तक पर ध्यान दें। कभी तो किसी परिस्थिति में बड़े उन्हें कहते हैं- 'अभी बच्चे हो, बड़ों के बीच मत बोलो' और कभी कहते हैं- 'इतने बड़े हो गए और इतना भी समझ नहीं आता!' इस डांवांडोल वाली स्थिति में उन्हें समझ ही नहीं आता कि वे ख़ुद को किस समूह में रखें, बड़े या छोटे ? आमतौर पर यह माना जाता है कि बच्चों को (जिनमें किशोर भी शामिल हैं) क्या परेशानी, क्या दुःख, क्या समस्याएं? कमाने वाले कमा रहे हैं, खिलाने वाले खिला रहे हैं, समय पर सारी ज़रूरतें पूरी हो रही हैं तो फिर क्या समस्या? लेकिन समस्याएं तो हैं, और दुविधाएं भी।

अभिभावक भूल जाते हैं कि जिस उम्र से इस समय उनकी संतान गुजर रही है उस उम्र से वे भी जब गुजरे थे तब समस्याएं उन्हें भी रही थीं। हां, समय के साथ समस्याओं का स्वरूप बदला ज़रूर है और उनकी गिनती भी बढ़ गई है।

स्मार्टफोन: फांस या विकास?

Denne historien er fra November 2024-utgaven av Aha Zindagi.

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कथाएं चार, सबक़ अपार
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सिडनी का 'द गैप' नामक इलाक़ा सुसाइड पॉइंट के नाम से जाना जाता है। लेकिन इस स्थान से जुड़ी एक कहानी ऐसी है, जिसने कई जिंदगियां बचाईं। यह कहानी उस व्यक्ति की है, जिसने अपनी साधारण-सी एक पहल से अंधेरे में डूबे हुए लोगों को एक नई उम्मीद की किरण से रूबरू कराया।

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December 2024
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December 2024
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December 2024
उज्ज्वल निर्मल रतन
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December 2024