गणित शिक्षण से जुड़े होने के नाते एक साक्षात्कार के दौरान मुझसे प्रश्न किया गया, 'विद्यार्थी यदि छठी से आठवीं कक्षा के हों तो गणित संबंधी कुछ मुद्दों को बेहतर तरीके से समझाने के लिए आप उन्हें कक्षा से बाहर किस सार्वजनिक स्थान पर ले जाना चाहेंगी?'
'किसी बाग़ में,' मैंने उत्तर दिया।
'बाग़ में?' प्रश्नकर्ता के माथे पर बल थे। उनकी दृष्टि में मेरा जवाब असंगत था। मैं निहायत बेवकूफ़ और नाकाबिल साबित थी। 'बाग़ में कौन-सा गणित सिखा सकेंगी आप?' तंज़भरे अंदाज़ में उन्होंने स्पष्टीकरण चाहा।
मैंने अपनी बात समझाने की कोशिश की, 'सममिति (सिमेट्री), सर्वांगसमता (कांग्रुएंसी), समरूपता (सिमिलरिटी) जैसी ज्यामितिक अवधारणाओं को समझने-समझाने के लिए वह एक अच्छा स्थान है। साथ ही, वहा प्रकृति की गणना पद्धति (नेचर्स नंबरिंग सिस्टम), स्वर्ण अनुपात और स्वर्ण कुंडली आदि को भी बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।'
'क्या प्रकृति की गणना पद्धति कोई विशेष पद्धति होती है?' उन्होंने पूछा। मेरे हामी भरने पर उन्होंने इसे सविस्तार बताने को कहा। मैंने साक्षात्कर्ताओं को थोड़ी देर के लिए उस परिसर के बाग़ में चलने को आमंत्रित किया जहां यह साक्षात्कार हो रहा था। वे राज़ी हो गए और हम बाग़ीचे में आ पहुंचे। वहां करीने से कुछ फूलों के पौधे लगे थे जिन पर फूल भी खिले हुए थे। मैंने उनसे कुछ ऐसे फूलों को खोजने को कहा जिनमें चार, छह या सात पंखुरियां होती हों।
और आश्चर्यजनक रूप से वे नाकाम रहे। उन्हें दो, तीन, पांच, आठ और उससे अधिक पंखुरियों वाले भी कई फूल दिखे थे, लेकिन चार, छह और सात पंखुरियों वाले फूल नहीं मिल सके। उन्होंने स्वीकार किया कि फूलों की पंखुरियों की गिनती पर उन्होंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था। वे कुछ परेशान भी थे कि उन्हें चार, छह और सात पंखुरियों वाले फूल क्यों नहीं मिल सके। क्या ऐसे फूल होते ही नहीं हैं? उनके प्रश्नों का समाधान करना अब मेरी ज़िम्मेदारी थी और मैंने इसे सविस्तार बताया।
ऐसे चलती है प्रकृति की गिनती
Denne historien er fra December 2024-utgaven av Aha Zindagi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra December 2024-utgaven av Aha Zindagi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
धम्मक-धम्मक आत्ता हाथी...
बाल गीतों में दादा कहकर संबोधित किया जाने वाला हाथी सचमुच इतना शक्तिशाली होता है कि बाघ और बब्बर शेर तक उससे घबराते हैं। बावजूद इसके यह किसी पर भी यूं ही आक्रमण नहीं कर देता, बल्कि अपनी देहभाषा के ज़रिए उसे दूर रहने की चेतावनी देता है। जानिए, संस्कृत में हस्ती कहलाने वाले इस अलबेले पशु की अनूठी हस्ती के बारे में।
उज्ज्वल निर्मल रतन
रतन टाटा देशवासियों के लिए क्या थे इसकी एक झलक मिली सोशल मीडिया पर, जब अक्टूबर में उनके निधन के बाद हर ख़ास और आम उन्हें बराबर आत्मीयता से याद कर रहा था। रतन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और महज़ दो माह पहले ही उनके बारे में काफ़ी कुछ लिखा भी गया। बावजूद इसके बहुत कुछ लिखा जाना रह गया, और जो लिखा गया वह भी बार-बार पढ़ने योग्य है। इसलिए उनके जयंती माह में पढ़िए उनकी ज़िंदगी की प्रेरक किताब। रतन टाटा के समूचे जीवन को चार मूल्यवान शब्दों की कहानी में पिरो सकते हैं: परिवार, पुरुषार्थ, प्यार और प्रेरणा। उन्हें नमन करते हुए, आइए, उनकी बड़ी-सी ज़िंदगी को इस छोटी-सी किताब में गुनते हैं।
मुश्किलें हमेशा हारती हैं
संघर्ष करने वाले हमेशा जीतते हैं, क्योंकि वे मुश्किलों को मैनेज करते समय सबसे सकारात्मक प्रतिक्रिया चुनते हैं। इससे कई बार समस्या उनके लिए सकारात्मक अवसर भी बन जाती है!
