गणित से मिलने बाग़ चलें
Aha Zindagi|December 2024
अलौकिक सौंदर्यमय कहलाने वाला गणित ही है, जिसकी बदौलत संसार में सौंदर्य बिखरा पड़ा है! आकर्षक फूलों और सजीली सूरतों से लेकर नक्षत्रों तक गणित की ही ख़ूबियां मौजूद हैं। इसलिए, गणित का नाम सुनकर भले ही भाग जाने का मन होता हो, आइए, 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के मौके पर इससे मिलने बाग़ चलें!
डॉ. सुमीता
गणित से मिलने बाग़ चलें

गणित शिक्षण से जुड़े होने के नाते एक साक्षात्कार के दौरान मुझसे प्रश्न किया गया, 'विद्यार्थी यदि छठी से आठवीं कक्षा के हों तो गणित संबंधी कुछ मुद्दों को बेहतर तरीके से समझाने के लिए आप उन्हें कक्षा से बाहर किस सार्वजनिक स्थान पर ले जाना चाहेंगी?'

'किसी बाग़ में,' मैंने उत्तर दिया।

'बाग़ में?' प्रश्नकर्ता के माथे पर बल थे। उनकी दृष्टि में मेरा जवाब असंगत था। मैं निहायत बेवकूफ़ और नाकाबिल साबित थी। 'बाग़ में कौन-सा गणित सिखा सकेंगी आप?' तंज़भरे अंदाज़ में उन्होंने स्पष्टीकरण चाहा।

मैंने अपनी बात समझाने की कोशिश की, 'सममिति (सिमेट्री), सर्वांगसमता (कांग्रुएंसी), समरूपता (सिमिलरिटी) जैसी ज्यामितिक अवधारणाओं को समझने-समझाने के लिए वह एक अच्छा स्थान है। साथ ही, वहा प्रकृति की गणना पद्धति (नेचर्स नंबरिंग सिस्टम), स्वर्ण अनुपात और स्वर्ण कुंडली आदि को भी बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।'

'क्या प्रकृति की गणना पद्धति कोई विशेष पद्धति होती है?' उन्होंने पूछा। मेरे हामी भरने पर उन्होंने इसे सविस्तार बताने को कहा। मैंने साक्षात्कर्ताओं को थोड़ी देर के लिए उस परिसर के बाग़ में चलने को आमंत्रित किया जहां यह साक्षात्कार हो रहा था। वे राज़ी हो गए और हम बाग़ीचे में आ पहुंचे। वहां करीने से कुछ फूलों के पौधे लगे थे जिन पर फूल भी खिले हुए थे। मैंने उनसे कुछ ऐसे फूलों को खोजने को कहा जिनमें चार, छह या सात पंखुरियां होती हों।

और आश्चर्यजनक रूप से वे नाकाम रहे। उन्हें दो, तीन, पांच, आठ और उससे अधिक पंखुरियों वाले भी कई फूल दिखे थे, लेकिन चार, छह और सात पंखुरियों वाले फूल नहीं मिल सके। उन्होंने स्वीकार किया कि फूलों की पंखुरियों की गिनती पर उन्होंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था। वे कुछ परेशान भी थे कि उन्हें चार, छह और सात पंखुरियों वाले फूल क्यों नहीं मिल सके। क्या ऐसे फूल होते ही नहीं हैं? उनके प्रश्नों का समाधान करना अब मेरी ज़िम्मेदारी थी और मैंने इसे सविस्तार बताया।

ऐसे चलती है प्रकृति की गिनती

Denne historien er fra December 2024-utgaven av Aha Zindagi.

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'मां' की गोद भी मिले
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