अन्न उपजाए अंग भी उगाए
बायो टेक्नोलॉजी चमत्कार कर रही है। सुनने में भारी-भरकम लगने वाली यह तकनीक उन्नत बीजों के विकास और उत्पादों का पोषण बढ़ाने के साथ हमारे आम जीवन में भी रच बस चुकी है। अब यह सटीक दवाओं और असली जैसे कृत्रिम अंगों के निर्माण से लेकर सुपर ह्यूमन विकसित करने सरीखी फंतासियों को साकार करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।
जहां अकबर ने आराम फ़रमाया
लाव-लश्कर के साथ शहंशाह अकबर ने जिस जगह कुछ दिन विश्राम किया, वहां बसी बस्ती कहलाई अकबरपुर। परंतु इस जगह का इतिहास कहीं पुराना है। महाभारत कालीन राजा मोरध्वज की धरती है यह और राममंदिर के लिए पीढ़ियों तक प्राण देने वाले राजा रणविजय सिंह के वंश की भी। इसी इलाक़े की अनूठी गाथा शहरनामा में....
पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
अब तो खुला खेल फ़र्रुखाबादी है। न तो अश्लील दृश्यों पर कोई लगाम है, न अभद्र भाषा पर। बीप की ध्वनि बीते ज़माने की बात हो गई है। बेलगाम-बेधड़क वेबसीरीज़ ने मूल्यों को इतना गिरा दिया है कि लिहाज़ का कोई मूल्य ही नहीं बचा है।
... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करती है पिछवाई कला। पिछवाई शब्द का अर्थ है, पीछे का वस्त्र । श्रीनाथजी की मूर्ति के पीछे टांगे जाने वाले भव्य चित्रपट को यह नाम मिला था। यह केवल कला नहीं, रंगों और कूचियों से ईश्वर की आराधना है। मुग्ध कर देने वाली यह कलाकारी लौकिक होते हुए भी कितनी अलौकिक है, इसकी अनुभूति के लिए चलते हैं गुरु-शिष्य परंपरा वाली कार्यशाला में....
एक वीगन का खानपान
अगर आप शाकाहारी हैं तो आप पहले ही 90 फ़ीसदी वीगन हैं। इन अर्थों में वीगन भोजन कोई अलग से अफ़लातूनी और अजूबी चीज़ नहीं। लेकिन एक शाकाहारी के नियमित खानपान का वह जो अमूमन 10 प्रतिशत हिस्सा है, उसे त्यागना इतना सहज नहीं । वह डेयरी पार्ट है। विशेषकर भारत के खानपान में उसका अतिशय महत्व है। वीगन होने की ऐसी ही चुनौतियों और बावजूद उनके वन होने की ज़रूरत पर यह अनुभवगत आलेख.... 1 नवंबर को विश्व वीगन दिवस के ख़ास मौके पर...
सदा दिवाली आपकी...
दीपोत्सव के केंद्र में है दीप। अपने बाहरी संसार को जगमग करने के साथ एक दीप अपने अंदर भी जलाना है, ताकि अंतस आलोकित हो। जब भीतर का अंधकार भागेगा तो सारे भ्रम टूट जाएंगे, जागृति का प्रकाश फैलेगा और हर दिन दिवाली हो जाएगी।
'मां' की गोद भी मिले
बच्चों को जन्मदात्री मां की गोद तो मिल रही है, लेकिन अब वे इतने भाग्यशाली नहीं कि उन्हें प्रकृति मां की गोद भी मिले- वह प्रकृति मां जिसके सान्निध्य में न केवल सुख है, बल्कि भावी जीवन की शांति और संतुष्टि का एक अहम आधार भी वही है। अतः बच्चों को कुदरत से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने के जतन अभिभावकों को करने होंगे। यह बच्चों के ही नहीं, संसार के भी हित में होगा।